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Consumer Price Index: और तेज हुई महंगाई की मार, मार्च में 5.52% रही खुदरा महंगाई दर

March 2021 CPI Data: मार्च में खाने-पीने की चीजों के दाम 4.94% बढ़े, फरवरी में यह दर 3.87% थी, गांवों के मुकाबले शहरों में ज्यादा तेजी से बढ़ी महंगाई

March 2021 CPI Data: मार्च में खाने-पीने की चीजों के दाम 4.94% बढ़े, फरवरी में यह दर 3.87% थी, गांवों के मुकाबले शहरों में ज्यादा तेजी से बढ़ी महंगाई

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Consumer Price Index: और तेज हुई महंगाई की मार, मार्च में 5.52% रही खुदरा महंगाई दर

खुदरा महंगाई दर में लगातार दूसरे महीने तेजी देखने को मिली है, घी-तेल, मीट और फिश के दाम सबसे तेजी से बढ़े

Consumer Price Index March 2021 Data: देश अभी आर्थिक मंदी के कहर से पूरी तरह उबर भी नहीं पाया कि महंगाई की मार ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है. आज जारी आंकड़ों के मुताबिक मार्च के महीने में देश में खुदरा महंगाई दर (CPI) बढ़कर 5.52 फीसदी हो गई. इसके मुकाबले फरवरी के महीने में खुदरा महंगाई 5.03 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी थी. फरवरी में पूरे देश का औसत फूड प्राइस इंफ्लेशन 3.87 फीसदी था, जो मार्च में बढ़कर 4.94 फीसदी हो गया.

घी-तेल, मीट और फिश के दाम सबसे ज्यादा बढ़े

फूड इंफ्लेशन में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी घी-तेल, मीट और फिश के दामों में तेजी के कारण हुई है. मार्च में घी-तेल की कीमतों में 24.92 फीसदी और मीट-फिश के दामों में 15.09 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. इसी दौरान दालों के दामों में 13.25 फीसदी, अंडों में 10.60 फीसदी और फलों की कीमतों में 7.86 फीसदी की वृद्धि हुई. 

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गांवों के मुकाबले शहरों में ज्यादा तेजी से बढ़े दाम

नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी इन आंकड़ों के मुताबिक महंगाई के बढ़ने की रफ्तार गांवों के मुकाबले शहरों में ज्यादा रही है. फिर चाहे वो खाने-पीने की चीजों की कीमतें हों या बाकी चीजों के दाम. मार्च में फूड इंफ्लेशन शहरी इलाकों में 6.64 फीसदी और ग्रामीण इलाकों में 3.94 फीसदी रहा. बाकी चीजों के दाम भी शहरों में 6.52 फीसदी और गांवों में 4.61 फीसदी की रफ्तार से बढ़े. इन आंकड़ों से साफ है कि अगर गांवों में महंगाई दर अपेक्षाकृत कम न रहती तो औसत आंकड़ा और भी ज्यादा रहता. 

दो महीने की राहत के बाद फिर बढ़ने लगी महंगाई दर

पिछले साल मार्च में कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन शुरू होने के बाद अगले कई महीने तक महंगाई की दर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के 6 फीसदी के लक्ष्य से ऊपर ही रही. अक्टूबर में तो खुदरा महंगाई के बढ़ने की रफ्तार 7.61 फीसदी तक जा पहुंची थी.  दिसंबर 2020 में पूरे 8 महीने बाद कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स घटकर 4.59 फीसदी के दायरे में आ पाया था. जनवरी 2021 में यह और घटकर 4.1 फीसदी पर आया. लेकिन फरवरी में खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी का सिलसिला एक बार फिर शुरू हो गया और यह 5 फीसदी को पार कर गई. 

मंदी से उबरने की कोशिशों में बढ़ती महंगाई बड़ी बाधा

मार्च के महीने में देश की औसत खुदरा महंगाई दर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के 2 से 6 फीसदी के लक्ष्य के दायरे में ही है. लेकिन फरवरी और मार्च के दरम्यान इसमें जिस तरह लगातार इजाफा हुआ है, वह चिंता की बात है. खासतौर पर इसलिए क्योंकि महंगाई में यह बढ़ोतरी ऐसे दौर में हो रही है, जब अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से बाहर निकलने के लिए लगातार संघर्ष कर रही है. आज ही जारी हुए औद्योगिक उत्पादन सूचकांक इस बात की गवाही दे रहे हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अपनी मौद्रिक नीति तय करते समय कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स को ही ध्यान में रखता है. जाहिर है कि महंगाई दर बढ़ने के दबाव की वजह से उसके सामने ब्याज दरों में कमी की ज्यादा गुंजाइश नहीं रह जाएगी. भले ही विकास दर और निवेश को बढ़ावा देने के लिए ऐसा करना जरूरी लग रहा हो. 

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