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महंगाई की इस मार के लिए पेट्रोल-डीज़ल की आसमान छूती कीमतें और मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की कीमतों में उछाल खास तौर पर जिम्मेदार हैं.
WPI Inflation In March : थोक महंगाई दर ने आज बड़ा झटका दिया है. मार्च के महीने में देश का थोक मूल्य सूचकांक (WPI) बढ़कर 7.39 फीसदी पर जा पहुंचा है. थोक महंगाई की दर का पिछले 8 साल में यह सबसे ऊंचा स्तर है. फरवरी 2021 में थोक मूल्य सूचकांक 4.17 फीसदी पर था. लेकिन आज जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ईंधन और बिजली की कीमतों में तेज़ी के कारण मार्च में थोक महंगाई में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इसके साथ ही महंगाई की इस मार के लिए मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की कीमतों में आया उछाल भी जिम्मेदार हैं.
फ्यूल-पावर सेक्टर इंफ्लेशन बढ़कर 10.25 फीसदी पर पहुंचा
मार्च में फ्यूल एंड पावर सेक्टर का इंफ्लेशन बढ़कर 10.25 फीसदी पर जा पहुंचा, जबकि फरवरी में यह महज 0.58 फीसदी रहा था. प्राइमरी आर्टिकल्स में इंफ्लेशन की दर में भी तीन गुने से ज्यादा की तेजी देखी गई और यह फरवरी 2021 के 1.82 फीसदी के मुकाबले मार्च में 6.40 फीसदी पर जा पहुंची. खाने-पीने की चीजों के थोक दामों में भी मार्च के महीने में 5.28 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि फरवरी में यह 3.31 फीसदी थी.
मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की कीमतें मार्च में 7.34 फीसदी बढ़ीं
मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की कीमतों में फरवरी के दौरान 5.81 फीसदी की तेजी देखी गई थी, लेकिन मार्च में इन उत्पादों के दामों में 7.34 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. मैन्युफैक्चर्ड गुड्स का थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में 64 फीसदी वेटेज होता है. जाहिर है इनकी कीमतों में बढ़ोतरी का थोक महंगाई दर पर काफी असर पड़ा है.
थोक मूल्य सूचकांक (WPI) क्या है?
होलसेल प्राइस इंडेक्स या थोक मूल्य सूचकांक का मतलब उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है. ये कीमतें थोक में किए गए सौदों से जुड़ी होती हैं. इसकी तुलना में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आम ग्राहकों द्वारा दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होता है। CPI पर आधारित महंगाई की दर को रिटेल इंफ्लेशन या खुदरा महंगाई दर भी कहते हैं.