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दिल्ली के तीनों नगर निगमों- नॉर्थ एमसीडी, साउथ एमसीडी और ईस्ट दिल्ली एमसीडी में 272 सीटें हैं. (File Photo)
दिल्ली के तीनों नगर निगमों को एक करने का बिल शुक्रवार को केंद्र सरकार ने लोकसभा में पेश किया. अब इसे लेकर विपक्षी पार्टी ने सरकार पर हमला बोला है और सरकार के इस कदम को असंवैधानिक बताया है. विपक्षी पार्टियों ने इस कदम को संसद के वैधानिक शक्ति से बाहर है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 पेश किया था. राय ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 239एए के तहत संसद को दिल्ली विधानसभा द्वारा पारित कानून में संशोधन का अधिकार है.
दिल्ली के नगर निगमों के विभाजन का बिल दिल्ली विधानसभा में ही पारित हुआ था और इसे एक करने का बिल लोकसभा में पेश किया गया है. दिल्ली की एमसीडी का विभाजन वर्ष 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की सरकार ने किया था. इसका उद्देश्य राजधानी के लोगों को बेहतर नागरिक सेवाएं मुहैया कराना था. अब इसे एक करने का बिल लोकसभा में पेश हुआ है.
चुनाव से एक महीने पहले बिल पेश
केंद्र सरकार ने यह बिल दिल्ली के तीनों नगर निगमों में एक महीने पहले लोकसभा में लाया गया है. आम आदमी पार्टी बीजेपी पर इसे लेकर तीखे हमले कर रही है कि वह एमसीडी चुनावों में हार के डर से इसे टाल रही है. बीजेपी का पिछले 15 वर्षों से दिल्ली के म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन पर कब्जा है और आम आदमी पार्टी अभी एमसीडी चुनावों में जीत हासिल करने का अवसर देख रही है. दिल्ली के तीनों नगर निगमों- नॉर्थ एमसीडी, साउथ एमसीडी और ईस्ट दिल्ली एमसीडी में 272 सीटें हैं. नॉर्थ और साउथ एमसीडी में 104-104 सीटें हैं जबकि ईस्ट एमसीडी में 64.
विपक्ष का ये है आरोप
लोकसभा में रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP) सांसद एनके प्रेमचंद्रन, कांग्रेस सांसदों गौरव गोगोई और मनीष तिवारी और बसपा के रितेश पांडेय ने इस संशोधन बिल को असंवेधानिक बताया है. प्रेमचंद्रन ने इस बिल को विधानसभा के कार्य में बाधा डालने वाला बताया तो पांडेय का कहना है कि अनुच्छेद 243यू के प्रावधानों के हिसाब से ऐसा संशोधन नहीं किया जा सकता है. तिवारी का कहना है कि संविधान के भाग 9ए के मुताबिक नगरपालिका का गठन राज्य सरकार की शक्ति का हिस्सा है. गोगोई ने इसे संविधान के संघीय ढांचे पर हमला बताया है.
सरकार के ये हैं तर्क
केंद्रीय राज्य मंत्री राय का कहना है कि टेरीटोरियल डिवीजन के हिसाब से दिल्ली एमसीडी का विभाजन असमान था और देनदारियों की तुलना में उपलब्ध रिसोर्सेज के आधार पर रेवेन्यू जेनेरेट करने की क्षमता बहुत कम है. राय ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में दिल्ली के लोगों को बेहतर नागरिक सेवाओं को उपलब्ध कराने का लक्ष्य हासिल नहीं हो सका है. राय के मुताबिक तीनों एमसीडी के एक होने पर इसकी क्षमता और पारदर्शिता बढ़ेगी. इस बिल में एक प्रावधान है कि इसके पास होने के बाद केंद्र सरकार जरूरत पड़ने पर एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति कर सकती है जो एमसीडी की पहली बैठक से पहले इसकी शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता है.