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बड़े फैसले: जयपुर, गुवाहाटी, तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट को लीज पर देगी सरकार; Discoms को मिली राहत

केंद्रीय कैबिनेट ने एक अहम फैसले में देश की तीन प्रमुख एयरपोर्ट जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम को लीज पर देने का फैसला किया है.

केंद्रीय कैबिनेट ने एक अहम फैसले में देश की तीन प्रमुख एयरपोर्ट जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम को लीज पर देने का फैसला किया है.

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बड़े फैसले: जयपुर, गुवाहाटी, तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट को लीज पर देगी सरकार; Discoms को मिली राहत

leasing out Jaipur, Guwahati and Thiruvananthapuram airports, relaxation to Power Discoms in working capital norms सरकार ने डिस्कॉम को कर्ज लेने के लिए वर्किंग कैपिटल लिमिट के नियमों में ढील देने का फैसला किया है.

Caninet decisions: केंद्रीय कैबिनेट ने एक अहम फैसले में देश की तीन प्रमुख एयरपोर्ट जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम को लीज पर देने का फैसला किया है. पीएम मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. ये मंजूरी सरकार ने पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के तहत दी है. वहीं, एक अन्य फैसले में सरकार ने डिस्कॉम को कर्ज लेने के लिए वर्किंग कैपिटल लिमिट के नियमों में ढील देने का फैसला किया है.

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कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पीपीपी मॉडल के जरिए तीनों एयरपोर्ट को लीज पर देने को अनुमति दी गई. उन्होंने बताया कि इससे जो 1070 करोड़ रुपये मिलेंगे, उसका इस्तेमाल एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया दूसरे छोटे शहरों में एयरपोर्ट विकसित करने में इस्तेमाल करेगी. इसका दूसरा फायदा यह होगा कि यात्रियों को अच्छी सुविधाएं मिल सकेंगी. एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने 50 साल के लिए निजी हाथों में दिया है, उसके बाद ये एयरपोर्ट वापस मिल जाएंगे.

फरवरी 2019 में अडानी इंटरप्राइजेज ने प्रतिस्पर्धी बिडिंग प्रॉसेस के बाद पीपीपी मॉडल के जरिए छह एयरपोर्ट लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, मंगलुरू, तिरुवनंतपुरम और गुवाहाटी के अधिकार हासिल किए थे. इन छह एयरपोर्ट का स्वामित्व एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) के पास है. अडानी ने 14 फरवरी 2020 को एएआई के साथ तीन एयरपोर्ट अहमदाबाद, मंगलूरू और लखनऊ के लिए रियायती समझौता किया था.

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Discoms को मिली ढील

सरकार ने बुधवार को उदय (उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना) योजना के तहत वितरण कंपनियों के लिये कर्ज लेने को लेकर वर्किंग कैपिटल लिमिट के नियम में ढील देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. वितरण कंपनियों के लिये यह कर्ज 90,000 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध कराए जाने की योजना का हिस्सा है.

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘बिजली क्षेत्र में समस्या है. बिजली खपत में नरमी है. वितरण कंपनियां बिल संग्रह नहीं कर पा रही हैं. इसको देखते हुए पीएफसी (पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन) और आरईसी को 25 फीसदी कार्यशील पूंजी सीमा से अधिक कर्ज देने की अनुमति दी गई है. इससे राज्यों की वितरण कंपनियों के पास नकदी बढ़ेगी.’’

उन्होंने कहा, ‘‘वर्किंग कैपिटल लिमिट पिछले साल की आय का 25 फीसदी है. अब इस सीमा में ढील दी गई है.’’ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मई में कोविड-19 राहत पैकेज तहत नकदी संकट और कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये ‘लॉककडाउन’ के कारण मांग में कमी से जूझ रही वितरण कंपनियों को 90,000 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध कराए जाने की घोषणा की थी. हालांकि कुछ वितरण कंपनियां पैकेज के तहत कर्ज लेने के लिए पात्र नहीं थी क्योंकि वे उदय योजना के अंतर्गत कार्यशील पूंजी सीमा नियमों को पूरा नहीं कर रही थी.

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