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सरकार ने घरेलू आपूर्ति को बढ़ाने और ग्राहकों को राहत देने के मकसद से सोमवार को मसूर दाल के आयात पर मूल सीमा शुल्क (कस्टम ड्यूटी) घटाकर शून्य कर दिया है.
मोदी सरकार ने सोमवार को मसूर दाल के आयात से इंपोर्ट ड्यूटी हटा दी है. इसके साथ ही दाल पर लगने वाले एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवपलपेंट सेस को भी घटाकर 10 फीसदी कर दिया है. घटा हुआ सीमा शुल्क और उपकर मंगलवार से लागू हो जाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस संबंध में अधिसूचना संसद के दोनों सदनों में पेश की. सरकार का कहना है कि उसने यह कदम देश के उपभोक्ताओं को दाल की महंगी कीमतों से राहत दिलाने के लिए उठाया है. लेकिन भारतीय दलहन और अनाज संघ (IPGA) ने कहा है कि सरकार के इस फैसले से दाल के दाम में कोई खास गिरावट नहीं आएगी. IPGA ने इस फैसले को विदेशी दाल उत्पादकों और निर्यातकों के हक में बताते हुए वापस लेने की मांग की है.
मसूर दाल पर प्रभावी आयात शुल्क 30% से घटकर 10%
मसूर दाल पर प्रभावी आयात शुल्क अब 30 फीसदी से घटकर 10 फीसदी हो जाएगा. वित्त मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा कि ग्राहकों को राहत देने के लिए, सरकार ने मसूर दाल पर सीमा शुल्क 30 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है. (मूल सीमा शुल्क 10 प्रतिशत से घटाकर 'शून्य' किया गया है) और कृषि अवसंरचना विकास उपकर 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया है. इससे मसूर दाल के खुदरा मूल्य में कमी आएगी.
अधिसूचनाओं के मुताबिक, अमेरिका के अलावा दूसरे देशों में पैदा हुए या निर्यात की जाने वाली दाल (मसूर दाल) पर मूल सीमा शुल्क 10 फीसदी से घटाकर शून्य कर दिया गया है. साथ ही अमेरिका से आने वाली या निर्यात की जाने वाली मसूर की दाल पर मूल सीमा शुल्क 30 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी कर दिया गया है.
इसके अलावा मसूर पर कृषि अवसंरचना विकास उपकर (AIDC) को वर्तमान दर 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, मसूर दाल का खुदरा मूल्य इस साल 1 अप्रैल के 70 रुपये प्रति किलोग्राम से 21 फीसदी बढ़कर अब 85 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है.
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सोमवार को धारवाड़ में अधिकतम बिक्री मूल्य 129 रुपये प्रति किलोग्राम था, जबकि वारंगल और राजकोट में न्यूनतम बिक्री मूल्य 71 रुपये किलो था. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में रबी फसल, मसूर का घरेलू उत्पादन, फसल वर्ष 2020-21 (जुलाई-जून) में पिछले वर्ष के 11 लाख टन से बढ़कर लगभग 13 लाख टन हो गया.
सरकार के कदम से देश के लोगों को नहीं विदेशी निर्यातकों को लाभ: IPGA
भारतीय दलहन और अनाज संघ (India Pulses and Grains Association - IPGA) के उपाध्यक्ष बिमल कोठारी ने कहा कि सरकार को आयात शुल्क कम नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे दाल की कीमतों में नरमी नहीं आने वाली. उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम से सिर्फ कनाडा के किसानों, कनाडाई निर्यातकों, ऑस्ट्रेलियाई किसानों, ऑस्ट्रेलियाई निर्यातकों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को फायदा होगा. इससे भारत के लोगों को कोई लाभ नहीं होने वाला. IPGA ने कहा कि सरकार को इस फैसले को वापस लेना चाहिए.
कोठारी ने कहा कि सरकार के इस कदम से मसूर की दाल की कीमत में महज 1-2 रुपये की कमी हो सकती है, न कि 13-14 रुपये की. उन्होंने कहा कि भारत सरकार के इस फैसले के फौरन बाद, कनाडाई और ऑस्ट्रेलियाई निर्यातकों ने अपनी कीमतों में 75 से 80 डॉलर प्रति टन की वृद्धि कर दी है. यह नीति निश्चित रूप से भारतीय उपभोक्ताओं, भारतीय किसानों, भारतीय दलहन व्यापार और यहां तक कि सरकार के भी हित में नहीं है. सरकार ने कृषि बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के प्रयास के तहत चालू वित्तवर्ष में पेट्रोल, डीजल, सोना और कुछ आयातित कृषि उत्पादों सहित कुछ वस्तुओं पर एआईडीसी की शुरुआत की थी.