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Global Hunger Index-2023 में शामिल 125 देशों में भारत को 111वीं रैंक दी गई है, जिसे मोदी सरकार ने खारिज कर दिया है. (Representational Image : Pixabay)
Modi Government rejects India's 111th rank among 125 countries in Global Hunger Index-2023: ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) 2023 में भारत को 125 देशों में 111वें नंबर पर रखे जाने को मोदी सरकार ने पूरी तरह खारिज कर दिया है. भारत सरकार की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि इंडेक्स में भारत को इतना नीचे रखा जाना न सिर्फ गलत कैलकुलेशन का नतीजा है, बल्कि इसके पीछे एक दुर्भावना भी काम कर रही है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स एक सालाना रिपोर्ट है, जो दुनिया भर में भुखमरी के स्तर का आकलन करने के लिए जारी की जाती है. दुनिया भर में भूख की समस्या का हाल बताने वाली इस रिपोर्ट में ग्लोबल, रीजनल और अलग-अलग देशों की स्थिति का आकलन किया जाता है.
GHI में बांग्लादेश और नेपाल से भी नीचे भारत!
ग्लोबल हंगर इंडेक्स-2023 में भारत को 125 देशों के बीच 111वें स्थान पर रखा गया है. इसके मुकाबले 2022 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 121 देशों में 107वें नंबर पर था. हैरानी की बात यह है कि इस इंडेक्स में भारत के कई पड़ोसी देशों ने बेहतर प्रदर्शन किया है. मसलन, पाकिस्तान इस इंडेक्स में 102वें नंबर पर है, जबकि बांग्लादेश 81वें, नेपाल 69वें और श्रीलंका 60वें नंबर पर है. गुरुवार को जारी इस सूचकांक में यह भी कहा गया है कि भारत में बच्चों का सही ढंग से शारीरिक विकास नहीं हो पाने की दर 18.7 प्रतिशत है, जो दुनिया में सबसे अधिक है और गंभीर कुपोषण की स्थिति को दर्शाती है.
2014 में 55वें नंबर पर था भारत
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की रैंकिंग में लगातार गिरावट देखने को मिली है. 2014 में भारत इस इंडेक्स में 55वें नंबर पर था. लेकिन 2015 में यह रैंकिंग तेजी से गिरी और भारत 80वें नंबर पर आ गया. 2016 में भारत की रैंकिंग 97 और 2017 में 100 थी.
भारत का GHI स्कोर भूख की गंभीर स्थिति का संकेत
ग्लोबल हंगर इंडेक्स-2023 में भारत का GHI स्कोर 28.7 है, जो सूचकांक के मानकों के हिसाब से भूख की गंभीर स्थिति का संकेत देता है. इस रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण एशिया और अफ्रीका में सहारा के दक्षिणी इलाके दुनिया में सबसे ज्यादा भूख से पीड़ित क्षेत्र हैं. इन इलाकों का GHI स्कोर 27 है, जो वहां भूख की समस्या की गंभीरता की ओर इशारा करता है. ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में दुनिया का औसत GHI स्कोर 18.3 है, जो भूख की समस्या के मध्यम स्तर को बताया है. इसके मुकाबले 2015 में दुनिया के पैमाने पर GHI स्कोर 19.1 था. GHI स्कोर जितना कम हो, उतना अच्छा बेहतर माना जाता है.
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58.1% महिलाएं खून की कमी से पीड़ित
ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत में पोषण की कमी (undernourishment) की दर 16.6 प्रतिशत है, जबकि 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 3.1 फीसदी है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में 15 से 24 साल की उम्र वाली 58.1 प्रतिशत महिलाएं खून की कमी (anaemia) से पीड़ित हैं.
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मोदी सरकार ने ग्लोबल हंगर इंडेक्स को खारिज किया
मोदी सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ग्लोबल हंगर इंडेक्स को गलत और दुर्भावनापूर्ण इरादे वाला बताकर खारिज कर दिया है. मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि इस सूचकांक में 'भूख' का आकलन गलत ढंग से किया गया है, जिससे भारत की सही स्थिति का पता नहीं चलता है. इतना ही नहीं महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा कि सूचकांक 'पद्धति संबंधी गंभीर मुद्दों से ग्रस्त है और दुर्भावनापूर्ण इरादे को दर्शाता है.
ऊंची बाल मृत्युदर भूख के कारण होने का सबूत नहीं : सरकार
सरकार का कहना है कि इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है कि बच्चों की ऊंची मृत्यु दर की वजह भूख है, जैसा कि GHI में माना गया है. सरकार का दावा है कि GHI में उम्र के हिसाब से बच्चों की ऊंचाई नहीं बढ़ने और कमजोर ग्रोथ के जो इंडिकेटर इस्तेमाल किए गए हैं, वे स्वच्छता, जेनेटिक्स, पर्यावरण और भोजन का सही ढंग से इस्तेमाल किए जाने जैसे कई कारणों से प्रभावित होते हैं, जबकि GHI में इनके लिए सिर्फ भूख को जिम्मेदार माना गया है.
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इंडेक्स में इस्तेमाल इंडिकेटर सही नहीं : सरकार
मंत्रालय का कहना है कि GHI के कैलकुलेशन में इस्तेमाल किए गए चार में तीन इंडिकेटर बच्चों की सेहत से जुड़े हैं, जिन्हें पूरी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाला नहीं माना जा सकता. चौथा और सबसे महत्वपूर्ण इंडिकेटर 'कम पोषण वाली आबादी का अनुपात' है, जिसे महज 3,000 के बेहद छोटे सैंपल के आधार पर निकाला गया है. सरकार का कहना है कि अप्रैल 2023 से भारत सरकार के पोषण ट्रैकर पर अपलोड किए गए 5 साल से कम उम्र के बच्चों के आंकड़ों में लगातार बढ़ोतरी हुई है. अप्रैल 2023 में इस पर 6.34 करोड़ आंकड़े थे, जो सितंबर 2023 में बढ़कर 7.24 करोड़ हो गए हैं. मंत्रालय के मुताबिक ''पोषण ट्रैकर पर मिले आंकड़ों के हिसाब से कमजोर ग्रोथ वाले बच्चों का प्रतिशत मासिक आधार पर लगातार 7.2 फीसदी से नीचे रहा है, जबकि ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2023 में इसे 18.7 प्रतिशत बताया गया है.
दुनिया भर में बढ़ी कुपोषित लोगों की तादाद
ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2023 से यह भी पता चलता है कि 2015 से पहले कुछ वर्षों तक दुनिया भर में भूख के मोर्चे पर काफी सुधार हुआ था, लेकिन उसके बाद से इस मामले में काफी ठहराव आ गया है. इतना नहीं, इसमें यह भी बताया गया है कि 2017 के बाद से 2023 के दौरान सारी दुनिया में कुपोषण से पीड़ित लोगों की तादाद 57.2 करोड़ से बढ़कर 73.5 करोड़ हो चुकी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि क्लाइमेट चेंज, युद्ध, आर्थिक संकट, वैश्विक महामारी और रूस-यूक्रेन की जंग जैसे कारणों ने दुनिया के कई देशों में सामाजिक-आर्थिक गैर-बराबरी को बढ़ाया है और भूख के खिलाफ लड़ाई में पहले हो चुकी तरक्की को धीमा कर दिया है या पूरी तरह पलट दिया है.
भूख की समस्या पर दुनिया का ध्यान खींचने की कोशिश
ग्लोबल हंगर इंडेक्स एक पीयर-रिव्यूड (peer-reviewed) रिपोर्ट है, जिसका मतलब ये है कि पब्लिश किए जाने से पहले एक्सपर्ट्स की टीम इसकी जांच करती है. इस रिपोर्ट को कन्सर्न वर्ल्डवाइड (Concern Worldwide) और वेल्टहंगरहाइफ (Welthungerhilfe) नाम की दो संस्थाएं मिलकर प्रकाशित करती हैं. इन संस्थाओं के मुताबिक ग्लोबल हंगर इंडेक्स को प्रकाशित करने का मकसद भुखमरी की मौजूदा स्थिति की तरफ सारी दुनिया का ध्यान आकर्षित करना और हालात को सुधारने के लिए प्रेरित करना है.