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Modi Surname Case: फैसले के तुरंत बाद AICC के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी. (Photo-PTI)
Modi Surname case: 'मोदी सरनेम' मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को गुजरात हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने से इनकार करते हुए सत्र अदालत के आदेश को बरकरार रखा. याचिका को खारिज करते हुए, न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने कहा कि गांधी पहले से ही भारत भर में 10 मामलों का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता को दोषी ठहराने में निचली अदालत का आदेश 'उचित और कानूनी' था. हाई कोर्ट ने कहा कि सजा पर रोक लगाने का कोई उचित आधार नहीं है.
कांग्रेस का क्या है कहना?
फैसले के तुरंत बाद अखिल भारतीय कांग्रेस परिषद (AICC) के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी. गांधी के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कन्विक्शन पर रोक लगाने की मांग करते हुए पहले हाईकोर्ट को बताया था कि इस मामले में कन्विक्शन पर रोक लगाने की गांधी की याचिका को अस्वीकार करके, कोर्ट सीआरपीसी की धारा 389 के स्कोप को री-राइट कर रही है. हाईकोर्ट में ये भी दलीलें दी गई कि ऑफेंस इतना भी गंभीर नहीं है. दूसरी तरफ, अदालत के फैसले से पहले किसी भी आशंका के बारे में पूछे जाने पर कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने कहा कि वह आदेश सुनाए जाने के बाद ही जवाब देंगे. उन्होंने कहा, “हमारे नेता के खिलाफ कुछ साजिश चल रही है. हम बस गुजरात में कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं."
क्या है पूरा मामला?
23 मार्च को सूरत की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने राहुल गांधी को उनकी टिप्पणी "सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों होता है" पर सूरत पश्चिम के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर आपराधिक मानहानि की शिकायत में दो साल के कारावास की सजा सुनाई थी. फैसले के बाद, राहुल गांधी को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत एक सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था. इससे पहले सूरत में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रॉबिन मोगेरा की अदालत ने 20 अप्रैल को गांधी की सजा पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें कहा गया था कि "अगर ऐसी शक्ति का प्रयोग आकस्मिक तरीके से किया जाय है तो इसका सार्वजनिक धारणा पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा. इस तरह के आदेश न्यायपालिका में जनता के विश्वास को हिला देंगे."