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Mohammed Zubair Case: ऑल्टन्यूज के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर यूएन की प्रतिक्रिया, ट्वीट के लिए जेल भेजने को बताया गलत

Mohammed Zubair arrested: आल्टन्यूज के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी के मामले में यूएन की भी प्रतिक्रिया सामने आई है.

Mohammed Zubair arrested: आल्टन्यूज के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी के मामले में यूएन की भी प्रतिक्रिया सामने आई है.

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FE Hindi Desk
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Mohammed Zubair AltNews co-founder arrested for allegedly hurting religious sentiments united nations responds

जुबैर को एक हिन्दू देवता के विरुद्ध 2018 में किये गए एक आपत्तिजनक ट्वीट के मामले में गिरफ्तार किया गया है.

Mohammed Zubair arrested: दिल्ली पुलिस की साइबर टीम ने सोमवार (27 जून) को तथ्यों की जांच करने वाली वेबसाइट आल्टन्यूज (AltNews) के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर को गिरफ्तार किया था. इस मसले पर संयुक्त राष्ट्र (UN) महासचिव एंतोनियो गुतारेस के एक प्रवक्ता ने कहा है कि पत्रकार जो कुछ भी लिखते हैं, ट्वीट करते हैं या कहते हैं, उसके लिए उन्हें जेल नहीं भेजा जाना चाहिए. उन्होंने एक पाकिस्तानी पत्रकार के सवाल के जवाब में ये बातें कही. पाकिस्तान के एक पत्रकार ने पूछा था कि क्या वह जुबैर की रिहाई का आह्वान करते हैं. जुबैर को एक हिन्दू देवता के विरुद्ध 2018 में किये गए एक आपत्तिजनक ट्वीट के मामले में गिरफ्तार किया गया है.

यूएन में जुबैर की रिहाई की मांग

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक यूएन महासचिव के प्रवक्ता ने कहा कि दुनिया में कहीं पर भी यह बेहद जरूरी है कि लोगों को खुलकर अपनी कहने की अनुमति दी जाए और पत्रकारों को बिना किसी भय के अपनी बात कहने की इजाजत होनी चाहिए. वहीं दूसरी तरफ एक गैर सरकारी संगठन ‘कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स’ (सीपीजे) ने भी जुबैर की गिरफ्तारी की निंदा की है. वाशिंगटन में सीपीजे के एशिया कार्यक्रम समन्वयक स्टीवन बटलर ने कहा कि जुबैर की गिरफ्तारी से भारत में प्रेस की स्वतंत्रता का स्तर और नीचे चला गया. सरकार ने सांप्रदायिक मुद्दों से जुड़ी खबरें प्रकाशित करने वाले प्रेस के सदस्यों के लिए एक असुरक्षित शत्रुतापूर्ण माहौल बना दिया है. उन्होंने मांग की है कि अधिकारियों को तत्काल और बिना किसी शर्त के जुबैर को रिहा करना चाहिए और उन्हें बिना किसी दखलंदाजी के अपनी पत्रकारिता करने देना चाहिए.

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ये है पूरा मामला

  • एक सोशल मीडिया यूजर ने वर्ष 2018 में जुबैर द्वारा किए गए एक ट्वीट को लेकर धार्मिक भावनाओं को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया. पुलिस ने इस मामले में आईपीसी सेक्शन 153 ए (अलग-अलग समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने) और 295 ए (धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाली गलत हरकत) के तहत शिकायत दर्ज की है. इंडियन एक्सप्रेस को पुलिस सूत्रों के जरिए मिली जानकारी के मुताबिक जुबैर के खिलाफ हनुमान भक्त नाम के ट्विटर यूजर ने शिकायत दर्ज कराई है. सोमवार की रात तक भगवान हमुनान की प्रोफाइल फोटो वाले इस ट्विटर हैंडल के 400 से अधिक फॉलोअर्स थे.
  • गिरफ्तार के बाद आल्टन्यूज के को-फाउंडर प्रतीक सिन्हा ने ट्वीट किया कि जुबैर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने वर्ष 2020 के एक केस की जांच के सिलसिल में बुलाया था जिसे लेकर पहले ही जुबैर को हाईकोर्ट से गिरफ्तारी से छूट मिल चुकी है. हालांकि इसके बावजूद उन्हें एक अन्य मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया, जिसके लिए कोई नोटिस नहीं भेजी गई थी जोकि उस सेक्शन के तहत जरूरी है जिसके तहत जुबैर को गिरफ्तार किया गया है. इसके अलावा सिन्हा का कहना है कि बार-बार अनुरोध किए जाने के बाद उन्हें एफआईआर कॉपी नहीं दी गई. सिन्हा वर्ष 2020 के जिस केस की बात कर रहे हैं, वह पोस्को एक्ट से जुड़ा हुआ है.

भारत में भी हो रहा जुबैर रकी गिरफ्तारी का विरोध

आल्टन्यूज के को-फाउंडर जुबैर की गिरफ्तारी का कांग्रेस, टीएमसी, राजद, एआईएमआईएम और लेफ्ट पार्टियों ने विरोध किया है. विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि बीजेपी की एनडीए सरकार उन सभी के खिलाफ कार्रवाई कर रही है जो उनके हेट स्पीच और फर्जी प्रोपगंडा को एक्सपोज करते हैं. विपक्षी नेताओं ने जुबैर की तत्काल रिहाई की मांग की है. बता दें कि इस महीने की शुरुआत में बीजेपी प्रवक्ता नुपूर शर्मा द्वारा प्रोफेट पर की गई एक टिप्पणी को जुबैर ने हाईलाइट किया जिसके चलते गल्फ समेत दुनिया के कई देशों में इस पर प्रतिक्रियाएं आने लगी. इसके चलते केंद्र सरकार को शर्मा के बयान से दूरी बनानी पड़ी और नुपूर शर्मा को सस्पेंड कर दिया गया. नुपूर शर्मा के अलावा पार्टी के एक और प्रवक्ता नवीन कुमार जिंदल को भी बीजेपी ने सस्पेंड कर दिया.

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