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दुनिया की दो प्रमुख एजेंसियों मूडीज (Moody's) और डीबीएस (DBS) ने भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर का अनुमान घटा दिया है. मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विसेज ने 2019 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान घटाकर 5.6 फीसदी कर दिया है. वहीं, सिंगापुर की फाइनेंशियल सर्विसेज प्रोवाइडर कंपनी डीबीएस बैंकिंग समूह ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 में भारत की विकास दर का अनुमान 5.5 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया है.
इससे पहले, रिजर्व बैंक ने भी नरम देश की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 6.1 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया है. इसके अलावा, आईएमएफ ने भी देश की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 7 फीसदी से घटाकर 6.1 फीसदी किया है. विश्वबैंक ने भी यह अनुमान घटाकर 6 फीसदी कर दिया है. एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भी 2019-20 के लिये भारत की विकास दर का अनुमान 6.5 फीसदी से घटाकर 5.1 फीसदी किया है.
Moody's ने रिपोर्ट में क्या कहा?
मूडीज ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट में कहा कि रोजगार की धीमी वृद्धि दर का उपभोग पर असर पड़ रहा है. उसने कहा कि वृद्धि दर में इसके बाद सुधार होगा और यह 2020 और 2021 में क्रमश: 6.6 फीसदी और 6.7 फीसदी रह सकती है. हालांकि वृद्धि दर सुधार के बाद भी पहले की तुलना में कम बनी रहेगी.
मूडीज की रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘हमने 2019 के लिये भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 5.6 फीसदी कर दिया है, जो 2018 के 7.4 फीसदी से कम है.’’
मूडीज ने कहा, ‘‘भारत की आर्थिक वृद्धि दर की रफ्तार मध्य 2018 के बाद सुस्त पड़ी है और वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर करीब 8 फीसदी से गिरकर 2019 की दूसरी तिमाही में 5 फीसदी पर आ गई.’’ जीडीपी सितंबर तिमाही में और गिरकर 4.5 फीसदी पर दर्ज की गई.
कंज्यूमर डिमांड सुस्त, रोजगार में कमी: मूडीज
मूडीज का कहना है, ‘‘कंज्यूमर डिमांड सुस्त हुई है और रोजगार की धीमी वृद्धि दर ने उपभोग पर असर डाला है. हम वृद्धि दर के 2020 और 2021 में सुधरकर 6.6 फीसदी और 6.7 फीसदी पर पहुंच जाने की उम्मीद करते हैं.’’ मूडीज ने कहा कि कॉरपोरेट टैक्स में कटौती, बैंकों का रिकैपिटलाजेशन, इन्फ्रा खर्च, ऑटो एवं अन्य इंडस्ट्री को बूस्ट देने की सरकार की कोशिशों से कंज्यूमर डिमांड की समस्या सीधे तौर पर दूर नहीं हुई है.
इसके अलावा, रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दर में की गई कटौती का लाभ बैंकों ने पर्याप्त तरीके से उपभोक्ताओं तक आगे नहीं बढ़ाया है. आर्थिक सुस्ती और लिक्विडिटी संकट के कारण कॉमर्शियल वाहनों की बिक्री वित्त वर्ष 2019-20 के पहले छह महीनों में 22.95 फीसदी कम हुई है.
फाइनेंशियल सेक्टर में चैलेंज: DBS
डीबीएस ने अपनी रिपोर्ट ‘भारत वार्षिक परिदृश्य 2020’ में कहा कि इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था पर आर्थिक गतिविधियों में तेज गिरावट तथा फाइनेंशियल सेक्टर में बनी चुनौतियां हावी रही हैं. उसने कहा, ‘‘यह नरमी कई कारकों के कारण है. यह आंशिक तौर पर चक्रीय है और इसका कारण संरचनात्मक भी है. इससे लगता है कि 2020 में भी सुधार की गति धीमी रह सकती है.’’ डीबीएस ने कहा कि अनुकूल मूलभूत प्रभाव और आसान मौद्रिक स्थितियां मांग को समर्थन दे सकती हैं.
डीबीएस ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 5.8 फीसदी पर पहुंच सकती है. उसने कहा कि फरवरी में पेश होने वाले आम बजट में मांग को बढ़ावा देने वाले उपायों की घोषणा की जा सकती है. इससे अल्पावधि में आर्थिक वृद्धि को सहारा मिल सकता है.
इसके अलावा सरकारी खर्च को पुन: प्रारंभ करने तथा भंडार में पुन: वृद्धि से उत्पादन को मदद मिल सकती है. डीबीएस ने कहा, ‘‘हमें मौद्रिक, वित्तीय तथा वृहद नीतियों के द्वारा तीन स्तरीय समर्थन की उम्मीद बनी हुई है.’’