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The immediate fiscal deficit dynamics and growth outcomes for India post Covid-19 lockdown have been the subject of intense analysis and discussion.
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India FY21 GDP Growth Outlook Moody's/Lockdown: लॉकडडाउन के चलते भारत की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगने का अनुमान है. वित्त वर्ष 2021 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट शून्य रह सकता है. मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने अपनी एक रिपोर्ट में शुक्रवार को ये बात कही है. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि भारत को लॉकडाउन के चलते बड़ी गिरावट झेलनी पड़ेगी. वित्तवर्ष 2020-21 में भारत की ग्रोथ जीरो पर ठहर सकती है, लेकिन 2022 में भारतीय अर्थव्यवस्था में तेज रिकवरी होगी. हालांकि मूडीज ने यह भी कहा कि वित्त वर्ष 2022 में भारतीय अर्थव्यवस्था की जीडीपी ग्रोथ 6.6 फीसदी तक जा सकती है. ऐसा होता है तो भारत को मंदी के संकट से निकलने में बड़ी मदद मिलेगी.
रेटिंग में अपग्रेड की स्थिति नहीं
रेटिंग एजेंसी ने संकेत दिया कि फिलहाल "Baa2 नेगेटिव" रेटिंग में अपग्रेड की कोई सूरत नजर नहीं आ रही है. कोरोनावायरस संकट के कारण देशभर में 25 मार्च से लॉकडाउन की स्थिति है. देश में आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह ठप हैं. इससे कंपनियों पर कर्ज का बोझ बढ़ गया है. जिसकी वजह से GDP की ग्रोथ कमजोर हुई है. मूडीज ने कहा कि नेगेटिव आउटलुक से साफ है कि आर्थिक गतिविधियां काफी कमजोर हो चुकी हैं.
बता दें कि मूडीज ने नवंबर 2019 में इंडिया की रेटिंग डाउनग्रेड करते हुए स्टेबल से नेगेटिव कर दिया था. कमजोर आर्थिक ग्रोथ की वजह से इंडिया की रेटिंग डाउनग्रेड हुई थी. मूडीज ने तब भारत को "Baa2" रेटिंग दी थी.
राजकोषीय घाटा बढ़ने का अनुमान
मूडीज ने राजकोषीय घाटे के भी 5.5 फीसदी तक रहने का अनुमान जताया है. इससे पहले बजट में भारत के वित्त मंत्री ने 3.5 फीसदी के घाटे की बात कही थी. मूडीज ने कहा कि कोरोना के संकट के चलते भारत पूरी तरह से थम गया है और इस साल इसका असर देखने को मिलेगा. मूडीज ने कहा कि केंद्र सरकार के घाटे के लक्ष्य, राज्य स्तर के घाटे का विस्तार यह दर्शाती है कि राजकोषीय नीति निर्धारण कम प्रभावी रहा है.
अभी ये हैं दिक्कतें
कोविड -19 का तेजी से प्रसार हो रहा है, वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण में गिरावट, तेल की कीमतें निचले सतरों पर बनी हुई हैं, वित्तीय बाजार में उथल-पुथल और बड़ा संकट पैदा कर रहा है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में लंबे समय से आर्थिक संकट चल रहा है. नौकरियों के सृजन में कमी और अब एनबीएफसी के नकदी संकट में घिरने के चलते भारत की अर्थव्यवस्था गहरे संकट में जा सकती है.