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मूडीज ने मंगलवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष मौजूद संरचनात्मक चुनौतियों को देखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का 2020-21 के बजट में आर्थिक वृद्धि का अनुमान महत्वकांक्षी लगता है. बजट में वर्तमान बाजार मूल्य पर जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष में 10 फीसदी और वित्त वर्ष 2021-22 और 2022-23 में क्रमश: 12.6 फीसदी और 12.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है. हालांकि, मूडीज ने अगले वित्त वर्ष में वृद्धि दर (बाजार मूल्य पर) 8.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया है जबकि चालू वित्त वर्ष में इसके 7.5 फीसदी रहने की संभावना है.
FY21 में GDP 5.5 फीसदी रहने का अनुमान
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि वृद्धि परिदृश्य कमजोर बना हुआ है. चालू वित्त वर्ष में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 4.9 फीसदी रहने का अनुमान है जो सरकार के 5 फीसदी के अनुमान से कम है. वहीं अगले वित्त वर्ष में इसके 5.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है जबकि आर्थिक समीक्षा में इसके 6 से 6.5 फीसदी रहने की संभावना जताई गई है.
बजट पर अपनी टिप्पणी में मूडीज ने कहा कि वृद्धि अपेक्षाकृत कमजोर बनी हुई है. चक्रीय चुनौतियों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में जारी दबाव की वजह से वित्तीय प्रणाली पर कर्ज देने को लेकर दबाव है जिसका असर खपत और निवेश पर पड़ा है. एजेंसी ने अगले वित्त वर्ष 2020-21 के लिये आर्थिक वृद्धि अनुमान को 6.3 फीसदी से कम कर 5.5 फीसदी कर दिया है. वहीं 2021-22 में इसके 6 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है जबकि पूर्व में 6.7 फीसदी रहने की संभावना व्यक्त की गई थी.
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वित्तीय क्षेत्र में नरमी: मूडीज
मूडीज ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र में नरमी की स्थिति है. गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (एनबीएफआई) से कर्ज वृद्धि में बाधा है. वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में संपत्ति गुणवत्ता मसले से निजी क्षेत्र का निवेश कमजोर है. साथ ही ग्रामीण परिवारों में वित्तीय दबाव और रोजगार सृजन में कमी से खपत मांग कमजोर बनी हुई है. एजेंसी के अनुसार वर्तमान मूल्य पर जीडीपी वृद्धि भी उल्लेखनीय रूप से कम हुई है. 2018-19 में 11.2 फीसदी की वृद्धि के बाद सरकार ने जुलाई 2019 के बजट में चालू वित्त वर्ष के दौरान इसके 12 फीसदी रहने की संभावना जताई थी.
हालांकि, पिछले महीने सरकार के पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक वर्तमान मूल्य पर जीडीपी वृद्धि 2019-20 में घटकर करीब 7.5 फीसदी रह सकती है. एजेंसी के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष संरचनात्मक और चक्रीय चुनौतियों को देखते हुए ये अनुमान महत्वकांक्षी लगता है.
मूडीज ने यह भी कहा कि सरकार को मार्च 2021 को खत्म वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. इसका कारण वृद्धि के समक्ष संरचनात्मक और चक्रीय चुनौतियां है. वित्त मंत्री ने अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 3.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है जबकि चालू वित्त वर्ष में अनुमान को बढ़ाकर 3.8 फीसदी कर दिया गया है.