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Morbi Bridge Collapse: मोरबी नगरपालिका तक पहुंची हादसे की जांच, पुलिस ने कहा, मरम्मत के दौरान नहीं किया गया पुल का स्ट्रक्चरल टेस्ट

पुलिस ने हादसे मामले में पुल के सिक्योरिटी गार्ड, टिकट क्लर्क समेत कुल 9 लोगों को आरोपी बनाया है. इन सभी पर आईपीसी की धारा 299 के तहत गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है.

पुलिस ने हादसे मामले में पुल के सिक्योरिटी गार्ड, टिकट क्लर्क समेत कुल 9 लोगों को आरोपी बनाया है. इन सभी पर आईपीसी की धारा 299 के तहत गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है.

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FE Hindi Desk
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The mishap caused the death of at least 135 people and injuries to more than 180 others.

Morbi bridge collapse: गुजरात के मोरबी में छठ पर्व के दौरान पुल गिरने से हुए हादसे में बड़ी लापरवाही की बात सामने आ रही है. इस हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई, जबकि सैंकड़ो लोग घायल हो गए. मामले की जांच कर रही पुलिस इन्वेस्टिगेशन टीम ने हादसे को लेकर मोरबी म्युनिसिपालिटी के चीफ ऑफिसर संदीप सिंह ज़ाला से पूछताछ की.

मोरबी म्युनिसिपालिटी के चीफ ऑफिसर से पूछताछ

पुलिस की पूछताछ में ज़ाला ने बताया कि ओरेवा ग्रुप द्वारा निजी ठेकेदारों को दिये गए पुल की रिपेयरिंग के काम में लापरवाही बरती गई. उन्होंने बताया कि रिपेयरिंग के दौरान ब्रिज की मजबूती को जांचने के लिए कोई भी साइंटिफिक टेस्ट नहीं किया था. करीब 4 घंटे तक चली पूछताछ में पुलिस ने ज़ाला से पुल और उसके मेंटिनेंस के लिए दिए ठेके के बारे में सवाल जवाब किये. मोरबी के पुलिस उपाधीक्षक पीए ज़ाला पुलिस इन्वेस्टिगेशन टीम को लीड कर रहे हैं.

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नहीं हुआ पुल का स्ट्रक्चरल या साइंटिफिक टेस्ट

मामले को लेकर चीफ इंवेस्टिगेशन ऑफिसर पीए ज़ाला ने बताया कि पुल के रख रखाव की जिम्मेदारी देवप्रकाश फेब्रिकेशन लिमिटेड के पास थी. इस कंपनी के मालिक प्रकाशभाई लालजीभाई परमार और उनका बेटा देवांगभाई प्रकाशभाई परमार है. इस कंपनी ने पुल की रिपेयरिंग के दौरान किसी भी प्रकार का कोई भी स्ट्रक्चरल या साइंटिफिक टेस्ट नहीं किया था. इस कंपनी को ओरेवा ग्रुप द्वारा ठेका दिया गया था.

मार्च में हुई थी पुल की रिपेयरिंग

मोरबी म्युनिसिपालिटी ने इस साल मार्च में ओरेवा ग्रुप की एक कंपनी अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड के साथ 15 साल का एक कॉन्ट्रेक्ट किया था, जिसके बाद पुल को मरम्मत के लिए करीब 7 महीने के लिए बंद कर दिया गया था. परमार और ओरेवा ग्रुप के दो मैनेजर दीपक नविंदचंद्र पारेख और दिनेश महासुखराय दवे 5 नवंबर तक की न्यायिक हिरासत में हैं. मामले में पुलिस ने पुल के सिक्योरिटी गार्ड, टिकट क्लर्क समेत कुल 9 लोगों को आरोपी बनाया है. इन सभी पर आईपीसी की धारा 299 के तहत गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है.

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पीए ज़ाला ने बताया कि परमार की कंपनी ने ओरेवा ग्रुप के साथ 2007 में भी कॉन्ट्रेक्ट साइन किया था, उस समय इस कंपनी का नाम विश्वकर्मा था. इस कंपनी के कर्त्ताधर्ता सभी कुछ देवप्रकाशभाई थे.

मामले में और भी गंभीर धाराओं को जोड़ा जाएगा

पब्लिक प्रॉसिक्यूटर एचएस पांचाल ने बताया कि स्थानीय अदालत ने मामले में आईपीसी की धारा 336 और 337 को भी जोड़ने की इजाजत दे दी है, जबकि मामले में मेडिकल सर्टिफिकेट आने के बाद IPC की धारा 338 को जोड़ा जा सकता है. ये सभी धाराएं लापरवाही, चोट पहुंचाने के लिए किये गए कार्य से संबंधित हैं. पुलिस ने बताया कि हादसे वाले दिन प्रबंधन द्वारा दो से ढाई हजार टिकटें जारी की गई थी, जो सामान्य दिनों के मुकाबले बहुत ज्यादा थी. पुलिस के मुताबिक हादसे के समय पुल पर करीब तीन सौ लोग मौजूद थे.

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