/financial-express-hindi/media/post_banners/A9EDTVZnXU8LBVO8iaVW.jpeg)
उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान कराए गए पंचायत चुनावों को संक्रमण फैलने की बड़ी वजह बताया जाता है.
Covid-19 Deaths In UP: उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक और प्राइमरी स्कूलों के अन्य कर्मचारियों को बड़े पैमाने पर कोरोना का कहर झेलना पड़ा है. यह दावा उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ ने किया है. संगठन का कहना है कि राज्य में अप्रैल के पहले सप्ताह से 16 मई तक 1600 से ज्यादा प्राइमरी टीचर्स और कर्मचारियों ने कोरोना इंफेक्शन की वजह से दम तोड़ दिया है. संघ का दावा है कि इनमें 90 फीसदी से ज्यादा शिक्षक और कर्मचारी वे थे, जिन्हें महामारी के बढ़ते प्रकोप के बावजूद प्रदेश में कराए गए पंचायत चुनावों में ड्यूटी करनी पड़ी थी. हालांकि उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी का दावा है कि इन सभी लोगों की मौत के लिए कोरोना इंफेक्शन को जिम्मेदार बताना ठीक नहीं है. उनका दावा है कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इनमें से सिर्फ तीन शिक्षकों की मौत कोरोना के कारण हुई है.
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ दिनेश चंद्र शर्मा के मुताबिक बेसिक शिक्षा विभाग के 1621 शिक्षक और कर्मचारी अप्रैल के पहले हफ्ते से लेकर 16 मई तक कोविड-19 की दूसरी लहर की वजह से जान गवां चुके हैं. उनका कहना है कि इनमें 90 फीसदी से ज्यादा शिक्षक वे हैं जिन्हें पंचायत चुनाव में ड्यूटी पर भेजा गया था. शर्मा का दावा है कि सिर्फ 8-10 शिक्षकों की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई है और ज्यादातर लोग कोविड-19 की वजह से ही मौत की चपेट में आए हैं.
तीसरे चरण तक 706 शिक्षकों-कर्मचारियों की मौत हो चुकी थी : शर्मा
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष ने अपने बयान में कहा है कि पंचायत चुनावों का तीसरा चरण आते-आते बेसिक एजुकेशन डिपार्टमेंट के 706 शिक्षकों-कर्मचारियों की मौत हो चुकी थी. चुनाव का चौथा और अंतिम चरण पूरा होने और मतगणना होने तक महज एक पखवाड़े के भीतर यह संख्या बढ़कर 1600 से ज्यादा हो गई. डॉ शर्मा का कहना है कि प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी के साथ हुई बैठक के दौरान उन्हें भरोसा दिलाया गया था कि जो शिक्षक और कर्मचारी अस्वस्थ होंगे उन्हें मतदान और मतगणना की ड्यूटी पर नहीं लगाया जाएगा. लेकिन दरअसल हुआ यह कि जो लोग बीमार होने की वजह से मतदान और मतगणना के दिन ड्यूटी नहीं कर सके उनके खिलाफ निलंबन या वेतन कटौती जैसी कार्रवाई शुरू कर दी गई.
किसी अधिकारी, जन-प्रतिनिधि ने दुख नहीं जताया: शिक्षक संघ
डॉ शर्मा ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग के एक भी अधिकारी या जन प्रतिनिधि ने इतने शिक्षकों-कर्मचारियों मौत पर दुख तक जाहिर नहीं किया, जबकि ये वही शिक्षक हैं, जिन्होंने ने कोरोना की पहली लहर के दौरान मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए 76 करोड़ रुपये का योगदान किया था. शिक्षक संघ ने चुनावी ड्यूटी की वजह से जान गवांने वाले सभी शिक्षकों, कर्मचारियों के परिजनों को 1 करोड़ रुपये की सहायता दिए जाने की मांग की है.
मंत्री के मुताबिक सिर्फ 3 शिक्षकों की चुनावी ड्यूटी पर मौत हुई
शिक्षक संघ के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि सभी लोगों की मौत के लिए कोरोना इंफेक्शन को जिम्मेदार बताना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि चुनावी ड्यूटी के दौरान होने वाली मौत के मामले में देश के चुनाव आयोग की गाइडलाइन्स लागू होती हैं. उन्होंने कहा कि इन गाइडलाइन्स के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति की मौत पोलिंग पार्टी के पोलिंग किट लेकर रवाना होने से लेकर चुनाव बाद सारा सामान जमा करने के दरम्यान होती है, तभी उसे चुनावी ड्यूटी पर हुई मौत माना जाता है. पोलिंग स्टाफ की मौत के आंकड़े राज्य का चुनाव आयोग जिला प्रशासन की मदद से इकट्ठा करता है. उन्होंने दावा किया कि इन गाइडलाइन्स को ध्यान में रखते हुए जुटाई गई जानकारी के मुताबिक चुनावी ड्यूटी के दौरान सिर्फ तीन शिक्षकों की मौत हुई है.
मंत्री द्विवेदी ने कहा कि हम इससे इनकार नहीं कर रहे कि बाकी लोगों की भी मौत हुई होगी. लेकिन उनमें डॉक्टर, पुलिसकर्मी, किसान, व्यापारी सभी शामिल हो सकते हैं. द्विवेदी ने कहा कि कोविड-19 की वजह से हजारों लोगों की मौत हुई है. उनमें शिक्षक भी शामिल हैं. वे सभी हमारे परिवार का हिस्सा थे, जिनके निधन से हम दुखी हैं.
किसे पता संक्रमित व्यक्ति को इंफेक्शन कब लगा था : मंत्री
शिक्षक संघ के दावे पर सवाल उठाते हुए मंत्री ने कहा कि इन सभी मौतों को हम चुनाव से नहीं जोड़ सकते हैं, क्योंकि इसके लिए हमारे पर कोई तय मापदंड नहीं है. क्या कोई संक्रमित व्यक्ति यह दावे से कह सकता है कि उसे इंफेक्शन किस वक्त लगा था? मान लीजिए कि किसी संक्रमित व्यक्ति में बीमारी के कोई लक्षण नहीं हैं. वो चुनावी ड्यूटी पर जाता है और फिर उसकी मौत हो जाती है. अब उसकी मौत को आप चुनावी ड्यूटी पर हुई मौत कैसे मान सकते हैं? मंत्री ने यह भी पूछा कि अगर कोई व्यक्ति चुनावी ड्यूटी से लौटने के बाद उसी दिन अपने घर, गांव या रिश्तेदारों से मिलता है और उसके बाद वो मर जाता है, तो क्या उसे भी चुनाव ड्यूटी पर हुई मौत मानेंगे?
मौत पर सिर्फ दुख ही व्यक्त कर सकते हैं : मंत्री
बेसिक शिक्षा विभाग के 1621 शिक्षकों और कर्मचारियों की मौत के बारे में पूछे जाने पर द्विवेदी ने कहा, हमारे पास ऐसा कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है. शिक्षक संघ ने ये आंकड़े अपने संगठन के जरिए जुटाए हैं. क्या कोविड-19 से हुई मौतों का डिपार्टमेंट की तरफ से कोई ऑडिट हुआ है? ऐसे ऑडिट का कोई सिस्टम ही नहीं है. लोगों की मौत तो सामान्य तौर पर भी होती रहती है और महामारी के दौरान भी होती है. ऐसे में हम सिर्फ दुख ही व्यक्त कर सकते हैं.
/financial-express-hindi/media/agency_attachments/PJD59wtzyQ2B4fdzFqpn.png)
Follow Us