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Why Indians leaving citizenship: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को लोकसभा में बताया कि पिछले साढ़े तीन साल में देश के 5.61 लाख लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी है.(PTI Photo)
Modi Govt informs Lok Sabha : पिछले साढ़े तीन साल के दौरान साढ़े पांच लाख से ज्यादा भारतीयों ने देश की नागरिकता छोड़कर दूसरे देशों की नागरिकता ले ली है. ये खुलासा खुद भारत सरकार के आंकड़े कर रहे हैं. लोकसभा में सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक 2020 से 2022 के तीन सालों के दौरान देश की नागरिकता छोड़ने वालों की तादाद बेतहाशा बढ़ी है. सरकार के इन आंकड़ों का खुलासा विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में शुक्रवार को किया. विदेश मंत्री ने संसद को यह भी बताया कि अपनी नागरिकता छोड़ने वाले भारतीय किन देशों की सिटिजनशिप स्वीकार कर रहे हैं. इन देशों की फेहरिस्त वाकई हैरान करने वाली है.
विदेश मंत्री जयशंकर ने लोकसभा में दिए आंकड़े
लोकसभा में कांग्रेस सांसद कार्ति पी चिदंबरम द्वारा पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि पिछले साढ़े तीन वर्षों के दौरान 5,61,272 भारतीय नागरिकों ने अपनी नागरिकता छोड़ी है. कार्ति चिदंबरम ने सरकार से पूछा था कि पिछले तीन सालों के दौरान और इस साल में अब तक कितने भारतीय नागरिकों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी है.
कांग्रेस सांसद के सवाल के लिखित जवाब में विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि उनके मंत्रालय के पास मौजूद आंकड़ों के मुताबिक साल 2020 में 85,256 भारतीय नागरिकों ने अपनी नागरिकता छोड़ी थी. लेकिन 2021 में यह आंकड़ा तेजी से बढ़कर 1,63,370 हो गया. इसके बाद 2022 के साल में 2,25,620 भारतीय नागरिकों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी. वहीं जून 2023 तक कुल मिलाकर 87,026 भारतीय नागरिकों ने अपनी नागरिकता छोड़ी है.
साल दर साल नागरिकता छोड़ते भारतीय
विदेश मंत्री जयशंकर ने पिछले साढ़े तीन साल के आंकड़ों के साथ ही साथ 2011 से अब तक देश की नागरिकता छोड़ने वालों के आंकड़े भी लोकसभा में पेश किए. इन आंकड़ों के अनुसार साल दर साल भारत की नागरिकता छोड़ने वालों की तादाद इस प्रकार है :
- 2011 : 1,22,819
- 2012 : 1,20,923
- 2013 : 1,31,405
- 2014 : 1,29,328
- 2015 : 1,31,489
- 2016 : 1,41,603
- 2017 : 1,33,049
- 2018 : 1,34,561
- 2019 : 1,44,017
भारतीयों के नागरिकता छोड़ने की क्या है वजह?
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में दिए अपने जवाब में भारतीयों के बड़ै पैमाने पर नागरिकता छोड़ने के कारणों की चर्चा करते हुए कहा है कि पिछले दो दशकों के दौरान दुनिया भर में काम करने के लिए जाने वाले भारतीय नागरिकों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. इनमें से कई लोगों ने निजी सुविधा को ध्यान में रखते हुए विदेशी नागरिकता स्वीकार करने का विकल्प चुना है. उन्होंने बताया कि मोदी सरकार को इस घटनाक्रम की जानकारी है और उसने ‘मेक इन इंडिया’ पर केंद्रित कई नए उपाय शुरू किए हैं, जिनसे देश की प्रतिभाओं का घरेलू स्तर पर उपयोग करने में मदद मिलेगी.
किन देशों की नागरिकता ले रहे हैं भारतीय
कार्ति चिदंबरम ने यह जानकारी भी मांगी थी कि भारतीय की नागरिकता छोड़ने वालों ने किन देशों की नागरिकता स्वीकार की है. विदेश मंत्री ने इसके जवाब में उन देशों के पूरी सूची दी है, जिनकी नागरिकता भारतीयों ने ली है. चौंकाने वाली बात यह है कि 135 देशों की इस लिस्ट में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और यूरोप के विकसित देशों के अलावा घाना, यमन, इथियोपिया, बोलीविया, अल्जीरिया और बोत्सवाना से लेकर बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल और मालदीव जैसे पड़ोसी देशों के नाम भी शामिल हैं. इतनी बड़ी संख्या में लोगों का भारतीय नागरिकता छोड़कर विदेशी नागरिकता स्वीकार करना देश के लिए चिंता की बात है. इससे न सिर्फ देश से प्रतिभाओं का पलायन होता है, बल्कि विरोधियों को दुनिया भर में भारत की आर्थिक और राजनीतिक हैसियत बढ़ने के मोदी सरकार के दावों पर सवाल उठाने का मौका भी मिलता है.