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Narak Chaturdashi 2022: नरक चतुर्दशी आज, ये हैं शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व

इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा ने नरकासुर का वध किया था.

इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा ने नरकासुर का वध किया था.

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FE Hindi Desk
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Narak Chaturdashi, auspicious time, worship method, importance

नरक चतुर्दशी के दिन सुबह जल्दी उठकर अपने शरीर पर तेल से मालिश कर सूर्योदय से पहले की नहा लेना चाहिए

Narak Chaturdashi 2022: धनतेरस के साथ ही देश में पांच दिनों का दिवाली महापर्व शुरू हो गया है. आज देशभर में नरक चतुर्दशी मनाई जा रही है. इसे आमतौर पर लोग छोटी दिवाली के नाम से जानते हैं. इस बार नरक चतुर्दशी 23 के साथ ही 24 अक्टूबर को भी मनाई जाएगी. क्योंकि कार्तिक महीने की चतुर्दशी की तिथि दो दिन है. हिन्दू पंचांग के अनुसार चतुर्दशी तिथि की शुरूआत आज शाम 06:03 बजे से अगले दिन यानी 24 अक्टूबर को शाम 05:27 बजे तक रहेगी. इस दिन हनुमान जी और मृत्यु के देवता यमराज के पूजन का विधान है.

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पूजन विधि

नरक चतुर्दशी के दिन सुबह जल्दी उठकर अपने शरीर पर तेल से मालिश कर सूर्योदय से पहले की नहा लेना चाहिए. घर की साफ सफाई के बाद यमराज के नाम से तर्पण करना चाहिए और सूर्यास्त के बाद मंदिर, रसाईघर, देववृक्षों के नीचे, घर की बैठक में, नदियों के किनारे, बगीचे, बावली, गौशाला जैसी जगहों पर दीपदान करना चाहिए.

पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा ने नरकासुर का वध कर उसकी द्वारा अपहरण कर बंदीगृह में कैद की गईं 16,101 कन्याओं को मुक्त कराया था. नरकासुर की बंधक बनकर रहने वाली इन कन्याओं को समाज में कोई भी अपनाने को तैयार नहीं था. ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण सभी 16,101 कन्याओं को आश्रय देने के लिए अपने साथ द्वारका ले आये. इन सभी ने श्रीकृष्ण को अपना स्वामी मानते हुए पति रूप में स्वीकार किया.

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इस दिन को लेकर एक और धार्मिक मान्यता भी है. कहा जाता है कि जब वामन अवतार में भगवान विष्णु ने राजा बलि से पूरी पृथ्वी नाप कर दान में ले ली, तब राजा बलि के दान और भक्ति से प्रसन्न होकर वामन भगवान ने उससे वर मांगने को कहा, तो बलि ने वरदान में मांगते हुए कहा कि मेरे राज्य में जो भी कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से पांच दिनों तक यमराज के निमित्त दीपदान करेगा, उसे यमयातना सहनी नहीं पड़े.

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