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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने चंद्रमा पर भारत के महत्वकांक्षी चंद्रयान-2 मिशन के विक्रम लैंडर का मलबा मिलने का दावा करते हुए उसकी एक तस्वीर साझा की है. विक्रम लैंडर की 7 सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की कोशिश नाकाम रही थी. लैंडिंग से कुछ मिनट पहले विक्रम का इसरो से सम्पर्क टूट गया था.
नासा ने अपने ‘लूनर रिकॉनसन्स ऑर्बिटर’ (LRO) से ली गई तस्वीर में अंतरिक्ष यान से प्रभावित स्थल को और उस स्थान को दिखाया है, जहां मलबा हो सकता है. लैंडर के हिस्से कई किलोमीटर तक लगभग दो दर्जन स्थानों पर बिखरे हुए हैं.
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The #Chandrayaan2 Vikram lander has been found by our @NASAMoon mission, the Lunar Reconnaissance Orbiter. See the first mosaic of the impact site https://t.co/GA3JspCNuhpic.twitter.com/jaW5a63sAf
— NASA (@NASA) December 2, 2019
26 सितंबर की तस्वीर में हुई पहचान
नासा ने एक बयान में कहा कि उसने स्थल की एक तस्वीर 26 सितंबर को साझा की और लोगों से उस तस्वीर में लैंडर के मलबे को पहचानने की अपील की. नासा ने कहा कि भारतीय इंजीनियर शनमुगा सुब्रमण्यन ने LRO प्रॉजेक्ट से संपर्क किया और मुख्य दुर्घटनास्थल से लगभग 750 मीटर उत्तर पश्चिम में पहले टुकड़े की पहचान की.
नासा ने कहा, ‘‘यह जानकारी मिलने के बाद, एलआरओसी दल ने पहले की और बाद की तस्वीरें मिला कर इसकी पुष्टि की. पहले की तस्वीरें जब मिलीं थी, तब खराब रोशनी के कारण प्रभावित स्थल की आसानी से पहचान नहीं हो पाई थी.’’ नासा ने आगे कहा कि इसके बाद 14-15 अक्टूबर और 11 नवंबर को दो तस्वीरें हासिल की गईं.
नवंबर की तस्वीर थी सबसे बेहतर
एलआरओसी दल ने इसके आसपास के इलाके में छानबीन की और उसे प्रभावित स्थल (70.8810 डिग्री दक्षिण, 22.7840 डिग्री पूर्व) और मलबा मिला. नासा के अनुसार नवंबर में मिली तस्वीर के पिक्सल (0.7 मीटर) और रोशनी (72 डिग्री इंसीडेंस एंगल) सबसे बेहतर थी.
जुलाई में रवाना हुआ था चंद्रयान-2
चंद्रयान-2 को जुलाई में चांद के लिए रवाना किया गया था. अगर विक्रम लैंडर चांद की सतह पर 7 सितंबर को सही सलामत लैंड कर जाता तो भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बन जाता. वहीं चांद के दक्षिणी ध्रुव में पहुंचने वाला भारत पहला देश होता.
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