scorecardresearch

Shardiya Navratri 2022 : 26 सितंबर से शारदीय नवरात्र हो रहा है शुरू, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

एक साल में पांच बार नवरात्र आते हैं. इनमें से दो प्रत्यक्ष तो तीन गुप्त नवरात्र होते हैं. चैत्र, आषाढ़, अश्विन, पौष और माघ नवरात्र आते हैं.

एक साल में पांच बार नवरात्र आते हैं. इनमें से दो प्रत्यक्ष तो तीन गुप्त नवरात्र होते हैं. चैत्र, आषाढ़, अश्विन, पौष और माघ नवरात्र आते हैं.

author-image
FE Hindi Desk
एडिट
New Update
Shardiya Navratri 2022, Navratri, puja muhurat, significance

नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की होती है पूजा व उपासना

Shardiya Navratri 2022 : सनातन संस्कृति में नवरात्र मां शक्ति की उपासना का पवित्र पर्व है. नवरात्र के 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूप की पूजा व आराधना की जाती है. शास्त्रों का ज्ञान रखने वाले लोगों को छोड़कर ज्यादातर लोगों को लगता है कि नवरात्र एक साल में सिर्फ दो बार आते हैं, जबकि ऐसा नहीं है. सनातन धर्म के अनुसार एक साल में पांच बार नवरात्र पर्व आते हैं. ये नवरात्र हिन्दू माह चैत्र, आषाढ़, अश्विन, पौष और माघ में आते हैं. इन पांच में से दो नवरात्रों के बारे में तो सभी जानते हैं, जबकि बाकी तीन नवरात्रों के बारे में आम तौर लोगों को कोई जानकारी ही नहीं है. इन तीन नवरात्रों को गुप्त नवरात्र कहा जाता है. इन गुप्त नवरात्रों में सिद्धि प्राप्त करने वाले साधु संतों द्वारा विशेष पूजा व अनुष्ठान किये जाते हैं. आज हम आप को शारदीय नवरात्र के बारे में बता रहे हैं. अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से अगले नौ दिनों तक नवरात्र का पर्व मनाया जाता है. शरद ऋतु में आने की वजह से इन्हें शारदीय नवरात्र भी कहा जाता है.

26 सितंबर से शुरू हो रहे हैं शारदीय नवरात्र, पूजा और कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में नवरात्र का खास स्थान है

Advertisment

नवरात्र में मां आदि शक्ति के भक्त उनके नौ रूपों की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करते हैं. नवरात्र के पहले दिन माता की प्रतिमा और कलश की स्थापना की जाती है. कलश कलश के पास ही मिट्टी में जौ बोए जाने का भी विधान है. इन दिनों पूजन में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने पर विशेष पुण्य प्राप्त होता है. नवरात्र के दिनों में माता के शक्ति पीठों पर मेलों का आयोजन किया जाता है. इसके साथ ही स्थानीय मंदिरों में भी माता की विशेष पूजा कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. 

पौराणिक मान्यता

सनातन धर्म के शास्त्रों के अनुसार रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए भगवान श्रीराम ने भी नवरात्र में माता की उपासना की थी. इसके साथ ही अलग-अलग राज्यों में इसे लेकर अलग-अलग लोक कथाएं प्रचलित हैं. 

नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूप, व महत्व

●  माता शैलपुत्री - पहले नवरात्र में माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है. माता शैलपुत्री को मां दुर्गा का प्रथम स्वरूप माना जाता है. मां शैलपुत्री चंद्रमा की दशा को नियंत्रित करती हैं. माता शैलपुत्री की पूजा से चंद्रमा का दोष समाप्त हो जाता है.

● माता ब्रह्मचारिणी - नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है. माता ब्रह्मचारिणी को मां दुर्गा का दूसरा  स्वरूप माना जाता है. माता ब्रह्मचारिणी की पूजा से मंगल दोष दूर होते हैं. 

● माता चंद्रघंटा - नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. माता चंद्रघंटा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं. उनके पूजन से शुक्र ग्रह के दोष दूर होते हैं.

● माता कूष्मांडा - नवरात्र क चौथे दिन माता कूष्माण्डा की पूजा की जाती है. माता कूष्मांडा मां दुर्गा का चौथा स्वरूप है, माता का यह स्वरूप सूर्य की दशा को नियंत्रित करता है, कूष्मांडा माता के पूजन से सूर्य के कुप्रभावों से रक्षा होती है. 

● मां स्कंदमाता - नवरात्र के पांचवे दिन मां दुर्गा के 5वें स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है. माता का यह स्वरूप बुध ग्रह को नियंत्रित करता है. स्कंदमाता के पूजन से बुध ग्रह के दोष दूर हो जाते हैं. 

● माता कात्यायनी - नवरात्र के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा होती है. मां का यह स्वरूप बृहस्पति की दशा को नियंत्रित करता है. कात्यायनी माता के पूजन से बृहस्पति का दोष दूर हो जाता है.

●माता कालरात्रि - नवरात्र के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा होती है. मां दुर्गा का यह स्वरूप शनि की दशा को नियंत्रित करता है.  मां कालरात्रि की पूजा से शनि के दोष दूर हो जाता है.

● माता महागौरी - नवरात्र के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है. मां दुर्गा का यह रूप राहु की दशा को नियंत्रित करता है. माता महागौरी के पूजन से राहु दोष दूर हो जाते हैं.

● माता सिद्धिदात्री - नवरात्र के 9वें दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा होती है. माता का यह स्वरूप केतु की दशा को नियंत्रित करता है. सिद्धिदात्री माता के पूजन से केतु दोष दूर हो जाता है. 

Navratri Festival Festive Season Festival Season