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NHAI ने कहा कि उसने फास्टैग वाले लेन में घुसने वाले बिना टैग के 18 लाख वाहनों से 20 करोड़ रुपये वसूल किये हैं.
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भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने रविवार को कहा कि उसने टोल प्लाजा पर फास्टैग वाले लेन में घुसने वाले बिना टैग के 18 लाख वाहनों से 20 करोड़ रुपये वसूल किये हैं. सड़क परिवहन मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में इलेक्ट्रॉनिक टोल वसूली के लिये फास्टैग की शुरुआत की थी. मंत्रालय ने तब कहा था कि अगर कोई वाहन बिना टैग के सर्मिपत लेन में घुसता है तो उससे दो गुना टोल वसूल किया जायेगा.
प्राधिकरण ने एक बयान में कहा कि फास्टैग लेन में बिना टैग के घुसने वाले वाहनों से दो गुना टोल वसूला जा रहा है. उसने कहा कि अभी तक देश भर में 18 लाख वाहनों ने बिना टैग के फास्टैग लेन में घुसने की कोशिश की है और इनसे 20 करोड़ रुपये वसूले गये हैं. अभी तक देशभर में 1.55 करोड़ से अधिक फास्टैग जारी किये जा चुके हैं.
कैसे काम करता है फास्टैग?
फास्टैग सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय और NHAI की पहल है. यह एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन तकनीक है. एक एक रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान टैग है, जो गाड़ियों के आगे के शीशे पर लगा होता है. ताकि टोल प्लाजा से गुजरने पर वहां लगा सेंसर इसे रीड कर सके. जब फास्टैग की मौजूदगी वाला व्हीकल टोल प्लाजा से गुजरता है तो टोल टैक्स फास्टैग से जुड़े प्रीपेड या बचत खाते से खुद ही कट जाता है. मार्च 2020 तक फास्टैग के इस्तेमाल पर 2.5 फीसदी कैशबैक मिलेगा, जो इससे लिंक बैंक अकाउंट में सीधे आ जाता है.
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कैसे मिलेगा फास्टैग?
नई गाड़ी खरीदते समय ही डीलर से आप फास्टैग प्राप्त कर सकते हैं. पुराने वाहनों के लिए इसे नेशनल हाईवे के प्वाइंट ऑफ सेल (POS) से खरीदा जा सकता है. इसके अलावा फास्टैग को प्राइवेट सेक्टर के बैंकों से भी खरीद सकते हैं. Paytm से भी फास्टैग खरीद सकते हैं. अगर आप किसी प्वाइंट ऑफ सेल से फास्टैग खरीद रहे हैं तो वाहन का आरसी, वाहन मालिक की फोटो और केवाईसी डॉक्युमेन्ट्स होना चाहिए. इनमें आप ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, पासपोर्ट, वोटर आईडी कार्ड या आधार कार्ड दिखा सकते हैं.
(Input: PTI)