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नितिन गडकरी ने जब राजीव गांधी की बुआ को किया याद, 2024 के लोकसभा चुनाव के बारे में कर दिया ये बड़ा एलान

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने राजस्थान के एक कार्यक्रम के दौरान दिए भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सगी बुआ को बड़े सम्मान के साथ याद किया.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने राजस्थान के एक कार्यक्रम के दौरान दिए भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सगी बुआ को बड़े सम्मान के साथ याद किया.

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Viplav Rahi
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पूर्व उप-राष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत की जन्मशताब्दी पर राजस्थान के खाचरियावास में आयोजित समारोह में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Photo shared by Nitin Gadkari on Twitter)

Nitin Gadkari quotes Rajiv Gandhi's Bua Dr Aloo J. Dastur : बीजेपी के दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के बारे में बड़ा एलान किया है. राजस्थान के सीकर में सोमवार को दिए अपने भाषण में उन्होंने कहा है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान वे किसी पोस्टर-बैनर का इस्तेमाल नहीं करेंगे. उन्होंने दावा किया कि ऐसा करने के बावजूद उनकी जीत का मार्जिन और बढ़ जाएगा, क्योंकि लोग अब पोस्टर-बैनर देखकर नहीं, बल्कि सेवा देखकर वोट देते हैं. दिलचस्प बात ये भी है कि नितिन गडकरी ने अपने भाषण में कांग्रेस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की सगी बुआ को बड़े सम्मान के साथ याद किया.

पोस्टर से नहीं, सेवा से मिलता है वोट : गडकरी

नितिन गडकरी ने ये बातें राजस्थान के जिस कार्यक्रम में कहीं उसमें राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत समेत तमाम दिग्गज नेता मौजूद थे. प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत की जन्म शताब्दी के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में गडकरी ने कहा, "अब मैंने तय किया है कि अगले चुनाव में पोस्टर नहीं लगाऊंगा, बैनर नहीं लगाऊंगा, चाय नहीं पिलाऊंगा..और कुछ नहीं करूंगा…जिसको देना है वोट देगा, नहीं देना है नहीं देगा…मेरा विश्वास है कि पहले 3.5 लाख का मार्जिन था, अब और एक-डेढ़ लाख बढ़ जाएगा. कोई पोस्टर से चुनाव नहीं जीतता. आजकल लोग भी होशियार हो गए हैं. चुनाव के समय माल-पानी मिलता तो रख देते हैं. पति एक को वोट देता है, तो पत्नी दूसरे को वोट देती है और बच्चा तीसरी तरफ चला जाता है. वोट मिलता है सेवा की राजनीति से, विकास की राजनीति से, गांव में गरीबों के कल्याण से, स्वास्थ्य सुविधाएं देने से, युवाओं को रोजगार देने से, बच्चों को अच्छा स्कूल देने से और गरीबों को अच्छे अस्पताल देने से वोट मिलता है." गडकरी ने कहा कि मौजूदा समय में राजनीति की समस्या विचार भिन्नता नहीं, विचार शून्यता है. उन्होंने कहा कि आजकर राजनीति में आने वाले बातें तो बड़ी बड़ी करते हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद कथनी और करनी में बड़ा अंतर आ जाता है.

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प्रवाह के खिलाफ तैरना जिंदादिली का उदाहरण : गडकरी

अपने इसी भाषण के दौरान नितिन गडकरी ने भैरोंसिंह शेखावत को अपने विचारों के लिए मुश्किल हालात की परवाह न करने वाला नेता बताते हुए कहा, "अक्सर ये कहा जाता है कि सही नेता वो होता है, जो प्रवाह के खिलाफ बोलने की हिम्मत दिखाता है. आलू दस्तूर करके एक बहुत विद्वान विदुषी थीं, उन्होंने बहुत अच्छी बात कही थी कि नदी जब बहती है, तो प्रवाह के साथ काड़ी-कचरा और मरी हुई मछली जो होती है वो प्रवाह के साथ बहती है, पर जो जिंदा मछली होती है, वो हर समय प्रवाह के खिलाफ तैरती है. ये उसकी जिंदादिली का उदाहरण है."

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कौन थीं आलू दस्तूर

दिलचस्प बात यह है कि नितिन गडकरी ने जिन विद्वान महिला आलू दस्तूर की कही बात को बड़े सम्मान के साथ याद किया, वे देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की सगी बुआ यानी उनके पिता फिरोज गांधी की छोटी बहन थीं. डॉ. आलू जे दस्तूर न सिर्फ 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लेने वाली प्रखर स्वतंत्रता सेनानी थीं, बल्कि मशहूर समाज वैज्ञानिक भी थीं. मुंबई यूनिवर्सिटी के पोलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट की पूर्व प्रमुख डॉ दस्तूर की गिनती देश की बड़ी गांधीवादी शख्सियतों में होती थी. वे अपने जीवन के अंतिम वर्षों तक मुंबई में रहकर समाजसेवा का काम करती रहीं और नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहीं.

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