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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रूपे कार्ड और UPI ट्रांजैक्शंस पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) शुल्क का वहन सरकार द्वारा करने की घोषणा की है. जनवरी से 50 करोड़ रुपये से अधिक टर्नओवर वाली तमाम कंपनियों को अपने ग्राहकों को बिना किसी MDR शुल्क के डेबिट कार्ड और UPI QR कोड के जरिए भुगतान की सुविधा उपलब्ध करानी होगी. यह फैसला केंद्रीय बजट से पहले सरकारी बैंकों के शीर्ष अधिकारियों के साथ वित्त मंत्री की हुई समीक्षा बैठक में लिया गया. बजट 2019 में ही वित्त मंत्री ने इस बारे में एलान कर दिया था.
सीतारमण ने कहा, ‘‘लोग जब इस तरह के डिजिटल भुगतान के तौर तरीकों को अपनाना शुरू कर देंगे तो इस तरह के लेनदेन पर आने वाली लागत को रिजर्व बैंक और बैंक मिलकर वहन करेंगे. बैंकों और रिजर्व बैंक को कम नकदी के रखरखाव और कारोबार से जो बचत होगी, उससे डिजिटल भुगतान की लागत का वहन किया जाएगा.’’
क्या है MDR शुल्क
जब कोई ग्राहक किसी मर्चेंट के यहां पॉइंट-ऑफ-सेल्स (POS) टर्मिनल पर अपने डेबिट कार्ड से पेमेंट करता है तो तो मर्चेंट को अपने सर्विस प्रोवाइडर को एक शुल्क का देना होता है. इसे ही MDR शुल्क कहते हैं. यह शुल्क QR कोड आधारित लेनदेन पर भी लगता है. यह शुल्क लेन-देन की सुविधा देने वाले बैंक, PoS मशीन लगाने वाले वेंडर और वीजा या मास्टरकार्ड जैसे कार्ड नेटवर्क प्रोवाइडर्स के बीच बंटता है.
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To facilitate the implementation of Budget announcements for enhancing digital transactions, the Department of Revenue will notify RuPay and UPI as the prescribed mode of payment for undertaking digital transactions without any MDR.
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) December 28, 2019
बैंकों में डाले जाएंगे अतिरिक्त 8,855 करोड़
सीतारमण ने कहा कि बैंकों को मजबूत करने के लिए 60,314 करोड़ रुपये के हा​लिया कैपिटल इनफ्यूजन के अलावा 8,855 करोड़ रुपये के अतिरिक्त इन्फ्यूजन को मंजूरी दी गई है. इसमें से 4360 करोड़ रुपये इंडियन ओवरसीज बैंक, 2153 करोड़ रुपये इलाहाबाद बैंक, 2142 करोड़ रुपये यूको बैंक और 200 करोड़ रुपये आंध्रा बैंक में डाले जाएंगे. जल्द ही इस पैसे को जारी कर दिया जाएगा.
सरकार द्वारा किए गए सुधारों से बैंकों की स्थिति सुधरी है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का ग्रॉस NPA मार्च 2018 में 8.96 लाख करोड़ रुपये था, जो सितंबर 2019 तक घटकर 7.27 लाख करोड़ रुपये पर आ गया.
NBFCs के असेट में 12.83%
आगे कहा कि IL&FS डिफॉल्ट के बाद सरकारी सहयोग से NBFCs के असेट में 12.83 फीसदी की वृद्धि हुई है और यह 28.31 लाख करोड़ से बढ़कर 31.94 लाख करोड़ रुपये हो गया है. 81 फीसदी बाजार हिस्सेदारी रखने वाले 211 बड़े NBFCs के एसेट में 19.69 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है.
सरकारी बैंकों ने बांटे 11.68 लाख रेपो लिंक्ड रिटेल लोन
सीतारमण ने बताया कि 23 अगस्त को अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने के उपायों के एलान के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने आवास/वाहन/शिक्षा/पर्सनल लोन और सूक्ष्म व लघु उद्योगों के मामले में रेपो रेट से लिंक्ड 11.68 लाख रिटेल लोन मंजूर किए हैं. ये लोन कुल 1.32 लाख करोड़ रुपये के हैं. वित्त मंत्री ने बैंकों को निर्देश दिया कि वे भ्रष्टाचार को लेकर उनके अधिकारियों के खिलाफ दर्ज सतर्कता संबंधी मामलों का जल्द से जल्द निपटान करें.
Input: PTI