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किसी शब्द पर पाबंदी नहीं, खुलकर बात करें सांसद - असंसदीय शब्दों से जुड़े विवाद पर बोले लोकसभा स्पीकर

असंसदीय शब्दों की नई सूची से जुड़े विवाद पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि किसी शब्द पर पाबंदी नहीं है और सांसद अपनी बात कहने के लिए आजाद हैं.

असंसदीय शब्दों की नई सूची से जुड़े विवाद पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि किसी शब्द पर पाबंदी नहीं है और सांसद अपनी बात कहने के लिए आजाद हैं.

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FE Hindi Desk
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‘No word banned’ says Lok Sabha Speaker Om Birla on ‘unparliamentary’ words row

Earlier, Congress leader Adhir Ranjan Chowdhury had communicated to the Speaker that it was not the Opposition's intention to disrespect the chair.

Lok Sabha Speaker Om Birla amid ‘unparliamentary’ words row : असंसदीय शब्दों की नई सूची से जुड़े विवाद पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सफाई दी है. उन्होंने कहा है कि संसद में किसी शब्द के बोलने पर पाबंदी नहीं लगाई गई है और सांसद अपनी बात कहने के लिए आजाद हैं. उन्होंने कहा कि जिन लोगों को संसदीय परंपराओं की सही जानकारी नहीं है, वे तरह-तरह की टिप्पणियां करते हैं. ओम बिरला ने कहा कि देश में विधायिका (यानी लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों की विधानसभाएं) का स्थान सरकार से अलग है.

लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला को यह सफाई इसलिए देनी पड़ी क्योंकि लोकसभा सचिवालय द्वारा तैयार असंसदीय शब्दों की एक सूची की विपक्षी दल कड़ी आलोचना कर रहे हैं. उनका आरोप है कि यह सूची उनकी 'जुबान बंद करने वाला आदेश' है, जिसका मकसद नरेंद्र मोदी सरकार को 'आलोचना और कड़वी सच्चाइयों' से बचाना है. विपक्ष के तीखे तेवर सामने आने के बाद दिए बयान में बिरला ने कहा कि सांसदों के अधिकारों को उनसे कोई नहीं छीन सकता. हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि संसद की गरिमा और मर्यादा का ध्यान रखना भी जरूरी है.

राहुल गांधी के निशाने पर असंसदीय शब्दों की सूची

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इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने असंसदीय शब्दों की नई सूची पर ट्विटर के जरिए प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए डिक्शनरी का एक हिस्सा शेयर किया, जिसमें अंग्रेजी के शब्द Unparliamentary यानी असंसदीय की परिभाषा दी गई है. राहुल ने लिखा, "नए भारत के लिए नई डिक्शनरी. जिसमें असंसदीय विशेषण का अर्थ है, चर्चा और बहस के दौरान इस्तेमाल होने वाले ऐसे शब्द जो सरकार चलाने के प्रधानमंत्री के तौर-तरीकों का सही ढंग से वर्णन करते हों और जिन्हें बोलने पर अब पाबंदी है. ऐसे एक असंसदीय शब्द का उदाहरण है - जुमलाजीवी तानाशाह अपनी झूठी बातों और अयोग्यता का पर्दाफाश होने पर घड़ियाली आंसू बहाने लगता है."

ऐसे शुरू हुआ विवाद

दरअसल यह पूरा विवाद लोकसभा सचिवालय की एक नई पुस्तिका (booklet) की वजह से शुरू हुआ है, जिसमें जुमलाजीवी, विनाश पुरुष, बाल बुद्धि, गिरगिट, गुंडे, घड़ियाली आंसू, दलाल, कोविड स्प्रेडर और स्नूपगेट जैसे कई शब्दों को असंसदीय घोषित किया गया है. असंसदीय बताए गए इन शब्दों की सूची में तानाशाह, तानाशाही, संवेदनहीन, पिट्ठू, नौटंकी, निकम्मा, दोहरा चरित्र, ढिंढोरा पीटना, शकुनी, जयचंद, बहरी सरकार, ड्रामा, गद्दार, दादागीरी, विश्वासघात, अपमान, असत्य, अहंकार, काला दिन, काला बाजारी और खरीद-फरोख्त जैसे शब्द भी शामिल हैं. इस बुकलेट के सामने आने के बाद से ही कई विपक्षी नेताओं ने सरकार पर आलोचना से बचने के लिए उनकी आवाज़ बंद करने की कोशिश का आरोप लगाना शुरू दिया था.

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