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FY22 Estimates: Nomura ने करीब 2% घटाया विकास दर का अनुमान, आर्थिक गतिविधियों में भारी गिरावट

Nomura ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान 12.6% से घटाकर 10.8% किया, आर्थिक गतिविधियों में एक हफ्ते में 5 फीसदी की भारी गिरावट.

Nomura ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान 12.6% से घटाकर 10.8% किया, आर्थिक गतिविधियों में एक हफ्ते में 5 फीसदी की भारी गिरावट.

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PTI
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..lockdowns are more nuanced this time and consumers and businesses have adapted, it said, adding that international experience also suggests the same.

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Growth Rate Estimates For 2021-22: जापान की ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते भारत की विकास दर के अनुमानों में भारी कटौती कर दी है. कंपनी ने 2021-22 के दौरान भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान घटाकर 10.8 फीसदी कर दिया है. इससे पहले नोमुरा ने मौजूदा कारोबारी साल के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था के 12.6 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद जाहिर की थी. कंपनी ने यह भी कहा है कि कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण हो रहे लॉकडाउन का भारतीय अर्थव्यवस्था की रिकवरी पर काफी बुरा असर पड़ रहा है. नोमुरा के मुताबिक फिलहाल देश में आर्थिक गतविधियां गिरकर उस स्तर पर आ गयी हैं, जहां वो जून 2020 में थीं.

जापानी ब्रोकरेज फर्म के आकलन के मुताबिक 9 मई को खत्म सप्ताह के दौरान आर्थिक गतिविधियां महामारी से पहले के स्तर के मुकाबले महज 64.5 फीसदी फीसदी रह गई हैं. हालात इतने खराब हैं कि सिर्फ एक हफ्ते के दौरान आर्थिक गतिविधियों में 5 फीसदी की भारी गिरावट देखी जा चुकी है.

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नोमुरा का कहना है कि उसने भारत के जीडीपी ग्रोथ रेट के अनुमानों में जो कटौती की है वह लॉकडाउन की वजह आर्थिक गतविधियों में आ रही सुस्ती का नतीजा है. कंपनी का मानना है कि इसका असर अप्रैल-जून 2021 की तिमाही के दौरान आर्थिक विकास दर की धीमी पड़ती रफ्तार के रूप में भी नजर आने की आशंका है. कंपनी के मुताबिक वैक्सीनेशन, ग्लोबल रिकवरी और वित्तीय परिस्थितियों में सुधार जैसी सकारात्मक बातों के बावजूद स्थानीय परिस्थियों का बुरा असर अप्रैल से जून की तिमाही में देखने को मिलेगा.

नोमुरा ने इस बात की तरफ भी ध्यान दिलाया है कि आवाजाही पर लगी पाबंदियां आर्थिक गतिविधियों में गिरावट की बड़ी वजह हैं. कंपनी के मुताबिक 9 मई को खत्म हुए सप्ताह में लेबर पार्टिसिपेशन रेट कुछ बढ़कर 41.3 फीसदी रहा है, जो उसके पिछले हफ्ते में 38.9 फीसदी ही था. लेकिन बिजली की मांग में सप्ताह-दर-सप्ताह के आधार पर 4.1 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है, जो आर्थिक गतिविधियों के सुस्त पड़ने की गवाही दे रही है.

भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लगातार कई दिनों तक हर रोज़ 4-4 लाख नए मामले सामने आते रहे हैं. मौत के आंकड़े भी काफी बढ़े हुए हैं. इन हालात में देश के 20 से ज्यादा राज्यों में लॉकडाउन या लॉकडाउन जैसी सख्त पाबंदियां लागू हैं. महामारी को रोकने की इन कोशिशों का पिछले साल की मंदी से उबरने की कोशिशों पर बुरा असर पड़ रहा है.

वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान भारत की जीडीपी में 7.6 की भयानक गिरावट देखने को मिल चुकी है. मौजूदा वित्त वर्ष के लिए रिजर्व बैंक ने 10.5 फीसदी की ग्रोथ रेट हासिल करने की उम्मीद जाहिर की है, जिसका मुख्य आधार है पिछले साल की नकारात्मक विकास दर का बेस इफेक्ट. लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के कारण यह लक्ष्य हासिल होने की उम्मीद पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. कुछ विशेषज्ञों का तो मानना है कि अगर कोरोना की दूसरी लहर का 'पीक' जून में आया तो वित्त वर्ष 2021-22 की जीडीपी ग्रोथ रेट 8.2 फीसदी से ज्यादा नहीं हो पाएगी. पिछले कारोबारी साल के नकारात्मक बेस इफेक्ट को ध्यान में रखें तो यह विकास दर न के बराबर है.

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