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दक्षिण भारत के राज्यों और खाड़ी देशों में मिलने वाले वेतन के बीच का फासला कम हो रहा है जिसके चलते दक्षिण भारतीय राज्यों से विदेश जानों वालों की संख्या कम हो रही है. (File Photo- Pixabay)
NRI Remittances: आमतौर पर माना जाता है कि देश से बाहर काम करने वाले सबसे अधिक केरल राज्य से हैं और विदेश से सबसे अधिक कमाई इसी राज्य को मिलती है. हालांकि जल्द ही यह रूझान पलट सकता है. एक्सिस म्यूचुअल फंड (Axis Mutual Fund) की एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल से बाहर जाकर कमाने वालों यानी एनआरआई की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. रिपोर्ट में आरबीआई की एक स्टडी का हवाला दिया गया है जिसके मुताबिक वर्ष 2020 में विदेशी मामलों के मंत्रालय द्वारा जो इमिग्रेश क्लियर किए गए, उसमें से करीब 50 फीसदी उत्तर प्रदेश, ओडिसा, बिहार और पश्चिम बंगाल के थे.
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इस कारण दक्षिण भारत से घट रहा पलायन
एक्सिस म्यूचुअल फंड की रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण भारत के राज्यों और खाड़ी देशों में मिलने वाले वेतन के बीच का फासला कम हो रहा है जिसके चलते दक्षिण भारतीय राज्यों से विदेश जानों वालों की संख्या कम हो रही है. रिपोर्ट के मुताबिक केरल की बात करें तो वर्ष 2017 में इसकी जीडीपी में विदेशों से आने वाली आय की करीब 10 फीसदी हिस्सेदारी थी जो वित्त वर्ष 2021 में घटकर 7.5 फीसदी पर आ गई. कर्नाटक में भी एनआरआई रेमिटेंसेज (विदेशे में रहने वाले भारतीयों द्वारा स्वदेश भेजे जाने वाले पैसे) की हिस्सेदारी घट रही है. वहीं दूसरी तरफ उत्तरी भारत के राज्यों की जीडीपी में रेमिटेंसेज की हिस्सेदारी बढ़ रही है. कोरोना के चलते दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्यों की जीडीपी और वहां के परिवारों को जो तगड़ा झटका लगा, उसे रेमिटेंसेज से सपोर्ट मिला.
रेमिटेंस के मामले में यूएई को पछाड़ा अमेरिका ने
आरबीआई की स्टडी में एक और रूझान सामने आया है. स्टडी के मुताबिक रेमिटेंसेज में उत्तरी अमेरिका की हिस्सेदारी बढ़ रही है. एक्सिस म्यूचुअल फंड की रिपोर्ट के मुताबिक अब सबसे अधिक रेमिटेंस अमेरिका से आता है करीब 23.4 फीसदी जबकि यूएई अब कुल रेमिटेंस में 18 फीसदी हिस्सेदारी के साथ दूसरे पायदान पर फिसल गया. इस रिपोर्ट में संभावना जताई गई है कि इसके चलते रेमिटेंस में सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी घट रही है और अब निजी सेक्टर बैंकों की हिस्सेदारी बढ़कर 53 फीसदी हो गई है और भारत में विदेशी बैंकों की भी हिस्सेदारी बढ़ रही है.