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दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को को-लोकेशन घोटाला मामले में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की पूर्व CEO चित्रा रामकृष्ण को सात दिनों की CBI कस्टडी में भेज दिया.
NSE Co-Location Scam: दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को को-लोकेशन घोटाला मामले में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की पूर्व CEO चित्रा रामकृष्ण को सात दिनों की CBI कस्टडी में भेज दिया. रविवार रात को गिरफ्तार रामकृष्ण के लिए CBI ने 14 दिनों के हिरासत की मांग की थी. इसके पहले, पिछले महीने में NSE के पूर्व ग्रुप आपरेटिंग आफिसर आनंद सुब्रमण्यम की गिरफ्तारी हुई थी. उन्हें सीबीआई ने एनएसई मामले में चेन्नई से गिरफ्तार किया था. दोनों के ऊपर बाजार में हेरफेर का आरोप लगाया गया है.
एक सीबीआई अदालत ने आनंद सुब्रमण्यम की हिरासत को भी 9 मार्च तक बढ़ा दिया है. उन्हें सीबीआई ने एनएसई मामले में चेन्नई से गिरफ्तार किया था. माना जा रहा है कि इन 2 गिरफ्तारियों के बाद इस मामले में कुछ अहम खुलासे हो सकते हैं.
सीबीआई ने अदालत में क्या कहा
सीबीआई ने अदालत को बताया कि उसने अलग-अलग आरोपियों के बीच भेजे गए 2,500 ईमेल बरामद किए हैं और इसके साथ ही उसने अदालत के सामने 14 दिनों की हिरासत की मांग रखी थी. सीबीआई ने कहा कि आनंद सुब्रमण्यम के साथ रामकृष्ण का आमना-सामना हुआ लेकिन रामकृष्ण ने उसे पहचानने से भी इनकार कर दिया. अदालत में सीबीआई ने यह भी बताया कि उसने रामकृष्ण से पूछताछ के लिए एक सीनियर साइकोलॉजिस्ट की मदद ली. अधिकारियों ने कहा कि साइकोलॉजिस्ट ने भी यह निष्कर्ष निकाला कि रामकृष्ण सवालों का जवाब देने में टालमटोल कर रहीं थीं, इसलिए सीबीआई को उन्हें गिरफ्तार करना पड़ा. सीबीआई ने इससे पहले रामकृष्ण से लगातार तीन दिनों तक पूछताछ की थी.
क्या है को-लोकेशन घोटाला
शेयर खरीद-बिक्री के केंद्र देश के प्रमुख नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कुछ ब्रोकरों को ऐसी सुविधा दे दी गई थी, जिससे उन्हें बाकी के मुकाबले शेयरों की कीमतों की जानकारी कुछ पहले मिल जाती थी. इसका लाभ उठाकर वे भारी मुनाफा कमा रहे थे. अंदरूनी सूत्रों की मदद से उन्हें सर्वर को को-लोकेट करके सीधा एक्सेस दिया गया था. घोटाले की रकम 5 साल में 50,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है.
साल 2013 में NSE चीफ बनी थीं चित्रा
चित्रा रामकृष्ण चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) हैं. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 1985 में आईडीबीआई बैंक से की थी. उन्होंने कुछ समय के लिए सेबी में भी काम किया था. साल 1991 में एनएसई की स्थापना से ही वह मुख्य भूमिका में थीं. एनएसई के पहले सीईओ आरएच पाटिल की अगुआई में चित्रा उन 5 लोगों में शामिल थीं जिन्हें ‘हर्षद मेहता घोटाला’ के बाद एक पारदर्शी स्टॉक एक्सचेंज बनाने के लिए चुना गया था. साल 2013 में रवि नारायण का कार्यकाल समाप्त होने के बाद चित्रा को 5 साल के लिए एनएसई का चीफ बनाया गया था.