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Opposition on Fact Check Unit: केंद्र सरकार एक ऐसा यूनिट बनाने जा रही है जो सोशल मीडिया पर सरकार से संबंधित पोस्ट की जाने वाली ऑनलाइन कंटेंट की निगरानी करेगी और जरूरत पड़ने पर उसपर 'भ्रामक' या 'नकली' का टैग लगा देगी.
Opposition on Fact Check Unit: टीएमसी, आरजेडी और सीपीआई (एम) सहित कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने सोशल मीडिया पर नजर रखने के लिए एक फैक्ट चेकिंग रेगुलेटरी बॉडी बनाए जाने के फैसले को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की है. केंद्र सरकार एक ऐसा यूनिट बनाने जा रही है जो सोशल मीडिया पर सरकार से संबंधित पोस्ट की जाने वाली ऑनलाइन कंटेंट की निगरानी करेगी. अगर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स सरकार से संबंधित किसी भी सामग्री को हटाने या ब्लॉक करने में विफल रहता है, जिसे Meity द्वारा फेक के रूप में मार्क किया गया है तो उसपर कार्यवाई भी होगी.
विपक्ष भाजपा पर हमलावर
विपक्षी पार्टियों ने शुक्रवार को कहा कि यह कदम "सेंसरशिप लगाने" के समान है. जिसके जवाब में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने विपक्ष की आलोचना को "गलत सूचना" बताकर खारिज कर दिया. कांग्रेस पार्टी के संचार प्रमुख जयराम रमेश ने कहा कि भारत में फर्जी खबरें सबसे ज्यादा फैलाई जाती हैं वो वर्तमान में सत्ता पर बैठे लोगों का कार्यालय है. उन्होंने मांग की कि सरकार इस कदम को वापस ले. वहीं, लोकसभा सांसद और पूर्व सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि सरकार का निर्णय उसकी गहरी असुरक्षा को दर्शाता है. लोकसभा सांसद शशि थरूर ने भी सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम की आलोचना की.
क्या हुआ है बदलाव?
गुरुवार को इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में एक अमेंडमेंट किया. यह बदलाव मंत्रालय को फैक्ट-चेक बॉडी बनाने की अनुमति देता है. नए नियमों के अनुसार, फैक्ट चेक यूनिट द्वारा फेक मार्क किए गए कंटेंट को सोशल प्लेटफॉर्म्स द्वारा हटाया जाना होगा. अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो उनके ऊपर कानूनी कार्यवाई हो सकती है. अभी तक सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आईटी एक्ट की धारा 79 के तरह सेफ थे लेकिन अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मुश्किलों में फंस सकते हैं और उनके ऊपर कानूनी कार्यवाई भी हो सकती है. आईटी एक्ट 2000 की धारा 79 के तहत, बिचौलियों (सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स) को उनके प्लेटफार्मों पर कंटेंट के लिए किसी भी कानूनी दायित्व से सुरक्षित किया जाता है. क्योंकि प्लेटफॉर्म एक थर्ड पार्टी है जहां लोग अपने विचार शेयर करते हैं.
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इस कदम की निंदा करते हुए, राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के संसदीय दल के नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि मोदी-शाह की भाजपा, जो नकली समाचार बनाने में माहिर हैं, अब नकली समाचारों को नियंत्रित करना चाहती है. वहीं, सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो ने एक बयान में कहा कि यह पूरी तरह से अलोकतांत्रिक और अस्वीकार्य है. आईटी नियमों में किए गए इन संशोधनों को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए.