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द वायर और पेगासस प्रोजेक्ट में शामिल अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों का दावा है कि लिस्ट में शामिल नाम उन संभावित लोगों के हो सकते हैं, जिन्हें पेगासस स्पाईवेयर के जरिए निशाना बनाए जाने की आशंका है.
Pegasus Spyware Scandal Latest Update: इज़रायल में बने स्पाइवेयर पेगासस के जरिए भारत के कई अहम लोगों की जासूसी किए जाने के आरोपों में कुछ और चौंकाने वाले नाम जुड़ गए हैं. इस सिलसिले में सामने आई ताजा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पेगासस के जरिए टारगेट किए जाने वाले संभावित लोगों की कथित सूची में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पर्सनल असिस्टेंट और प्रधानमंत्री कार्यालय, नीति आयोग और प्रवर्तन निदेशालय जैसी अहम जगहों पर काम करने वाले अफसरों के टेलीफोन नंबर भी शामिल हैं. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या वाकई इन सभी लोगों की भी पेगासस के जरिए जासूसी की गई?
इतना ही नहीं, वेब पोर्टल द वायर की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पेगासस के संभावित टारगेट की इस सूची में देश के कई प्रमुख उद्योगपतियों के फोन नंबर भी शामिल हैं. इन उद्योगपतियों में जेट एयरवेज के पूर्व चेयरमैन नरेश गोयल, स्पाइसजेट के एमडी अजय सिंह और एस्सार ग्रुप के प्रशांत रुइया खास हैं. इनके अलावा रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ लंबे समय से जुड़े वी बालासुब्रमण्यम, अनिल धीरुभाई अंबानी (ADA) ग्रुप के ए एन सेतुरमन के नाम भी इस सूची में शामिल बताए जा रहे हैं.
द वायर के मुताबिक इस लिस्ट में गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया (GAIL) के पूर्व प्रमुख बीसी त्रिपाठी, रोटोमैक पेन्स के विक्रम कोठारी और उनके बेटे राहुल, एयरसेल के पूर्व प्रमोटर सी शिवासंकरन, अडाणी ग्रुप के मिड लेवल के एक अधिकारी, एस्सार ग्रुप के साथ काम कर चुके एक व्यक्ति, स्पाइसजेट के एक पूर्व कर्मचारी के फोन नंबर भी इस लिस्ट में मौजूद होने का दावा किया गया है.
वेबपोर्टल की रिपोर्ट के मुताबिक एलआईसी के एक पूर्व प्रमुख और गुजरात नर्मदा वैली फर्टिलाइज़र कॉरपोरेशन के एक पूर्व एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर से जुड़े फोन नंबर भी स्पाइवेयर के संभावित टारगेट की लिस्ट में हैं. इनके अलावा भारत की म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री से जुड़े कम से कम पांच कॉरपोरेट एक्जीक्यूटिव के नंबर भी इस सूची में हैं. इनमें फ्रैंकलिन टेंपलटन, डीएसपी ब्लैकरॉक और मोतीलाल ओसवाल जैसी कंपनियों के प्रोफेशनल भी शामिल हैं.
इनके अलावा इस लिस्ट में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate - ED) के वरिष्ठ अधिकारी राजेश्वर सिंह और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव का काम करने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी वीके जैन के फोन नंबर भी शामिल हैं. द वायर की इस रिपोर्ट के मुताबिक इस लिस्ट में प्रधानमंत्री कार्यालय और नीति आयोग के कम से कम एक-एक अधिकारी के नंबर भी मौजूद हैं.
पेगासस जासूसी कांड के सिलसिले में अब तक सामने आ चुकी पिछली रिपोर्ट्स में इस स्पाइवेयर के जरिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत विपक्ष के कई बड़े नेताओं या उनके करीबी लोगों को ही नहीं, खुद केंद्र सरकार के कुछ मंत्रियों तक को निशाना बनाए जाने की आशंका जाहिर की जा चुकी है. इनके अलावा देश के कई बड़े पत्रकारों और समाजसेवी संस्थाओं से जुड़े लोगों के नाम पेगागस के संभावित टारगेट की सूची में मिलने की बात भी इन रिपोर्ट्स में सामने आई चुकी है.
पेगासस स्पाइवेयर इज़रायल की कंपनी एनएसओ ग्रुप (NSO Group) ने बनाया है. कंपनी का दावा है कि उसका यह सॉफ्टवेयर सिर्फ चुनिंदा सरकारों या सरकारी एजेंसियों को ही बेचा जाता है. यही वजह है कि इस स्पाइवेयर के जरिए भारत में राजनेताओं और पत्रकारों समेत अहम लोगों की जासूसी किए जाने की आशंका के मामले में विपक्ष भारत सरकार पर उंगली उठा रहा है. हालांकि भारत सरकार और पेगागस स्पाइवेयर बनाने वाली इजरायल की कंपनी, दोनों ही इन आरोपों को बेबुनियाद बता रहे हैं.
पेगासस प्रोजेक्ट में शामिल द वायर और अन्य अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थान भी शुरू से ही कह रहे हैं कि पेगासस के संभावित टारगेट की लिस्ट में जो नंबर मिले हैं, उनमें से अधिकांश की फॉरेसिंक जांच नहीं कराई जा सकी है, लिहाजा यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि उन पर पेगासस का हमला हुआ या नहीं और अगर हमला हुआ भी तो वो सफल रहा या नहीं. हालांकि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि उसने लिस्ट में शामिल कुछ नंबरों से जुड़े मोबाइल फोन्स या अन्य डिवाइसेज़ की फॉरेंसिक जांच करवाई है और इनमें से कई उपकरणों में पेगासस अटैक के सबूत भी मिले हैं.
अब तक सामने आई रिपोर्ट्स के मुताबिक पेगासस दुनिया के सबसे खतरनाक स्पाइवेयर यानी जासूसी करने वाले वायरस में शामिल है, जो किसी भी व्यक्ति के मोबाइल फोन या कंप्यूटर में उसकी जानकारी के बिना खुफिया तरीके से प्लांट किया जा सकता है. पेगासस स्पाइवेयर एक बार जिस भी डिवाइस में घुस गया, उस पर पूरी तरह कब्जा कर लेता है. वो भी उसे इस्तेमाल करने वाले को जरा भी भनक पड़े बिना. यह स्पाइवेयर उस डिवाइस के कैमरे, माइक से लेकर उसमें मौजूद सारे डेटा को अपने कब्जे में ले लेता है. इतना ही नहीं, यह स्पाइवेयर उस डिवाइस में मौजूद सारा डेटा जासूसी करवाने वाले के पास ट्रांसफर कर देता है या उस डिवाइस के जरिए होने वाली पूरी बातचीत या उसके कैमरे से दिखने वाली तस्वीरों को सीधे अपने कंट्रोलर तक लाइव भी पहुंचा सकता है.