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Covid Vaccine Pricing: निजी अस्पतालों में टीके की कीमतों पर उठे सवाल, कांग्रेस ने पूछा, देशी वैक्सीन इंपोर्टेड से भी महंगी क्यों?

सरकार ने निजी अस्पतालों के लिए वैक्सीन की अधिकतम कीमतें तय कर दी हैं, जो कोविशील्ड के लिए 780 रुपये/डोज़, स्पुतनिक V के लिए 1145 रुपये/डोज़ और कोवैक्सीन के लिए 1410 रुपये/डोज़ है.

सरकार ने निजी अस्पतालों के लिए वैक्सीन की अधिकतम कीमतें तय कर दी हैं, जो कोविशील्ड के लिए 780 रुपये/डोज़, स्पुतनिक V के लिए 1145 रुपये/डोज़ और कोवैक्सीन के लिए 1410 रुपये/डोज़ है.

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FE Online
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Covid Vaccine Pricing: निजी अस्पतालों में टीके की कीमतों पर उठे सवाल, कांग्रेस ने पूछा, देशी वैक्सीन इंपोर्टेड से भी महंगी क्यों?

प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना टीकों की जो कीमत तय की गई है, उस पर सवाल उठ रहे हैं.

Covid-19 Vaccine Pricing Questioned: केंद्र सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों में लगाए जाने वाली कोविड वैक्सीन्स की अधिकतम कीमतें तय करने का एलान तो कर दिया है, लेकिन इससे टीकों की कीमतों पर जारी विवाद सुलझने की बजाय और उलझ गया है. कांग्रेस ने सरकार की तरफ से घोषित टीकों की अधिकतम कीमतों के औचित्य पर सवाल उठाया है. कांग्रेस ने इस बात पर हैरानी जाहिर की है कि सरकारी मदद लेकर देश में ही बनाए गए कोरोना के भारतीय टीके कोवैक्सीन (COVAXIN) की प्रति डोज़ अधिकतम कीमत विदेश से इंपोर्ट की गई वैक्सीन स्पुतनिक (Sputnik V) से ज्यादा क्यों होनी चाहिए?

यह सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि सरकार ने निजी अस्पतालों में होने वाले टीकाकरण के लिए स्पुतनिक की अधिकतम कीमत 1145 रुपये प्रति डोज़ और कोवैक्सीन की अधिकतम कीमत 1410 रुपये प्रति डोज़ तय की है. देश में बनी एक और वैक्सीन कोविशील्ड की अधिकतम कीमत 780 रुपये प्रति डोज़ तय की गई है, जो इन दोनों से कम है. कोविशील्ड ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित वैक्सीन है, जिसे विदेशी कंपनी एस्ट्रा जेनेका से मिले लाइसेंस के तहत भारत में बनाने का काम सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कर रहा है.

कांग्रेस ने कहा- देश में बने टीके की लागत इंपोर्टेड से ज्यादा क्यों?

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कांग्रेस प्रवक्ता गुरदीप सिंह सप्पल ने ट्वीट कर कहा है कि स्पुतिनक V इम्पोर्टेड टीका है. इसमें ट्रांसपोर्टेशन और दूसरे इंपोर्ट चार्ज जुड़े हैं. इसे बनाने में भारत सरकार की ओर से कोई आर्थिक मदद भी नहीं दी गई. फिर भी सरकार ने प्राइवेट अस्पताल में इसकी कीमत 1145 रुपये तय की है. जबकि भारत बायोटेक का टीका कोवैक्सीन सरकारी मदद से तैयार किया गया है. फिर भी इसके लिए प्राइवेट अस्पतालों को 1410 रुपये लेने की इजाजत दी जा रही है.

सप्पल ने कहा कि सरकार के मुताबिक कोविशील्ड और कोवैक्सीन के 130 करोड़ टीके बनाए जाने हैं. अगर इनमें से 25 फीसदी प्राइवेट अस्पतालों के पास जाते हैं तो यह 32.5 करोड़ डोज होंगे. सरकार की खरीद 150 रुपये की है. इस हिसाब से प्राइवेट अस्पतालों के जरिये इन कंपनियों को 22,875 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई होगी.

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एक बोतल पानी से भी सस्ता टीका देने के दावे का क्या हुआ?

सरकार की ओर से प्राइवेट अस्पतालों में टीके लगवाने की जो कीमत तय की गई है. उसे काफी ज्यादा माना जा रहा है. भारतीय बायोटेक के चेयरमैन डॉ. कृष्णा इल्ला ने पिछले साल दावा किया था कि उनकी कंपनी की वैक्सीन की लागत एक बोतल पानी की कीमत से भी कम होगी. ऐसे में सोशल मीडिया पर बहुत से लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि इल्ला की कंपनी की बनाई वैक्सीन की एक डोज़ के लिए 1400 रुपये से भी ज्यादा कीमत लेने की छूट दी जा रही है. वहीं सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के चीफ अदार पूनावाला ने कहा था कि उन्हें सरकार को प्रति डोज़ 150 रुपये की दर से टीका देने पर भी प्रॉफिट हो रहा है. लेकिन लोगों को अब इन टीकों की बहुत ज्यादा कीमत देनी पड़ रही है.

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