/financial-express-hindi/media/post_banners/706JCquWawsLVL2cZlLT.jpg)
PIL में आशंका जाहिर की गई है कि अगर प्रोजेक्ट का निर्माण जारी रहा, तो यह कोरोना महामारी को फैलाने वाला सुपर स्प्रेडर साबित हो सकता है.
PIL To Halt Central Vista Construction: कोरोना महामारी के बेतहाशा बढ़ते मामलों के बावजूद दिल्ली में सेंट्रल विस्टा का निर्माण जारी रहने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. इस याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में महामारी की डरावनी हालत के बावजूद सेंट्रल विस्टा के कंस्ट्रक्शन को बंद न करना दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (DDMA) के आदेश के खिलाफ है, लिहाजा इस पर फौरन रोक लगनी चाहिए.
सेंट्रल विस्टा का निर्माण अनिवार्य सेवा कैसे?
याचिका में यह भी पूछा गया है कि कोरोना काल में जब तमाम गैर-ज़रूरी गतिविधियों पर रोक लगी हुई है, तब सेंट्रल विस्टा का निर्माण क्यों जारी रखा जा रहा है? याचिकाकर्ता ने सवाल किया है कि सेंट्रल विस्टा के निर्माण को किस आधार पर अनिवार्य सेवा (essential service) कहा जा सकता है? सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत करीब 20 हज़ार करोड़ रुपये की भारी भरकम लागत से राजधानी में नए संसद भवन के साथ ही साथ नए प्रधानमंत्री निवास, उप-राष्ट्रपति निवास और केंद्रीय सचिवालय समेत कई नई और आलीशान इमारतों का निर्माण किया जाना है. इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है.
निर्माण जारी रखना लोगों की सेहत और सुरक्षा से खिलवाड़
दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया है कि दिल्ली में कोरोना महामारी जिस तेजी से फैली है और बड़ी संख्या में लोगों की जान जा रही है, ऐसे में सेंट्रल विस्टा का निर्माण जारी रखना, उससे जुड़े तमाम लोगों की सेहत और सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करना है. याचिका में बताया गया है कि इस प्रोजेक्ट के तहत राजपथ से लेकर इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन और उसके आसपास के काफी बड़े इलाके में निर्माण कार्य होना है.
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्हें पता है, सुप्रीम कोर्ट इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे चुका है और वे सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले को बदलने की बात कर भी नहीं रहे. उनकी चिंता तो सिर्फ इतनी है कि महामारी की नई लहर के दौरान निर्माण कार्य जारी रखना न सिर्फ उसमें लगे कामगारों की जान के साथ खिलवाड़ है, बल्कि इससे दिल्ली के नागरिकों की जान को भी खतरा है.
सरकारें अपनी पूरी ताकत महामारी पर काबू पाने में लगाएं
याचिका में कहा गया है, "ऐसे समय में जबकि दिल्ली कोरोना वायरस के तबाह करने वाले विस्फोट से जूझ रही है, सभी लोगों, खास तौर पर सरकारों और उनकी एजेंसियों को अपनी पूरी ताकत सिर्फ महामारी के बिगड़ते हालात पर काबू पाने में लगानी चाहिए...ऐसे में सवाल यह है कि इस प्रोजेक्ट को अनिवार्य सेवा की श्रेणी में क्यों और कैसे रखा जा सकता है? क्या सिर्फ इसलिए क्योंकि सरकार ने इसे पूरा करने के लिए कोई डेडलाइन तय की हुई है? "
निर्माण जारी रखना सुपर स्प्रेडर साबित हो सकता है
याचिका में आशंका जाहिर की गई है कि अगर इस प्रोजेक्ट का निर्माण इसी तरह जारी रहा, तो यह कोरोना महामारी को बड़े पैमाने पर फैलाने वाला सुपर स्प्रेडर साबित हो सकता है. अनुवादक अन्या मल्होत्रा और इतिहासकार और डॉक्युमेंट्री फिल्ममेकर सोहैल हाशमी की तरफ से याचिका दायर करने वाले वरिष्ठ एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि दिल्ली की चरमराती स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच इस प्रोजेक्ट का जारी रहना गंभीर चिंता की बात है. उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में सेंट्रल विस्टा का काम बंद न करना, कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करने वाले मजदूरों और दूसरे लोगों की जिंदगी दांव पर लगाने के बराबर है.
दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस जसमीत सिंह की खंडपीठ के सामने पेश इस याचिका का केंद्र सरकार की तरफ से विरोध किया गया. एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा और केंद्र सरकार के स्थायी वकील अनुराग अहलूवालिया ने कहा कि वे याचिका में उठाए गए सवालों का जवाब अगली सुनवाई पर देंगे. हाईकोर्ट की बेंच ने दोनों पक्षों की शुरुआती दलीलें सुनने के बाद कहा कि वे आगे की सुनवाई से पहले इस प्रोजेक्ट को मंजूरी देने वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देखना चाहते हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 मई का दिन तय कर दिया.