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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत लाभार्थियों की संख्या लगातार घटती जा रही है.
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PM Kisan Samman Nidhi: पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले छोटे और सीमांत किसानों की सहायता के लिये लाई गई 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना' के अंतर्गत लाभार्थियों की संख्या लगातार घटती जा रही है. इस योजना के अंतर्गत छोटे किसानों को 3 समान किस्तों में 6,000 रुपये सालाना देने की व्यवस्था की गयी है. बता दें कि सरकार ने 2019-20 के अंतरिम बजट में पीएम किसान सम्मान निधि योजना की शुरूआत की थी. 1 दिसंबर 2018 से योजना लागू हुई थी.
8.35 करोड़ से घटकर 3.01 करोड़
कृषि मंत्रालय की 'पीएम किसान' वेबसाइट के अनुसार, योजना के तहत कुल चिन्हित 8.80 करोड़ लाभार्थियों में से 8.35 करोड़ छोटे किसानों को पहली किस्त के रूप में 2-2 हजार रुपये की राशि दी गयी. वहीं दूसरी किस्त में लाभार्थियों की संख्या घटकर 7.51 करोड़, तीसरी में 6.12 करोड़ और चौथी किस्त में केवल 3.01 करोड़ (29 जनवरी तक) रह गयी है.
क्यों घट रही है लाभ लेने वालों की लिस्ट
इस बारे में बेंगलुरू स्थित इंस्टीट्यूट फॉर सोशल एंड इकोनॉमिक चेंज के प्रोफेसर और अर्थशास्त्री डा. प्रमोद कुमार ने न्यूज एजेंसी को बताया कि छोटे किसानों की आय बढ़ाने के इरादे से यह योजना लायी गयी लेकिन आंकड़ों से स्पष्ट है कि लाभार्थियों की सूची लगातार घट रही है. यह बताता है बड़ी संख्या में किसान इस योजना से बाहर हो रहे हैं. लाभार्थियों की संख्या में कमी के कारणों पर उन्होंने कहा कि पोर्टल पर डाले गये आंकड़ों में विसंगतियां पायी गयी हैं.
इसके अलावा योजना के लाभ के लिये आधार को बैंक खाते से जुड़ा होना अनिवार्य किया गया है. संभवत: इसके कारण कई छोटे एवं सीमांत किसान योजना से बाहर हुए हैं. उन्होंने कहा कि इसके कारण उत्तर प्रदेश में 1.4 करोड़ तथा पूरे देश में 5.8 करोड़ किसानों को चौथी किस्त नहीं मिलने की आशंका है.
यूपी, बिहार जैसे राज्यों में घटी संख्या
पीएम किसान वेबसाइट के अनुसार पश्चिम बंगाल इस योजना में शामिल नहीं है और वहां के एक भी किसान को इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा. वहीं, बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यह संख्या लगातार कम हो रही है. बिहार में चिन्हित 54.58 लाख किसानों में से जहां पहली किस्त 52.19 लाख किसानों को मिली थी, वह तीसरी किस्त में कम होकर 31.41 लाख रह गयी. इसी प्रकार, उत्तर प्रदेश में 2.01 करोड़ लाभार्थियों को चिन्हित किया गया था. वहां पहली किस्त 1.85 करोड़ किसानों को दी गयी जबकि तीसरी किस्त में यह संख्या कम होकर 1.49 करोड़ पर आ गयी.
कुमार ने कहा कि इस प्रकार की योजना के तहत अगर छोटे एवं सीमांत किसानों को समय पर किस्त जारी कर दी जाती है तो उन्हें बीज, खाद जैसा कच्चा माल खरीदने में सुविधा होती है. इससे न केवल खेती को गति मिलती है बल्कि उपभोक्ता वस्तुओं की मांग बढ़ती है जिससे अर्थव्यवस्था को लाभ होता है और आर्थिक वृद्धि तेज होती है.
आवंटित राशि का 58.6% ही वितरित
जहां 2018-19 के 4 महीनों के लिये इस योजना तहत 20,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया. वहीं 2019-20 के बजट में इसके लिये 75,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गयी. हालांकि आधिकारिक सूत्रों के अनुसार मंत्रालय अबतक करीब 44,000 करोड़ रुपये ही वितरित कर पाया है जो आवंटित राशि का करीब 58.6 फीसदी है.
कुमार ने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं को समावेशी बनाने की जरूरत है, ताकि सभी जरूरतमंदों को इसके दायरे में लाया जा सके और इसका लाभ वास्तविक रूप से गरीब और पिछड़े तबके के लोगों को मिले. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उपभोक्ता मांग सृजित करने के लिये गांवों में सरकारी खर्च बढ़ाने को लेकर बजट में कदम उठाने की आवश्यकता है. इस संदर्भ में पीएम किसान योजना के तहत सालाना किस्त एक बार जारी की जा सकती है. इससे किसानों के हाथ में पैसा आएगा और उनकी खरीद क्षमता बढ़ेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी. इस कदम से न सिर्फ कृषि क्षेत्र को गति मिलेगी बल्कि घरेलू उपयोग के सामान की मांग भी बढ़ेगी.