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प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में तमाम राज्यों में पेट्रोल की कीमतों के आंकड़े जिस तरह पेश किए, उससे लगता है वे विपक्षी मुख्यमंत्रियों को घेरने की तैयारी करके आए थे.
PM Narendra Modi's Interaction With Chief Ministers : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बुधवार को मुख्यमंत्रियों के साथ हुई बैठक में पेट्रोल की सियासत छाई रही. इस बैठक का घोषित मकसद देश में कोविड-19 से जुड़े ताजा हालात पर बात करना बताया गया था. प्रधानमंत्री ने खुद इस मीटिंग की जो क्लिप ट्विटर पर शेयर की, उसमें भी लिखा है - Prime Minister Narendra Modi's Interaction With Chief Ministers on Covid-19 Situation In The Country. लेकिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई इस बैठक के दौरान प्रधानमंत्री खुद काफी देर तक पेट्रोल-डीज़ल की ऊंची कीमतों के मसले पर ही बोलते रहे. बैठक के बाद भी खबरों और टीवी चैनलों की डिबेट में यही मुद्दा सबसे अधिक छाया रहा.
प्रधानमंत्री ने पेट्रोल कीमतों के मुद्दे की शुरुआत रूस-यूक्रेन युद्ध की तरफ इशारा करते हुए की. उन्होंने कहा कि मौजूदा अंतरराष्ट्रीय माहौल में केंद्र और राज्यों की सरकारों को आपस में मिलकर कोऑपरेटिव फेडरलिज्म की भावना के साथ काम करना होगा. यही देश हित में है. लेकिन इसके बाद उन्होंने पेट्रोल-डीज़ल की ऊंची कीमतों की जिम्मेदारी विपक्षी सरकारों के सिर मढ़ दी.
वैट नहीं घटाने वाले राज्यों ने नागरिकों के साथ अन्याय किया : मोदी
विपक्षी मुख्यमंत्रियों को कटघरे में खड़ा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले साल नवंबर में पेट्रोल-डीजल पर सेंट्रल एक्साइज घटा दिया था. साथ ही राज्य सरकारों से अपना वैट कम करने को भी कहा था. केंद्र सरकार की इस अपील पर कुछ राज्य सरकारों ने वैट कम करके अपने नागरिकों को राहत दी, लेकिन कुछ ने ऐसा नहीं किया. पीएम मोदी ने कहा कि इन राज्यों ने वैट की दरें नहीं घटाकर अपने नागरिकों के साथ अन्याय किया है.
पीएम ने इसके बाद कर्नाटक, गुजरात, असम, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे बीजेपी शासित राज्यों के नाम गिनाते हुए कहा कि वहां वैट घटाए जाने के कारण पेट्रोल की दरें उन राज्यों से कम हैं, जहां ऐसा नहीं किया गया है. प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र, प. बंगाल, तेलंगाना, तमिलनाडु, राजस्थान, झारखंड, आंध्र प्रदेश और केरल जैसे विपक्ष शासित राज्यों और उनके शहरों का जिक्र करते हुए बताया कि वहां पेट्रोल के रेट काफी ज्यादा हैं, जबकि उनके पड़ोस में मौजूद बीजेपी शासित राज्यों में कीमतें कम हैं.
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की तुलना करना भूले
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में विपक्षी सरकारों वाले राज्यों और उनके शहरों का बार-बार नाम लिया, जहां तेल महंगा बिक रहा है. लेकिन इस दौरान प्रधानमंत्री उस मध्य प्रदेश का जिक्र करना भूल गए, जहां बीजेपी की सरकार होने के बावजूद पेट्रोल 118 से 120 रुपये लीटर मिल रहा है. उन्होंने यह तो बताया कि महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई की तुलना में पड़ोस के केंद्र शासित प्रदेश दमन-दीव में पेट्रोल सस्ता है. लेकिन यह नहीं बताया कि बीजेपी शासित मध्य प्रदेश के मुकाबले कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में भी पेट्रोल काफी सस्ता है.
बिहार नहीं आया याद, कर्नाटक के रेट का जिक्र नहीं
प्रधानमंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में पेट्रोल काफी महंगा - 115 रुपये लीटर बिक रहा है, लेकिन यह नहीं बताया कि पड़ोसी राज्य बिहार की राजधानी पटना में भी पेट्रोल 116 रुपये लीटर है, जहां बीजेपी गठबंधन की सरकार है. उन्होंने यह तो जरूर याद दिलाया कि तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में पेट्रोल का रेट 111 रुपये है, लेकिन यह बताना भूल गए कि जिस कर्नाटक की वे टैक्स घटाने के लिए तारीफ कर रहे हैं, वहां भी पेट्रोल का दाम 111 रुपये लीटर ही है.
Speaking at a meeting with Chief Ministers. https://t.co/WyeQyQS0UQ
— Narendra Modi (@narendramodi) April 27, 2022
मुख्यमंत्रियों की बैठक में पीएम मोदी के संबोधन को सुनकर लगता है कि उन्होंने कोरोना के ताजा हालात पर बुलाई गई इस बैठक का इस्तेमाल पेट्रोल की महंगाई का ठीकरा विपक्ष के सर फोड़ने के लिए अचानक ही नहीं कर लिया. प्रधानमंत्री ने तमाम राज्यों में पेट्रोल की कीमतों के आंकड़े जिस अंदाज में पेश किए, उससे लगता है कि वे विपक्षी मुख्यमंत्रियों को घेरने के लिए पूरी तैयारी के साथ आए थे.