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Atal Bhujal Yojana: अटल भूजल योजना को कैबिनेट की मंजूरी, 6000 करोड़ रुपये होंगे खर्च

Atal Bhujal Yojana: इस योजना को सात राज्यों गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में चिन्हित क्षेत्रों में लागू किया जाएगा.

Atal Bhujal Yojana: इस योजना को सात राज्यों गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में चिन्हित क्षेत्रों में लागू किया जाएगा.

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PM modi led cabinet approves Atal Bhujal Yojana- ATAL JAL with 6000 crore outlet

कैबिनेट बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि Atal Bhujal Yojana पर 6000 करोड़ रुपये खर्च होंगे. (ANI)

PM modi led cabinet approves Atal Bhujal Yojana- ATAL JAL with 6000 crore outlet कैबिनेट बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि Atal Bhujal Yojana पर 6000 करोड़ रुपये खर्च होंगे. (ANI)

केंद्र सरकार ने अटल भूजल योजना (Atal Bhujal Yojana- ATAL JAL) को मंजूरी दे दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस स्कीम को मंजूरी दी गई. इस योजना पर 6,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे.

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कैबिनेट फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि पांच साल की अवधि के लिए इस योजना को सात राज्यों गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में चिन्हित क्षेत्रों में लागू किया जाएगा. इस पर कुल 6,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसमें से 3,000 करोड़ रुपये केंद्र सरकार और 3,000 करोड़ रुपये विश्व बैंक देगा.

क्या है अटल भूजल योजना?

इस योजना का मकसद अत्यधिक भूजल दोहन वाले सात राज्यों के चिन्हित क्षेत्रों में सामूदायिक सहभागिता यानी कम्यूनिटी पार्टिसिपेशन के जरिए भूजल प्रबंधन को बेहतर बनाना है. इस स्कीम के लागू होने से सातों राज्यों में 78 जिलों के 8,350 ग्राम पंचायतों को फायदा होने की उम्मीद है. 'अटल जल' के तहत पानी के प्रभावी उपयोग, जल सुरक्षा तथा उपयुक्त जल बजट पर जोर दिया जाएगा. वित्त व्यय समिति पहले ही अटल भूजल योजना के प्रस्ताव की अनुशंसा कर चुकी है.

नीति आयोग ने ‘डार्क जोन’ पर किया था आगाह

नीति आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि लगातार घट रहा भूजल स्तर वर्ष 2030 तक देश में सबसे बड़े संकट के रूप में उभरेगा. केंद्रीय भूजल बोर्ड तथा राज्य भूजल विभागों के आंकड़ों के अनुसार, देश में कुल मूल्यांकित 6584 इकाई (ब्लाक/ तालुका / मंडल) में से 1034 इकाइयों को अत्यधिक दोहन की गई इकाइयों की श्रेणी में रखा गया है. सामान्यत: इन्हें ‘डार्क जोन’ (पानी के संकट की स्थिति) कहा जाता है.