/financial-express-hindi/media/media_files/2025/05/12/g6q2ysFVFSYlI2PcgFjo.jpg)
Ceasefire : भारत सरकार ने जानकारी दी कि अंतिम दिन अमेरिका की सीजफायर के लिए भागीदारी पाकिस्तान के कहने पर हुई थी. (PTI)
India Pakistan Ceasefire Inside Story : भारत ने पाकिस्तान के परमाणु बम के इस्तेमाल करने की गीदड़भभकी का जवाब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) से दिया है और आतंकवाद के आकाओं को एक मनोवैज्ञानिक संदेश दिया कि कोई भी पहुंच से बाहर नहीं है. साथ ही पाकिस्तान में कोई भी जगह आतंकियों के लिए सुरक्षित नहीं है. सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारत ने इस अभियान (ऑपरेशन सिंदूर) के माध्यम से पाकिस्तान समर्थित सीमा पार आतंकवाद के जवाब का एक ‘नया अध्याय’ लिखा है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सशस्त्र बलों को निर्देश दिया है कि पाकिस्तानी सेना द्वारा की गई किसी भी कार्रवाई का भारतीय जवाब ‘‘बड़ा और मजबूत’’ होना चाहिए. सूत्रों के अनुसार पीएम मोदी ने साफ कर दिया था कि वहां से गोली चलेगी, तो यहां से गोला चलेगा.
ऐसा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री (PM Modi) ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से कहा कि पाकिस्तान के किसी भी दुस्साहस का भारत की प्रतिक्रिया "कठोर, गहरी और बड़ी" होगी. बता दें कि 9 मई की रात से लेकर 10 मई की सुबह तक पाकिस्तान ने 26 जगहों पर हमला किया, लेकिन भारतीय वायु रक्षा प्रणालियों ने इन कोशिशों को नाकाम कर दिया. जिसके बाद भारत ने पाकिसतान पर जोरदार हमला करते हुए उसके कई ठिकानों, जिनमें एयरबेस भी थे, को भारी नुकसान पहुंचाया. माना जा रहा है कि इनमें एक एयरबेस उनके परमाणु ठिकाने के बेहद करीब था.
भारतीय लड़ाकू विमानों से हवा में दागे गए सटीक हथियारों ने रफीकी, मुरीद, चकलाला, रहीम यार खान, सुक्कुर और चुनियन को निशाना बनाया और सटीक हथियारों से पसरूर और सियालकोट विमानन अड्डे के रडार स्थलों को भी निशाना बनाया गया.
डरकर पाकिस्तान यूएस के शरण में पहुंचा
सूत्रों ने कहा कि "यह नरक की आग थी", रहीम यार खान में पीएएफ बेस का रनवे क्षतिग्रस्त हो गया और रावलपिंडी के चकलाला में नूर खान एयर बेस को भी गंभीर नुकसान पहुंचा. 10 मई को यही महत्वपूर्ण मोड़ आया, जिसके बाद पाकिस्तान ने अमेरिका से संपर्क किया. पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और अमेरिकी विदेश मंत्री एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मार्को रुबियो के बीच बातचीत हुई, जिसमें उन्होंने भारत के साथ बातचीत करने की इच्छा जताई. रुबियो ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात की, जिन्होंने कहा कि भारत बातचीत करने को इच्छुक है और यह बात पहले भी बता दी गई थी.
पाकिस्तान ने भारत से बात की
इसके बाद पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने 10 मई को दोपहर 1 बजे के आसपास भारतीय डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई से संपर्क किया और दोपहर 3.30 बजे बातचीत तय हुई. उन्होंने गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोकने का फैसला किया. भारतीय परिप्रेक्ष्य से, 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद से मुख्य उद्देश्य पूरे हो चुके हैं, राजनीतिक, सैन्य और मनोवैज्ञानिक हर स्तर पर.
सूत्र ने कहा कि भारतीय और पाकिस्तानी सेना और तकनीकी कौशल के बीच का अंतर भारतीय सशस्त्र बलों की प्रतिक्रिया से स्पष्ट था, जिसने दिल्ली की उच्च और मजबूत क्षमता का प्रदर्शन किया. 10 मई को फाइनली उन्हें परास्त कर दिया गया. तभी पाकिस्तान ने सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए अमेरिकियों से मदद मांगी. इसलिए, जब रुबियो ने उनसे बात की, तो जयशंकर ने कहा कि भारतीय डीजीएमओ ने पहले दिन ही पाकिस्तानी पक्ष को यह प्रस्ताव दिया था, जिसमें 7 मई की सुबह 1.30 बजे डीजीएमओ के बीच हुई बातचीत का जिक्र किया गया.
भारत ने यूएस की भूमिका को नहीं दिया तवज्जो
सूत्रों के अनुसार भारत सरकार ने जानकारी दी कि अंतिम दिन अमेरिका की भागीदारी पाकिस्तान के कहने पर हुई थी और ट्रम्प को शायद पाकिस्तान के वार्ताकारों के माध्यम से इसकी जानकारी थी. हालांकि सूत्रों ने दोनों सेनाओं के बीच समझौता कराने में वाशिंगटन की भूमिका को अधिक तवज्जो नहीं दी. भारत सरकार स्पष्ट रूप से वाशिंगटन के श्रेय लेने के दावे से सहज नहीं है, क्योंकि ट्रम्प ने सबसे पहले सीजफायर की घोषणा की थी. साथ ही मध्यस्थता करने की उनकी लेटेस्ट पेशकश भी अच्छी नहीं रही है. सूत्रों ने कहा एकमात्र मुद्दा पाकिस्तान को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से खाली करवाना है.
सूत्रों ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है, जिसका मतलब है कि पाकिस्तान की चुनौतियों का जवाब देने के लिए ऑपरेशनल तैयारी है. वे इसे युद्ध विराम भी नहीं कहना चाहते, बल्कि इसे सैन्य कार्रवाई और गोलीबारी बंद करना कहते हैं.