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गरीबों के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) फिर एक बार बढ़ाई जा सकती है.
PMGKAY: गरीबों के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) एक बार फिर आगे बढ़ाई जा सकती है. सितंबर के आखिर तक PMGKAY योजना बंद होने वाली है. उम्मीद है कि मोदी सरकार इसे अपने राजनीतिक फायदे के लिए फिर से आगे बढ़ा सकती है. PMGKAY स्कीम को बढ़ाए जाने को लेकर उच्च स्तर पर बैठके की जा चुकी है. एक टॉप लेवल के अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को यह जानकारी दी है.
रूस-यूक्रेन जंग के कारण कीमतों में हुई बढ़ोतरी से खर्च बढ़ा हैं. ऐसे में सरकार को लगभग 2 लाख करोड़ रुपये एक्सट्रा आउटफ्लो (विदेशी समान पर खर्च) फूड, फर्टिलाइजर और रसोई गैस की सब्सिडी के लिए खर्च करना पड़ा है. डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स दोनों के कलेक्शन में बढ़ोतरी आई है इस पर वित्त मंत्रालय ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि ये अच्छी बात है और यह कलेक्शन हमें मुसीबत से उबरने में मदद करेगी.
अफसर ने इंडियन एक्सप्रेस से बताया कि अभी भी कई चीजें सामने हैं इस साल सितंबर महीने तक फर्टिलाइजर सब्सिडी पर लगभग 1 लाख करोड़ रुपये, फूड सब्सिडी पर 80,000 करोड़ रुपये सब्सिडी खर्च किया जाना है. इसके अलावा महंगे हो रहे पेट्रोलियम, रसोई गैस की सब्सिडी पर खर्च करना है और ये सब काफी अहम होगा. अगर मुफ्त अनाज योजना को आगे बढ़ाया जाता है, तो अगली छमाही के लिए सरकार को लगभग 85,000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे.
मई में वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने एक आंतरिक मीटिंग में पीएमजीकेएवाई योजना के बढ़ाए जाने पर अपनी सहमती जाहिर नही की गई साथ ही इस योजना को आगे बढ़ाए जाने को लेकर मौजूदा ऩॉन-पैंडेमिक समय में गैर जरुरी बताते हुए फूड सेक्यूरिटी और वित्तीय संकट से राहत दोनों के खिलाफ कहा. इस दौरान कहा कि यूरिया और गैर-यूरिया दोनों पर फर्टिलाइजर सब्सिडी बिल में बढ़ोतरी, रसोई गैस पर सब्सिडी को दोबारा दिए जाने, पेट्रोल-डीजल पर कस्टम ड्यूटी में कमी और बाकी प्रॉडक्ट पर कस्टम ड्यूटी घटाए जाने से गंभीर वित्तीय संकट आई है.
अनाज सब्सिडी बढ़ाने का जिक्र ऐसे समय हो रहा है जब मुफ्त की रेवड़ी को लेकर राज्यों और केंद्र सरकार के बीच राजनीतिक बहसबाजी चरम पर है. हालांकि अनाज सब्सिडी को कोरोना संकट में राहत दिलाने से जोड़कर देखा जा रहा है. अब जब देश भर में कोरोना संक्रमण के सक्रिय मामले 60,000 से कम और वैक्सीनेशन के आकड़े 200 करोड़ के पार पहुच चुके हैं तो ऐसे में राजकोषीय बोझ को देखते हुए कुछ एक्सपर्ट का तर्क है कि चरणबद्ध तरीके से सब्सिडी बंद कर देना चाहिए.
सरकार फर्टिलाइजर सब्सिडी बिल में लगातार हो रही बढ़ोतरी पर भी नजर बनाए हुए है, जो इस बार इस्तेमाल किए गए फर्टिलाइजर (यूरिया) की मात्रा के आधार पर 2.15-2.5 लाख करोड़ रुपये के बीच होने की उम्मीद है. मई में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था कि वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में फर्टिलाइजर सब्सिडी 1.05 लाख करोड़ रुपये तय किया गया था इसके अलावा अतिरिक्त 1.10 लाख करोड़ रुपये बढ़ाया गया. जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में फर्टिलाइजर सब्सिडी 1,62,132 करोड़ रुपये ही रखा गया था.
हालांकि सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए उधारी के आंकड़े में कोई समायोजन होने की संभावना नहीं है, टैक्स कलेक्शन में हो रहा ग्रोथ एक अच्छा संकेत है मगर सब्सिडी बिल में लगातार हो रही बढ़ोतरी पर कड़ी नजर रखी जा रही है.
मई में वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने कहा था बजटीय राजकोषीय घाटा 6.40% रहा जो अनुमानित जीडीपी से कम है यह “ऐतिहासिक मानकों से बहुत अधिक है, और इस गिरावट के कारण संकट के खतरे बढ़ गए है.
अफसर ने कहा कि सब्सिडी में वृद्धि या टैक्स में कटौती नहीं की जा सकती. PMGKAY को मौजूदा समय में बढ़ाए जाने की सलाह भी नही जा सकती है. इस योजना को फूड सेक्यूरिटी और वित्तीय संकट से राहत दोनों आधार पर जारी रखना उचित नहीं है. वैसे भी हर एक परिवार को 50 किलो अनाज, 25 किलो 2 रुपये / 3 रुपये की मामूली कीमत पर, और 25 किलो मुफ्त मिल रहा है. फिलहाल गैर-महामारी में इतना राशन जरुरत से बहुत अधिक है.
मार्च में, सरकार ने PMGKAY योजना को सितंबर 2022 तक यानी और छह महीने के लिए बढ़ा दिया था. सरकार ने मार्च तक इस योजना पर लगभग 2.60 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं और सितंबर 2022 तक बढ़ाए जाने पर अतिरिक्त 80,000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. इसे मिलाकर पीएमजीकेएवाई योजना पर कुल खर्च लगभग 3.40 लाख करोड़ रुपये किया गया है.
PMGKAY योजना से लगभग 80 करोड़ लोगों को लाभ पहुंचाया जा रहा है. इन्हें हर महीने 5 किलो अनाज मुफ्त दिया जा रहा हैं. यह अतिरिक्त मुफ्त अनाज NFSA कोटा के तहत सब्सिडी में दिये जा रहे अनाज से बहुत अधिक है. NFSA के तहत चिन्हित परिवारों को राशनकार्ड के जरिए 2-3 रुपये प्रति किलोग्राम सब्सिडी दर पर अनाज दी जाती है.
टैक्स कलेक्शन को लेकर मौजूदा समय में जो ट्रेंड चल रहा है उस साफ जाहिर है कि चालू वित्त वर्ष में अनुमानित बजट लक्ष्य से अधिक टैक्स कलेक्शन होने की उम्मीद है. ये एक अच्छा संकेत है और पॉजिटीव भी.
इस साल अगस्त के अंत तक डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 4.8 लाख करोड़ रुपये हो चुका है, जिसने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट का एक तिहाई लक्ष्य पूरा कर चुका है.
इस साल अगस्त में कुल जीएसटी कलेक्शन 1,43,612 करोड़ रुपये हुआ है. जो पिछले साल के समान महीने के मुकाबले 28.2 फीसदी अधिक है. जबकि इस साल जुलाई महीने की तुलना में कम है. इस साल अब तक का कुल जीएसटी कलेक्शन देखा जाए तो पिछले साल के मुकाबले 33.5 फीसदी वृद्धि हुई है. चालू वित्त वर्ष में अनुमानित बजट से 11.2 फीसदी अधिक सीजीएसटी कलेक्शन हो चुका है.