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क्या कोयले की कमी से दिल्ली में बढ़ा बिजली संकट का खतरा? केंद्र और राज्य सरकार के अलग-अलग दावे

Debate Over Power Crisis in Delhi : दिल्ली की केजरीवाल सरकार का कहना है कि कोयले की कमी के कारण बिजली सप्लाई पर असर पड़ रहा है, लेकिन केंद्र सरकार का दावा है कि कोयले की किल्लत और बिजली संकट की आशंकाएं बेबुनियाद हैं.

Debate Over Power Crisis in Delhi : दिल्ली की केजरीवाल सरकार का कहना है कि कोयले की कमी के कारण बिजली सप्लाई पर असर पड़ रहा है, लेकिन केंद्र सरकार का दावा है कि कोयले की किल्लत और बिजली संकट की आशंकाएं बेबुनियाद हैं.

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Power Crisis in Delhi Centre turning blind eye to coal crisis says government and claims NTPC halved power supply to city

बिजली संकट को देखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री केंद्र सरकार को पत्र लिख चुके हैं.

Power Crisis in Delhi: क्या देश की राजधानी दिल्ली पर बिजली संकट का खतरा मंडरा रहा है? यह सवाल बिजली सप्लाई के मामले में दिल्ली की केजरीवाल सरकार के बयानों की वजह से उठ रहा है. हालांकि केंद्र सरकार का कहना है कि दिल्ली में बिजली की कमी होने की आशंकाएं बेबुनियाद हैं. लेकिन दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके कई मंत्री इस बारे में चिंता बढ़ाने वाले बयान दे रहे हैं. ताजा बयान उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का है, जो केंद्र पर असलियत से मुंह फेरने का आरोप लगा रहे हैं.

दिल्ली सरकार के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने आज 11 अक्टूबर को कहा कि NTPC ने दिल्ली को होने वाली बिजली सप्लाई घटाकर आधी कर दी है. इसके चलते राज्य सरकार को गैस से बनने वाली बिजली खरीदनी पड़ रही है जो काफी महंगी पड़ रही है. इसके अलावा राज्य सरकार को महंगी दरों पर स्पॉट बिजली भी खरीदनी पड़ रही है. नेशनल थर्मल पॉवर कॉरपोरेशन (NTPC) देश की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी है जो दिल्ली को सामान्य दिनों में 4 हजार मेगावॉट बिजली सप्लाई करती है. दिल्ली अपनी जरूरत की अधिकांश बिजली एनटीपीसी से ही खरीदती रही है.

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एनटीपीसी के महज 55 फीसदी प्लांट एक्टिव

दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन का दावा है कि एनटीपीसी के महज 55 फीसदी प्लांट चल रहे हैं क्योंकि उनके पास महज एक-दो दिन के लिए ही कोयले का स्टॉक बचा है. इसके चलते दिल्ली को होने वाली सप्लाई घट गई है. ऐसे में राज्य सरकार को गैस से बनने वाली बिजली खरीदने पड़ रही है, जिसके लिए उसे 17.25 रुपये प्रति यूनिट देने पड़ रहे हैं. इतना ही नहीं, दिल्ली की जरूरतें पूरी करने के लिए राज्य सरकार को बिजली की स्पॉट खरीदारी भी करनी पड़ रही है, जिसके लिए 20 रुपये प्रति यूनिट का भाव देना पड़ रहा है. दिल्ली के पास अपने तीन गैस प्लांट हैं, जिनकी कुल क्षमता 1900 मेगावॉट है. बाकी बिजली दूसरे उत्पादकों से खरीदनी पड़ती है.

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केंद्र और दिल्ली सरकार के विपरीत दावे

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर पॉवर प्लांट पर कोयले का पर्याप्त सप्लाई मुहैया कराने का आग्रह किया था. लेकिन केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह का कहना है कि दिल्ली में बिजली की कोई किल्लत नहीं है. इस पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र कोयले के संकट को लेकर आंख बंदकर बैठी हुई है, जबकि दिल्ली ही नहीं कई और  राज्यों की सरकारें भी इस मुद्दे को लगातार उठा रही हैं. दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, राजस्थान, और तमिलनाडु जैसे राज्यों से भी कोयले की कमी के कारण बिजली की सप्लाई पर असर पड़ने की खबरें पिछले कुछ दिनों से आ रही हैं.

पंजाब में बुधवार तक कटौती का फैसला

पंजाब में बिजली की किल्लत के चलते बुधवार तक हर दिन दो से तीन घंटे की कटौती का फैसला लिया गया है. यह कटौती सभी प्रकार के कंज्यूमर्स के लिए लागू होगा. पंजाब के राज्य ऊर्जा निगम ने लोगों से बिजली के किफायती प्रयोग की अपील भी की है. निगम के बयान के मुताबिक यह स्थिति सिर्फ पंजाब में ही नहीं है बल्कि दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान समेत कई अन्य राज्यों में भी ऐसा संकट है. पंजाब के सभी निजी कोयला आधारित प्लांट में सिर्फ डेढ़ दिन तक के कोयले का स्टॉक है जबकि सरकारी प्लांट में महज चार दिनों का स्टॉक है. निगम द्वारा जारी बयान के मुताबिक स्थिति में 15 अक्टूबर के बाद सुधार के आसार हैं.

(इनपुट: इंडियन एक्सप्रेस और न्यूज एजेंसी पीटीआई)

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