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COAI के DG राजन मैथ्यूज ने वित्त मंत्री के साथ प्री-बजट बैठक के बाद कहा कि टेलिकॉम इंडस्ट्री ने सरकार से इन्फ्रास्ट्रक्चर बैंक स्थापित करने की मांग की है.
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Pre Budget Meetings: टेलिकॉम इंडस्ट्री के वित्तीय संकट के बीच कंपनियों के शीर्ष संगठन COAI ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ शुक्रवार को बैठक में कंपनियों ने एडजस्टेड ग्रास रेवेन्यू (AGR) और टैक्स की ऊंची दरों का मुद्दा उठाया. संगठन ने लाइसेंस शुल्क एवं स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क में कटौती की भी मांग की है.
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) के महानिदेशक राजन मैथ्यूज ने वित्त मंत्री के साथ प्री-बजट बैठक के बाद कहा कि टेलिकॉम इंडस्ट्री ने सरकार से इन्फ्रास्ट्रक्चर बैंक स्थापित करने की मांग की है, जो कि टैक्स फ्री बॉन्ड जारी करके पैसे जुटाएगा. इसका उपयोग कंपनियों को कम ब्याज दर पर कर्ज देने में किया जा सकता है. मैथ्यूज ने कहा कि उद्योग ने बैठक में एजीआर और उच्च शुल्क का मुद्दा उठाया है.
इंडस्ट्री ने उठाये ये मुद्दे
मैथ्यूज ने कहा कि पहली चीज जो हमने सरकार के सामने रखी वो एजीआर, अधिक लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) का मुद्दा है. मैथ्यूज ने कहा, "हमने आग्रह किया है कि मौजूदा समय में लाइसेंस शुल्क 8 फीसदी है , जिसे घटाकर 3 फीसदी और एसयूसी को 5 फीसदी से घटाकर 1 फीसदी किया जाए ... और यह काम उचित समय पर हो."
मैथ्यूज ने कहा, "हमने GST से जुड़े मुद्दे भी उठाए... हमारे स्पेक्ट्रम और लाइसेंस शुल्क पर 18 फीसदी का टैक्स लगता है क्योंकि इन्हें सेवाओं के रूप में वर्गीकृत किया गया है. हमने कहा कि ये सेवाएं नहीं हैं." COAI ने सरकार से दूरंसचार उपकरणों पर ऊंचे आयात शुल्क को हटाने की भी मांग की है.
कंपनियों पर 1.47 लाख करोड़ की देनदारी
एडजस्टेड ग्रास रेवेन्यू (एजीआर) पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से दूरसंचार कंपनियों को कुल मिलाकर 1.47 लाख करोड़ रुपये के सांविधिक बकाए का भुगतान करना है. दूरसंचार कंपनियों के बकाये में 92,642 करोड़ रुपये लाइसेंस शुल्क के और 55,054 करोड़ रुपये स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के शामिल हैं.