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राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मूर्मू बीजेपी-एनडीएक की उम्मीदवार हैं, जबकि यशवंत सिन्हा कांग्रेस, टीएमसी, एनसीपी समेत कई विपक्षी दलों के साझा उम्मीदवार हैं.
Presidential Election 2022 : Droupadi Murmu vs Yashwant Sinha: देश के अगले राष्ट्रपति के चुनाव के लिए आज यानी सोमवार 18 जुलाई को देशभर के सांसदों और विधायकों ने वोट डाले. भारत के 15वें राष्ट्रपति पद के लिए बीजेपी-एनडीए ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मूर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया, जबकि देश के पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के बड़े नेता रह चुके यशवंत सिन्हा कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के साझा उम्मीदवार हैं. द्रौपदी मुर्मू अगर चुनाव जीत गईं तो वे आदिवासी समाज से आने वाली पहली राष्ट्रपति होंगी. चुनाव के नतीजे 21 जुलाई को मतगणना के बाद घोषित होने हैं. मतदान करने वालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनके मंत्रिमंडल के तमाम मंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों के अलावा पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत तमाम दलों के सांसद और विधायक शामिल रहे. आज के मतदान में विधायकों और सांसदों को मिलाकर करीब 4800 जन-प्रतिनिधियों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया.
द्रौपदी मुर्मू समर्थन के आंकड़ों में काफी आगे
आंकड़े शुरू से ही द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में रहे हैं. शिवसेना समेत कई विपक्षी दलों ने उनका समर्थन करके उनके अगली राष्ट्रपति बनने की संभावना को और भी मजबूत कर दिया है. उनका समर्थन करने वाले दलों में बीजेपी और एनडीए में शामिल दलों के अलावा बीजेडी, बीएसपी, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस, जेडी (एस), AIADMK, शिरोमणि अकाली दल, शिवसेना और झारखंड मुक्ति मोर्चा भी शामिल हैं. जबकि यशवंत सिन्हा को समर्थन देने का एलान करने वाले प्रमुख दलों में कांग्रेस, टीएमसी, एनसीपी, टीआरएस, और लेफ्ट पार्टियां शामिल हैं. जाहिर है कि ऐसे में संख्या बल के लिहाज से मुर्मू का पलड़ा बेहद भारी है.
द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की खबरें
मतदान के दौरान ऐसे खबरें आईं कि कांग्रेस, एनसीपी और समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं ने भी मुर्मू के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की है. बताया जा रहा है कि गुजरात में एनसीपी, यूपी में समाजवादी पार्टी और ओडिशा में कांग्रेस के कुछ नेताओं ने मुर्मू के पक्ष में मतदान किया है. अगर ये खबरें सही हैं तो मूर्मू की जीत और भी एकतरफा हो सकती है.
हालांकि यशवंत सिन्हा ने भी मतदान से पहले बीजेपी समेत सभी दलों के सांसदों-विधायकों से अपील की थी कि वे दलीय आधार पर मतदान करने की बजाय उनके पक्ष में वोट डालें, लेकिन देश के मौजूदा राजनीतिक माहौल और समीकरण में क्या वाकई किसी ने उनकी बात मानी, यह तो शायद चुनाव के नतीजे आने के बाद ही साफ हो पाएगा.