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Adipurush Controversy: ‘आदिपुरुष’ के खिलाफ यूपी, उत्तराखंड, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में प्रदर्शन, साधु-संतों ने भी की प्रतिबंध लगाने की मांग

Protests against 'Adipurush' : "आदिपुरुष" पर विवाद के बाद नेपाल की राजधानी काठमांडू और पोखरा शहर में सभी हिंदी फिल्मों के प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई है.

Protests against 'Adipurush' : "आदिपुरुष" पर विवाद के बाद नेपाल की राजधानी काठमांडू और पोखरा शहर में सभी हिंदी फिल्मों के प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई है.

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FE Hindi Desk
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Adipurush Controversy: ‘आदिपुरुष’ फिल्म के डायलॉग और मुख्य पात्रों के चित्रण की चौतरफा आलोचना हो रही है. (File Photo)

Protests against 'Adipurush' in parts of UP, Uttarakhand, Maharashtra : 'आदिपुरुष' फिल्म पर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और महाराष्ट्र समेत देश के कई राज्यों में सोमवार को इस फिल्म के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए गए. यूपी और उत्तराखंड में कई संतों ने इस फिल्म को हिंदू धर्म और संस्कृति के खिलाफ बताते हुए इस पर फौरन प्रतिबंध लगाने की मांग की है. पड़ोसी देश नेपाल में आदिपुरुष को रविवार को ही प्रतिबंधित कर दिया गया था, लेकिन सोमवार को काठमांडू और पोखरा में इस विवाद की वजह से सभी हिंदी फिल्मों पर पाबंदी लगा दी गई है.

यूपी के कई जिलों में प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश के अयोध्या, मथुरा, लखनऊ और वाराणसी सहित कई जिलों में 'आदिपुरुष' के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए गए. भगवान राम की नगरी अयोध्या के संतों ने तो इस फिल्म पर तुरंत पाबंदी लगाने की मांग की है. संतों ने आरोप लगाया कि यह फिल्म हिंदू धर्म और संस्कृति के खिलाफ विदेशी साजिश के तहत बनाई गई है. राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने पीटीआई से कहा, ‘‘फिल्म के संवाद सुनकर खून खौल उठता है, फिल्म पर तुरंत प्रतिबंध लगना चाहिए. सरकार को इस बात का ख्याल रखना चाहिए, ताकि दोबारा ऐसा ना हो. उन्होंने आरोप लगाया कि इस फिल्म में राम, हनुमान और सीता का किरदार निभाने वाले पात्रों को मुस्लिम के रूप में दिखाया गया है.’’ उन्होंने कहा कि ये सब जानबूझकर किया गया है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.

संतों को फिल्म पर गंभीर एतराज

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हनुमानगढ़ी मंदिर के मुख्य पुजारी महंत राम दास ने कहा,''फिल्म आदिपुरुष को हिंदू धर्म और संस्कृति के खिलाफ विदेशी साजिशों के तहत बनाया गया है. भगवान राम, भगवान हनुमान और देवी सीता की भूमिका निभाने वाले पात्रों द्वारा दिए गए फिल्म के संवाद रामायण की आदर्श संस्कृति को नष्ट कर देंगे. हम केंद्र से आग्रह करते हैं कि फिल्म पर तुरंत प्रतिबंध लगाया जाए." उन्‍होंने कहा कि धार्मिक फिल्म बनाने से पहले हिंदू धार्मिक नेताओं द्वारा इसकी समीक्षा की जानी चाहिए.

मथुरा में भी हुआ विरोध प्रदर्शन

'आदिपुरुष' के अमर्यादित संवाद और चरित्र चित्रण को लेकर मथुरा के गोविंद नगर थाना क्षेत्र में स्थित एक सिनेमाघर पर सोमवार को पहले शो से पूर्व ही अखिल भारत हिंदू महासभा के पदाधिकारियों और अन्य लोगों ने पहुंचकर नारेबाजी की. महासभा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा कि फिल्म के डायलॉग सनातन संस्कृति की छवि को बिगाड़ने वाले हैं, जिससे हमें बेहद पीड़ा महसूस हुई है. उन्होंने कहा कि वे लोग सेंसर बोर्ड का पुतला दहन करने आए थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया.

वाराणसी में भी फिल्म का विरोध

एक हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने वाराणसी के सिगरा में आईपी मॉल पर विरोध प्रदर्शन किया और फिल्म के पोस्टर फाड़ डाले. संगठन के नेता हेमंत राज ने बताया कि सोमवार को दर्जनों की संख्या में युवा भारत माता मंदिर पर एकत्रित हुए और यहां से जुलूस बनाकर सिगरा स्थित आईपी मॉल पहुंचे. उन्होंने कहा कि युवाओं ने वहां फिल्म का पोस्टर फाड़कर नारेबाजी की और फिल्म को बंद करने की मांग की. युवाओं ने आदिपुरुष फिल्म को ना देखने की लोगों से अपील की और पर्चे बांटे. उन्होंने मांग की कि उत्तर प्रदेश सरकार तत्काल इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाये.

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लखनऊ में फिल्म के खिलाफ पुलिस से शिकायत

यूपी की राजधानी लखनऊ में हिंदू महासभा के पदाधिकारियों ने हजरतगंज थाने में तहरीर देकर फिल्‍म के अभिनेताओं, निर्माता और निर्देशक के खिलाफ प्राथमिकी पंजीकृत दर्ज करने की मांग की है. अखिल भारतीय हिंदू महासभा के प्रवक्‍ता शिशिर चतुर्वेदी और उनके अन्य साथियों ने अपनी तहरीर में कहा कि फिल्‍म में सनातम धर्म का, प्रभु श्रीराम का, हनुमान जी का, भगवा ध्‍वज का और सीता मैया का अपमान किया गया है. उन्होंने कहा कि फिल्‍म का चित्रण गलत और कलाकारों की वेशभूषा अनुचित है और इसके संवाद आपत्तिजनक हैं. उन्होंने कहा कि असल रामायण का गलत प्रस्तुतीकरण किया गया है. इस बारे में सहायक पुलिस आयुक्‍त (एसीपी) अरविंद कुमार वर्मा ने बताया कि फिल्म के खिलाफ तहरीर मिल गयी है और पुलिस मामले की जांच कर रही है.

क्या सेंसर बोर्ड धृतराष्ट्र बन गया है? - अखिलेश यादव

इस बीच, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने 'आदिपुरुष' को लेकर भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा, लेकिन उन्‍होंने फिल्म का नाम नहीं लिया. अखिलेश ने ट्विटर पर लिखा, '' जो राजनीतिक आकाओं के पैसों से, उनके एजेंडे वाली मनमानी फिल्में बनाकर लोगों की आस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं, उनकी फिल्मों को प्रमाणपत्र देने से पहले सेंसर बोर्ड को उनके ‘राजनीतिक-चरित्र’ का प्रमाणपत्र देखना चाहिए. क्या सेंसर बोर्ड धृतराष्ट्र बन गया है?''

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव ने ट्वीट कर कहा, ''सस्ते व सतही संवाद वाले सिनेमा के जरिये मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम और उनकी कथा के विराट तथा प्रेरक चरित्रों को संकुचित करने का प्रयास किया जा रहा है. इससे करोड़ों आस्थावान सनातनी आहत हैं. इस कृत्य के लिए तथाकथित सनातनी भाजपाई देश से माफी मांगें. ये काम ना करो, राम का नाम बदनाम ना करो.''

उत्तराखंड के साधु-संतों में भारी नाराजगी

उत्तराखंड के हरिद्वार में भी साधु-संतों ने आदिपुरुष प्रतिबंध लगाने की मांग की और चेतावनी दी कि ऐसा ना होने पर पूरे देश में आंदोलन छेड़ा जाएगा. रामायण के कथानक पर बनाई गयी फिल्म के बारे में जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानन्द ने कहा कि यह फिल्म एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र के तहत सनातन संस्कृति को बदनाम करने के लिए बनाई गयी है और भगवान श्री राम और हनुमान जी के चरित्रों द्वारा बोले गए संवाद वास्तव में बहुत ही निंदनीय हैं. उन्होंने कहा, ‘‘फिल्म में हनुमानजी के मुख से ऐसे संवाद बुलवाए गए हैं जो अमर्यादित हैं. भारत सरकार इस फिल्म को तत्काल प्रतिबंधित करे ताकि देश में कोई बड़ा बवाल ना हो.’’

फिल्म बनाने वालों पर कड़ी कार्रवाई हो : महामंडलेश्वर

महामंडलेश्वर स्वामी संतोषानंद ने 'आदिपुरुष' बनाने वालों पर भी कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग करते हुए कहा कि फिल्म में जिस प्रकार से किरदारों को फिल्माया गया है, वह सनातन परंपरा के विरुद्ध है. उन्होंने कहा, ‘‘भगवान राम हिंदुओं की आस्था के प्रतीक हैं और इससे खिलवाड़ की अनुमति किसी को नहीं है.’’ युवा भारत साधु समाज के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी रवि देव शास्त्री ने कहा कि 'आदिपुरुष' में दिखाए गए चरित्र हमारी संस्कृति से मेल नहीं खाते जबकि फिल्म में तथ्यों के साथ भी छेड़छाड़ की गयी है. उन्होंने कहा कि फिल्म में माता सीता का जन्म स्थान नेपाल की जगह कुछ और बताया गया है जिससे नेपाल ने भी उस पर प्रतिबंध लगा दिया है.

महाराष्ट्र में भी “आदिपुरुष” का विरोध

महाराष्ट्र के पालघर में भी “आदिपुरुष” के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ. पालघर जिले के नालासोपारा में लोगों ने फिल्म के शो में रुकावट डाली और दावा किया कि इससे हिंदुओं की भावनाएं आहत हुई हैं. मीरा-भायंदर वसई विरार (एमबीवीवी) थाने के एक अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने ‘राष्ट्र प्रथम’ नामक समूह से जुड़े होने का दावा किया. कुछ दिन पहले हिंदू जनजागृति समिति (एचजेएस) ने एक बयान जारी कर ओम राउत के निर्देशन में बनी फिल्म में "आपत्तिजनक कल्पनाशील दृश्यों" के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे ने भी कहा था कि लाखों लोगों के पूज्य भगवान राम पर फिल्म रचनात्मक स्वतंत्रता के नाम पर आधारित कल्पना के माध्यम से नहीं, बल्कि शास्त्रों को पढ़ने और समझने के बाद बनाई जानी चाहिए.

नेपाल के काठमांडू, पोखरा में सभी हिंदी फिल्मों पर रोक

नेपाल में तो 'आदिपुरुष' पर हो रहे विवाद के बीच सोमवार को सभी हिंदी फिल्मों के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया गया. फिल्म में माता सीता का उल्लेख "भारत की बेटी" के रूप में किये जाने का नेपाल में कड़ा विरोध हो रहा है. इसी के बाद राजधानी काठमांडू और पोखरा शहर में ‘आदिपुरुष’ सहित सभी हिंदी फिल्मों के प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई है. काठमांडू के महापौर बालेंद्र शाह ने कहा है कि शहर में किसी भी हिंदी फिल्म के प्रदर्शन की अनुमति तब तक नहीं दी जाएगी, जब तक फिल्म का यह संवाद कि "जानकी भारत की एक बेटी है", न सिर्फ नेपाल बल्कि भारत में भी हटाया नहीं जाता. गौरतलब है कि माता सीता का जन्म नेपाल के जनकपुर में माना जाता है. पोखरा के महापौर धनराज आचार्य ने कहा कि सोमवार से शहर में "आदिपुरुष" समेत सभी हिंदी फिल्मों के प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई है.

कई भाषाओं में रिलीज हुई है 'आदिपुरुष'

'आदिपुरुष' शुक्रवार को देशभर में हिंदी, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और तमिल भाषाओं में रिलीज हुई है. फिल्म में अभिनेता प्रभास ने भगवान राम की, कृति सेनन ने सीता की और सैफ अली खान ने रावण की भूमिका निभाई है. ओम राउत द्वारा निर्देशित और टी-सीरीज द्वारा निर्मित बड़े बजट वाली इस फिल्म के संवाद मनोज मुंतशिर ने लिखे हैं. सोशल मीडिया पर भी इस फिल्म की काफी आलोचना हो रही है. इस बीच फिल्म पर विवाद बढ़ता देख इसके संवाद लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला ने कहा है कि फिल्म निर्माताओं ने "कुछ संवादों को संशोधित करने" का फैसला किया है, क्योंकि उनकी भारी आलोचना हो रही है. हालांकि इन आलोचनाओं और विरोध प्रदर्शन के बावजूद फिल्म ने अब तक बॉक्स ऑफिस पर जमकर कमाई की है.

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