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एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इंडिया के अनुसार सरकार ने निजी अस्पतालों का 7-8 महीने से बकाया नहीं चुकाया.
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एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इंडिया ने दावा किया है कि सरकार ने देश भर के निजी अस्पतालों का 7-8 महीने से बकाए का भुगतान नहीं किया है. जिसकी वजह से वे केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) और ‘एक्स सर्विसमैन कंट्रिब्यूटरी हेल्थ स्कीम’ (ईसीएचएस) योजनाओं के तहत कवर होने वाले मरीजों के लिए ‘कैशलेस’ सुविधा बंद करने पर विचार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह से अस्पताल के खर्च बढ़ रहे हैं, इस बारे में ध्यान देना जरूरी हो गया है.
एसोसिएशन के महानिदेशक डॉ गिरधर ज्ञानी ने न्यूज एजेंसी को बताया कि बकाये राशि को लेकर कुछ दिन पहले वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात की थी. उन्हें पूरी स्थिति से अवगत कराया था. उन्होंने स्थिति को गंभीर माना था और मामले को जल्दी हल करने का आश्वासन दिया था, जिसके बाद कुछ अस्पतालों को भुगतान किया गया था. लेकिन सबको भुगतान नहीं हुआ और यह भुगतान पूरी रकम का नहीं किया गया था.
7 दिन में 70% भुगतान हो
डॉ ज्ञानी ने बताया कि नियम के तहत 7 दिन के अंदर 70 फीसदी का भुगतान हो जाना चाहिए लेकिन यहां तो महीनों से भुगतान नहीं हो रहा है. उन्होंने दावा किया कि सिर्फ दिल्ली के ही 10 अस्पतालों का बकाया 650 करोड़ रुपये से ज्यादा है. डॉ ज्ञानी ने कहा कि अगर समय पर भुगतान नहीं होगा तो अस्पताल खर्चों में कटौती करेंगे. वे प्रशिक्षित स्टाफ नहीं रखेंगे. केमिकल आदि से साफ-सफाई नहीं करेंगे जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि अगर 15 दिन में बकाये का भुगतान नहीं किया गया तो हम एक फरवरी से कैशलेस सेवा को बंद कर देंगे.
आयुष्मान भारत को लेकर क्या है परेशानी
डॉ ज्ञानी ने यह भी बताया कि उनका संगठन आयुष्मान भारत में सरकार की ओर से तय किए गए रेट को लेकर अदालत का रुख करने पर विचार कर रहा है, क्योंकि यह सही नहीं है. वहीं, भारतीय चिकित्सा संघ ने बयान में बताया कि भारत में ओपीडी के 70 फीसदी और आईपीडी (अस्पताल में भर्ती) के 60 फीसदी मरीजों का इलाज निजी अस्पतालों में होता है. ऐसे में आर्थिक तंगी की वजह से इन अस्पतालों का काम रुकने से देश की स्वास्थ्य सेवा चरमरा जाएगी.
इलाज की दरों में कोई संशोधन की मांग
बयान में कहा गया है कि 2014 से सीजीएचएस के तहत इलाज की दरों में कोई संशोधन नहीं हुआ है, जबकि बढ़ती महंगाई की वजह से अस्पतालों के खर्चे तेजी से बढ़ रहे हैं. इसमें बताया गया है कि सीजीएचएस और अस्पतालों के बीच करार और दरों में हर 2 साल में संशोधन का प्रावधान है, लेकिन सीजीएचएस बिना कारण बताए इसे एकतरफा टाल रहा है.