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The government’s relief package is expected to start taking effect sometime in mid-June, but this would merely help companies restart operations.
वित्त वर्ष 2020 की चारों तिमाही में GDP ग्रोथ रेट 5 फीसदी के दायरे में रही है.Q4FY20 GDP Data: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को मार्च तिमाही और वित्त वर्ष 2019-20 की आर्थिक विकास दर (GDP growth) के आंकड़े जारी किए. जनवरी-मार्च 2020 तिमाही में देश की GDP ग्रोथ रेट घटकर 3.1 फीसदी पर आ गई. वहीं, वित्त वर्ष 2019-20 में अर्थव्यवस्था की विकास दर 4.2 फीसदी दर्ज की गई. वित्त वर्ष 2020 की चारों तिमाही में ग्रोथ रेट 5 फीसदी के दायरे में रही है. लॉकडाउन से मार्च तिमाही जीडीपी ग्रोथ को झटका लगा है लेकिन यह कई रिपोर्ट और एजेंसियों के अनुमान से अधिक रही.
राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (NSO) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 की मार्च तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 5.7 फीसदी दर्ज की गई थी. वहीं, वित्त वर्ष 2018-19 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.1 फीसदी की दर से बढ़ी थी. सरकार ने 25 मार्च को कोविड19 पर काबू पाने के लिए लॉकडाउन लगाया था. हालांकि, जनवरी-मार्च के दौरान दुनियाभर में बिजनेस एक्टिविटी की सुस्ती का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ा है.
रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 के किलए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 5 फीसदी लगाया था. एनएसओ ने भी इस साल जनवरी और फरवरी में पहले और दूसरे अग्रिम अनुमान भी जीडीपी को ही पूर्वानुमान जताया था. बता दें, कोरोनावायरस महामारी के चलते जनवरी-मार्च 2020 में चीन की अर्थव्यवस्था 6.8 फीसदी गिरी है.
FY20: पिछली तीन तिमाही का GDP संशोधित
सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तीन तिमाही की ग्रोथ के आंकड़े संशोधित किए हैं. संशोधित आंकड़ों के अनुसार, Q1FY20 में जीडीपी ग्रोथ 5.2 फीसदी, Q2FY20 में 4.4 फीसदी और Q3FY20 में 4.1 फीसदी है.
चौथी तिमाही में ग्रास वैल्यू एडेड (GVA) 3 फीसदी रही, जो कि जीडीपी ग्रोथ के बराबर रही है. जीवीए का आंकड़ा दर्शाता है कि चौथी तिमाही में टैक्स कलेक्शन प्रभावित हुआ ह. पूरे साल जीवीए 3.9 फीसदी रहा.
चार तिमाहियों में GDP ग्रोथ
Q1FY20: 5%
Q2FY20: 4.5%
Q3FY20: 4.7%
Q4FY20: 3.1%
(Source: CSO)
जीडीपी के आंकड़ों पर IDFC First बैंक के अर्थशास्त्री इंद्रनिल पान का कहना है कि चौथी तिमाही के आंकड़े उम्मीद से बेहतर रहे हैं. हमें यह समझने की जरूरत है कि पूरे वित्त वर्ष में विकास दर लगातार कमजोर हुई है. हमारे सामने कुछ स्ट्रक्चरल चुनौतियां और आर्थिक सुस्ती का दौर रहा और इसके साथ हम एक हेल्थ इमरजेंसी के दौर में प्रवेश किए और उससे जूझ रहे हैं. इस बीच, लॉकडाउन के चलते सबसे मुश्किल यह रहा कि चौथी तिमाही में प्राइवेट कंज्म्पशन में तेजी से गिरावट आई और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यही स्थिति बनी रह सकती है. पर्याप्त राजकोषीय मदद नहीं मिलने के चलते वित्त वर्ष 2021 एक मंदी का साल रह सकता है.
Q4 में ही प्रभावित हुआ कामकाज
इससे पहले, DPIIT की तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल महीने में आठ कोर सेक्टर आउटपुट में 38.10 फीसदी की भारी गिरावट आई है. मार्च में इन आठ सेक्टर में केवल 9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी. केयर रेटिंग्स का कहना है कि कई कंपनियां वित्त वर्ष के अंत में अपने टारगेट पूरे करने के लिए अपनी गतिविधियां बढ़ाती हैं. इससे वृद्धि के आंकड़ों को मदद मिलती है. लेकिन इस बार कोरोना के चलते भारत के मामले में मार्च के अंतिम सप्ताह कई तरह के प्रतिबंध रहे, खासकर सर्विस सेक्टर को लेकर.
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