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नीरा राडिया को CBI की क्लीन चिट, जांच एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, रिकॉर्ड की गई बातचीत में नहीं मिला कोई अपराध

CBI के मुताबिक कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया की कई बड़ी हस्तियों से फोन पर हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग में ऐसा कुछ भी नहीं मिला, जिसे आपराधिक कहा जा सके.

CBI के मुताबिक कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया की कई बड़ी हस्तियों से फोन पर हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग में ऐसा कुछ भी नहीं मिला, जिसे आपराधिक कहा जा सके.

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FE Hindi Desk
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Radia Tape Case CBI says in Supreme Court No criminality found

कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया के खिलाफ बरसों पहले लगे जिन आरोपों ने खलबली मचा दी थी, उनकी जांच में कुछ भी नहीं निकला. (File Photo)

चर्चित कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया के खिलाफ बरसों पहले लगाए गए जिन आरोपों ने सियासत से लेकर कारोबारी दुनिया और मीडिया तक में खलबली मचा दी थी, उसकी जांच में कुछ भी नहीं निकला. आज ये बात कथित राडिया टेप कांड की जांच कर रही सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कही है. सीबीआई की तरफ से नीरा राडिया को क्लीन चिट दिए जाने का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अब जांच एजेंसी को इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.

केंद्र सरकार की जांच एजेंसी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने देश की सबसे बड़ी अदालत से कहा कि सीबीआई को अपनी बरसों तक चली पड़ताल के दौरान किसी भी आपराधिक गतिविधि का पता नहीं चला है. उन्होंने कहा कि सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस मामले में 14 प्रीलिमिनरी इनक्वॉयरी (PI) दर्ज की थीं. इन सभी की जांच से जुड़ी सीबीआई की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पहले ही सर्वोच्च न्यायालय को सौंपी जा चुकी है. भाटी ने बताया कि सीबीआई की जांच में किसी भी आपराधिक गतिविधि का पता नहीं चला है.

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सीबीआई ने यह बात उद्योगपति रतन टाटा की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कही. रतन टाटा ने नीरा राडिया के फोन पर हुई बातचीत की हजारों रिकॉर्डिंग्स को सार्वजनिक किए जाने पर रोक लगाने की मांग की है. उनकी दलील है कि नीरा राडिया के फोन की टैपिंग टैक्स चोरी के आरोपों की जांच के मकसद से की गई थी, लिहाजा उनका इस्तेमाल किसी और मकसद से नहीं किया जाना चाहिए. नीरा राडिया के फोन को 2008 से 2009 के दौरान कथित टैक्स चोरी के आरोपों की जांच के मकसद से टैप किया गया था.

बुधवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अदालत से कहा, "सीबीआई को रिकॉर्ड की गई बातचीत की जांच करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने ही दिया था. इस मामले में 14 प्रीलिमिनरी इनक्वॉयरी रजिस्टर की गई थी, जिसकी रिपोर्ट कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में सौंपी जा चुकी है. इनमें जांच एजेंसी को कोई भी ऐसी बात नहीं मिली, जिसे आपराधिक कहा जा सके. इसके अलावा अब फोन-टैपिंग के बारे में गाइडलाइन्स भी लागू हो चुकी हैं." भाटी ने यह भी कहा कि प्राइवेसी के मामले में दिए गए अदालत के फैसले के बाद अब इस मामले में कुछ भी नहीं बचा है.

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जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने कहा कि वो इस मामले की अगली सुनवाई दशहरे की छुट्टी के बाद 12 अक्टूबर को करेगी. इस बीच, सीबीआई अपनी अपडेटेड स्टेटस रिपोर्ट फाइल कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में नीरा राडिया के फोन की रिकॉर्डिंग के सामने आने के बाद पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने का आदेश दिया था. कोर्ट ने उस वक्त कहा था कि फोन रिकॉर्डिंग से सरकारी अधिकारियों और प्राइवेट कंपनियों के बीच गहरी साठगांठ का संकेत मिलता है.

(इनपुट- पीटीआई)

Supreme Court Cbi Ratan Tata