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Rahul Gandhi Manipur Visit: कांग्रेस नेता राहुल गांधी दो दिन के मणिपुर दौरे पर इंफाल पहुंचे. एयरपोर्ट पर उनका स्वागत राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह औ राज्य के कांग्रेस अध्यक्ष के एम सिंह ने किया. (ANI Photo)
Rahul Gandhi in Manipur for two-day visit: दो दिन के मणिपुर दौरे पर आए कांग्रेस नेता राहुल गांधी हिंसा प्रभावित लोगों से मिलने के लिए हेलिकॉप्टर से चुराचांदपुर जा रहे हैं. एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि राहुल अब से थोड़ी देर पहले इंफाल से हेलिकॉप्टर में बैठकर रवाना हो गए. राहुल गांधी गुरुवार की सुबह राजधानी इंफाल पहुंचे, लेकिन वहां से सड़क के रास्ते चुराचांदपुर जाते समय बिष्णुपुर में पुलिस ने उनके काफिले को रोक लिया. राहुल गांधी चुराचांदपुर जिले के राहत शिविरों (relief camps) में रह रहे हिंसा पीड़ितों से मिलने जा रहे थे. लेकिन पुलिस अधिकारियों ने रास्ते में हिंसा की आशंका बताते उन्हें आगे नहीं जाने दिया. राहुल गांधी के साथ मौजूद कांग्रेस नेताओं ने पुलिस और सेना के अधिकारियों से बात करके आगे जाने की कोशिश की, लेकिन जब ऐसा संभव नहीं हुआ तो राहुल को वापस इंफाल लौटना पड़ा, जहां से कुछ देर बाद वे हेलिकॉप्टर से रवाना हुए.
अब तक 100 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं
राहुल गांधी अपनी दो दिन की मणिपुर यात्रा के दौरान राज्य में काम कर रहे सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों और समाजसेवियों से भी मुलाकात करेंगे. करीब दो महीने से हिंसा की आग में झुलस रहे मणिपुर में सौ से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और करीब 50 हजार लोग 300 राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं. कई हजार परिवारों को हत्या के डर से अपना घर-बार छोड़कर पड़ोसी राज्य मिजोरम में शरण लेनी पड़ी है.
मणिपुर में कानून व्यवस्था फेल?
कांग्रेस सूत्रों ने बताया है कि पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक राहुल गांधी अपनी यात्रा के दूसरे दिन यानी शुक्रवार को इंफाल के रिलीफ कैंप्स में जाएंगे. भारत के इस उत्तर पूर्वी सीमावर्ती राज्य में मई महीने के पहले हफ्ते से ही हिंसा जारी है, जिस पर अब तक काबू नहीं पाया जा सका है. हालात यहां तक बिगड़े कि इंफाल के रहने वाले केंद्रीय मंत्री आर के रंजन सिंह के घर पर भी दो बार हमले हुए और उनके घर को जला दिया गया. इतना ही नहीं, राज्य सरकार की एक महिला कैबिनेट मंत्री का घर भी जलाया जा चुका है. मणिपुर के कई विधायक और बड़े अफसरों के घरों पर भी हमले हो चुके हैं. कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर लगातार मोदी सरकार और गृह मंत्री अमित शाह को कटघरे में खड़ा करती रही है. कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र सरकार ने राज्य के हालात को संभालने के लिए सही ढंग से काम नहीं किया. मणिपुर में अभी मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार है. फिर भी केंद्रीय मंत्री आर के रंजन सिंह कह चुके हैं कि मणिपुर में कानून व्यवस्था पूरी तरह फेल गई है.
मणिपुर में कैसे शुरू हुई हिंसा
मणिपुर में मेतेई (Meitei) समुदाय के लोगों और कुकी (Kuki) आदिवासियों के बीच हो रही जातीय हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. इस हिंसा की शुरुआत 3 मई 2023 को राज्य के पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकता मार्च (Tribal Solidarity March) निकाले जाने के बाद हुई. इस एकता मार्च का आयोजन मेतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मांग के विरोध में किया गया था. मणिपुर में मेतेई समुदाय की आबादी करीब 53 फीसदी है, जो मुख्यतौर पर इंफाल वैली में रहते हैं. नागा और कुकी को जोड़ दें तो राज्य में आदिवासियों की कुल आबादी करीब 40 फीसदी है. ये लोग मुख्यतौर पर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.