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Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में बीजेपी ने वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित नहीं करके उनके समर्थकों को निराश किया है, जबकि कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सचिन पायलट की चुनौती के साथ-साथ आलाकमान की कथित नाराजगी से भी निपटना है. (File Photo : PTI)
Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार खत्म होने में अब कम ही वक्त बचा है. ऐसे में राज्य की सत्ता के दोनों प्रमुख दावेदारों - बीजेपी और कांग्रेस की तरफ से सियासी जोर-आजमाइश पूरे उफान पर है. दोनों ही पार्टियां राजस्थान के ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं को अपने पाले में करने की पूरी कोशिश कर रही हैं. राजस्थान में हर 5 साल बाद सत्ता परिवर्तन के सिलसिले को तोड़कर कांग्रेस दोबारा सरकार बनाने की कोशिश कर रही है, तो बीजेपी एंटी-इनकम्बेंसी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्मे के दम पर अपना 5 साल का वनवास खत्म होने की उम्मीद कर रही है.
किसके वादों में कितना है दम
राजस्थान की सत्ता पर काबिज होने के लिए कांग्रेस और बीजेपी ने अपने-अपने चुनावी वादों का पिटारा खोल दिया है. मतदाताओं को लुभाने के लिए एक से बढ़कर एक वादे किए जा रहे हैं. कांग्रेस और बीजेपी के चुनावी घोषणा पत्रों पर नजर डालें तो दोनों ने ही मतदाताओं को रिझाने के लिए सस्ते गैस सिलेंडर और रोजगार देने के वादे किए हैं. किसानों के लिए भी बेहतर न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत कई लुभावने एलान दोनों पार्टियां कर रही हैं.
बीजेपी के घोषणापत्र में क्या है खास
राजस्थान में सत्ता हासिल करने के लिए पूरी ताकत लगा रही बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में कई बड़े वादे किए हैं. इसमें गरीबों को मुफ्त राशन की स्कीम जारी रखने, प्रदेश के सभी परिवारों को घर देने और पीएम किसान सम्मान निधि की रकम को 6 हजार से बढ़ाकर 12 हजार रुपये करने जैसे एलान खास हैं. इसके अलावा बीजेपी ने गेहूं 2700 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर खरीदने और ज्वार, बाजरे की एमएसपी पर खरीद का वादा भी किया है. इसके अलावा बीजेपी ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए एंटी रोमियो स्क्वॉड बनाने, हर जिले में महिला थाना और हर थाने में महिला डेस्क बनाने का एलान भी किया है.
बीजेपी के चुनावी वादों में गरीब परिवारों के छात्रों को हर साल 12 हजार रुपये की मदद देने का एलान भी शामिल है. इसके अलावा गरीब महिलाओं को 450 रुपये में गैस सिलेंडर और सभी छात्राओं को प्राइमरी से पोस्ट ग्रेजुएशन तक मुफ्त शिक्षा देने का वादा भी बीजेपी ने किया है. पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में नौजवानों को 2.5 लाख सरकारी नौकरियां देने और 50 लाख युवाओं को दूसरे तरीकों से रोजगार/स्वरोजगार देने का एलान किया है. बीजेपी ने सत्ता में आने पर पेपर लीक के मामलों की जांच के लिए एसआईटी बनाने का एलान भी किया है. राजस्थान में पेपर लीक एक बड़ा सियासी मुद्दा बना हुआ है.
कांग्रेस घोषणापत्र के बड़े वादे
कांग्रेस पार्टी ने जन घोषणा पत्र के नाम से जारी अपने इलेक्शन मेनिफेस्टो में हर तबके के लिए वादों का पिटारा खोल दिया है. इसमें किसानों को स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश के मुताबिक न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देने के लिए कानून बनाने और किसानों को बिना किसी ब्याज के 2 लाख रुपये तक का कर्ज देने का वादा काफी अहम है. इसके अलावा कांग्रेस ने कृषि बजट को दो गुना करने का एलान भी किया है. चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के कवरेज को 25 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपये करने और आईवीएफ पैकेज को इसके दायरे में लाने का एलान भी कांग्रेस ने किया है. इसके अलावा पार्टी का कहना है कि उसकी सरकार 4 लाख नौजवानों को सरकारी नौकरी देगी, जबकि 10 लाख युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर मुहैया कराए जाएंगे. इसके अलावा कांग्रेस ने उज्ज्वला योजना और नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत आने वाले और गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को 400 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर देने का वादा भी किया है.
कांग्रेस के जन घोषणा पत्र में 8वीं की जगह 12वीं कक्षा तक मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराने, मनरेगा और इंदिरा गांधी शहरी रोजगार योजना में 125 से बढ़ाकर 150 दिन काम देने और छोटे व्यापारियों, दुकानदारों को 5 लाख रुपये तक का ब्याज मुक्त कर्ज मुहैया कराने के लिए व्यापारी क्रेडिट कार्ड योजना शुरू करने का एलान भी किया है. इसके अलावा 100 तक की आबादी वाले गांवों और ढाणियों को सड़क से जोड़ने, हर गांव और शहरी वार्ड में सिक्योरिटी गार्ड तैनात करने और आवास का अधिकार कानून लाकर सभी को घर देने का वादा भी कांग्रेस ने किया है.
अंदरूनी घमासान : बीजेपी, कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती?
राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस सिर्फ चुनावी वादों के मामले में ही एक-दूसरे से होड़ नहीं कर रहे हैं, चुनावी जंग से जुड़ा एक और पहलू ऐसा है, जिसमें कोई किसी से कम नहीं नजर आ रहा. ये मसला है दोनों पार्टियों के बीच नेतृत्व को लेकर जारी अंदरूनी घमासान का. कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच बरसों से खुलेआम चलती आ रही रस्साकशी किसी से छिपी नहीं है. अब तो यह भी समझा जाने लगा है कि गहलोत से पार्टी आलाकमान भी खुश नहीं है. दूसरी तरफ बीजेपी में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और केंद्रीय नेतृत्व के बीच तालमेल और आपसी विश्वास की कमी की चर्चा भी होती रहती है. यहां तक कि मीडिया के कैमरों के सामने राजस्थान के तमाम बीजेपी समर्थकों को भी वसुंधरा राजे को चेहरा नहीं बनाए जाने पर असंतोष जाहिर करते देखा-सुना जा सकता है. हालांकि चुनाव के एलान के बाद बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों की तरफ से एकजुटता दिखाने की काफी कोशिश हुई है. लेकिन चुनाव के नतीजों का फैसला करने वाले मतदाता इन कोशिशों पर कितना भरोसा करेंगे और किस पार्टी को अगले 5 साल के लिए प्रदेश की कमान सौंपेंगे ये तो 3 दिसंबर को मतगणना के बाद ही पता चलेगा.