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लिट्टे के आतंकवादियों ने 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरुंबुदूर में एक चुनावी सभा के दौरान देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आत्मघाती हमले में बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी थी. (File Photo)
Rajiv Gandhi assassination case : सुप्रीम कोर्ट ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के उन सभी 6 गुनहगारों की बची हुई सजा माफ कर दी है, जो अब तक उम्रकैद काट रहे थे. जिन 6 हत्यारों की बची हुई सजा को सुप्रीम कोर्ट ने माफ किया है, उनके नाम हैं नलिनी श्रीहरन, आरपी रविचंद्रन, संथन, मुरुगन, रॉबर्ट पायस और जयाकुमार. इनमें से नलिनी पहले से ही पेरोल पर जेल से बाहर चल रही है. जबकि राजीव गांधी की हत्या के एक और गुनहगार एजी पेरारिवलन की बाकी सजा सुप्रीम कोर्ट 18 मई को ही माफ कर चुका है.
नलिनी और रविचंद्रन समेत बाकी 6 हत्यारों की बाकी सजा माफ करने का आदेश देते समय सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन की रिहाई के मई में सुनाए गए आदेश को भी ध्यान में रखा है. दरअसल नलिनी ने पेरारिवलन की रिहाई के आदेश का हवाला देते हुए ही अपनी बाकी सजा माफ किए जाने की मांग की थी. जिस पर विचार करने के बाद जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना की खंडपीठ ने शुक्रवार को बाकी हत्यारों की रिहाई का आदेश भी सुना दिया.
लिट्टे के आतंकवादी हमले में हुई थी राजीव गांधी की हत्या
दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठनों में शामिल रहे लिट्टे के आतंकवादियों ने 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरुंबुदूर में एक चुनावी सभा के दौरान देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आत्मघाती हमले में बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी थी. इस हमले में सुप्रीम कोर्ट ने 1999 में चार हत्यारों को मौत की सजा सुनाई थी, जबकि तीन अन्य मुजरिमों को उम्रकैद दी गई थी. लेकिन सन 2000 में नलिनी के मृत्युदंड को उम्र कैद में तब्दील कर दिया गया था. इसके बाद 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने तीन अन्य मुजरिमों की मौत की सजा को भी उम्रकैद में बदल दिया था. मई में रिहा किया गया पेरारिवलन भी इन्हीं में एक था.
सुप्रीम कोर्ट ने विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया
18 मई 2022 को पेरारिवलन की रिहाई का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिले विशेष अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए दिया था. तब तक पेरारिवलन 30 साल से ज्यादा समय तक जेल में रह चुका था. पेरोल पर जेल से बाहर चल रही नलिनी ने पेरारिवलन की रिहाई के इसी आदेश को आधार बनाते हुए अपनी बाकी सजा भी माफ किए जाने की मांग की थी. उसने पहले इसके लिए मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. लेकिन हाईकोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद नलिनी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जहां से आज उसके साथ ही साथ बाकी गुनहगारों को भी बहुत बड़ी राहत मिल गई.