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पहले नहीं हैं उर्जित पटेल, सरकार से मतभेद पर इन RBI गवर्नर्स ने भी दिया था इस्तीफा

केन्द्र के साथ चल रही तनातनी के बीच RBI गवर्नर उर्जित पटेल ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

केन्द्र के साथ चल रही तनातनी के बीच RBI गवर्नर उर्जित पटेल ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

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FE Online
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Fitch Ratings lowered India's growth forecast for the fiscal to 7.2 per cent, from an earlier projection of 7.8 per cent rise. (Reuters)

rbi governors who resigned due to tussle with government पिछले कई दिनों से RBI और सरकार के बीच कई मुद्दों पर तनाव चल रहा था. (Reuters)

केन्द्र के साथ चल रही तनातनी के बीच RBI गवर्नर उर्जित पटेल ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उनका इस्तीफा तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है. हालांकि पटेल ने इस कदम की वजह निजी कारणों को बताया है.

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पिछले कई दिनों से RBI और सरकार के बीच कई मुद्दों पर तनाव चल रहा था. इसमें बैंक NPA का उच्च स्तर, RBI रिजर्व, NBFC लिक्विडिटी, RBI एक्ट का सेक्शन-7 आदि शामिल हैं. कहा जा रहा था कि सरकार ने RBI एक्ट के सेक्शन-7 के भीतर अपने विशेषाधिकार को लागू कर दिया है. इसे रिज़र्व बैंक की स्वायत्ता में हस्तक्षेप माना गया था.

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उर्जित पटेल पहले RBI गवर्नर नहीं है, जिनकी सरकार के साथ तनातनी हुई है. इससे पहले भी RBI गवर्नर और सरकार के बीच मतभेद पैदा हुए हैं, जिनका नतीजा तत्कालीन गवर्नर के इस्तीफे के रूप में सामने आया. आइए बताते हैं और किन RBI गवर्नर्स ने सरकार से मतभेद पर अपना कार्यकाल बीच में ही छोड़ दिया था-

Sir ओसबोर्न स्मिथ (अप्रैल 1935 से जून 1937)

Sir ओसबोर्न स्मिथ RBI के पहले गवर्नर थे. उन्होंने 20 साल तक बैंक ऑफ न्यू साउथ वेल्स और 10 साल तक कॉमनवेल्थ बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया को अपनी सेवाएं दीं. 1926 में वह इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया के MD बने. उसके बाद 1935 में RBI गवर्नर.

RBI गवर्नर के कार्यकाल के दौरान स्मिथ और सरकार के बीच एक्सचेंज रेट और इंट्रेस्ट रेट जैसे पॉलिसी इश्यूज पर टकराव हुआ. उसके बाद उन्होंने साढ़े तीन साल का अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया. स्मिथ ने अपने कार्यकाल के दौरान किसी भी बैंक नोट पर साइन नहीं किया.

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सर‌‌ बेनेगल रामा राव (जुलाई 1949-जनवरी 1957)

सर बेनेगल रामा राव RBI के सबसे लंबे वक्त तक गवर्नर रहे. केन्द्रीय बैंक से जुड़ने से पहले वह अमेरिका में भारतीय राजदूत थे. उनके कार्यकाल में ही इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में तब्दील हुआ.

बेनेगल राम राव का पहला कार्यकाल खत्म होने पर उन्हें दूसरी बार RBI गवर्नर बनाया गया लेकिन बीच में ही राव और तत्कालीन वित्त मंत्री टीटी कृष्णाचारी में टकराव पैदा हो गया. कृष्णाचारी RBI को अलग संस्था मानने के बजाय वित्त मंत्रालय का हिस्सा मानने के पक्ष में थे. उन पर RBI के कार्यक्षेत्र में दखल का आरोप भी लगा. टकराव बढ़ने पर राव ने जनवरी 1957 को इस्तीफा दे दिया.

(Source: https://rbi.org.in/Scripts/governors.aspx)