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Image: Reuters
करेंसी नोट द्वारा किसी भी प्रकार का बैक्टीरिया व वायरस फैल सकता है और इसलिए करेंसी के उपयोग की बजाय लोगों को डिजिटल भुगतान का अधिक से अधिक इस्तेमाल करना चाहिए. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) द्वारा भेजे गए एक प्रश्न के जवाब में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अपनी एक मेल में अप्रत्यक्ष रूप से यह उत्तर दिया है.
कैट ने 9 मार्च 2020 को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक लेटर भेजा, जिसमें यह स्पष्ट करने का आग्रह किया गया था कि क्या करेंसी नोट बैक्टीरिया और वायरस के वाहक हैं या नहीं. इसे वित्त मंत्रालय ने रिजर्व बैंक को भेजा, जिसके जवाब में आरबीआई ने 3 अक्टूबर 2020 को एक मेल के माध्यम से कैट को दिए अपने जवाब में उल्लिखित संकेत दिया है.
कैट को भेजे अपने जवाब में रिजर्व बैंक ने कहा है, 'कोरोना वायरस महामारी को सीमित करने के लिए लोग अपने घरों से ही सुविधापूर्वक मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, कार्ड इत्यादि जैसे ऑनलाइन चैनल्स के माध्यम से डिजिटल भुगतान कर सकते हैं और करेंसी का उपयोग करने अथवा एटीएम से नकदी निकालने से बच सकते हैं. इसके अलावा कोविड पर अधिकारियों द्वारा समय-समय पर जारी सार्वजनिक स्वास्थ्य दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाना आवश्यक है.'
एक साल से अधिक समय से मांगा जा रहा स्पष्टीकरण
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि करेंसी नोटों द्वारा किसी भी प्रकार के बैक्टीरिया या वायरस जैसे कोविड की बहुत तेजी से फैलने की संभावना सबसे ज्यादा है. इसे देखते हुए कैट बीते एक साल से ही सरकार के मंत्रियों एवं अन्य प्राधिकरणों को इसका स्पष्टीकरण लेने के लिए प्रयासरत है. पिछले साल से अनेकों बार इस मुद्दे को उठाने के बाद यह पहला अवसर है, जब आरबीआई ने इसका संज्ञान लेते हुए जवाब तो दिया है लेकिन इनडायरेक्टली. हालांकि अपने जवाब में आरबीआई ने इनकार भी नहीं किया है, जिससे पूरी तरह यह संकेत मिलता है कि करेंसी नोट के माध्यम से वायरस और बैक्टीरिया फैलता है और इसलिए ही आरबीआई ने करेंसी भुगतान से बचने के लिए डिजिटल भुगतान के अधिकतम उपयोग की सलाह दी है.
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डिजिटल पेमेंट बढ़ाने के लिए लाई जाए इन्सेंटिव स्कीम
भरतिया और खंडेलवाल ने केंद्रीय वित्त मंत्री से आग्रह किया है कि देश में डिजिटल भुगतान को अधिक से अधिक प्रोत्साहित करने के लिए सरकार को एक इन्सेंटिव स्कीम की घोषणा करनी चाहिए, जिससे ज्यादा से ज्यादा व्यापारी एवं अन्य लोग अपने रोजमर्रा के कार्यों में नकदी की बजाय डिजिटल भुगतान सिस्टम का उपयोग करें. देश में नकदी के इस्तेमाल को कम करने के लिए अन्य कदम उठाया जाना जरूरी है. डिजिटल लेन-देन पर बैंक शुल्क को समाप्त किया जाए और बैंक शुल्क राशि के एवज में सीधे बैंकों को सब्सिडी दी जाए. इस तरह की सब्सिडी सरकार पर वित्तीय बोझ नहीं पड़ने देगी क्योंकि इससे बैंक नोटों की छपाई पर होने वाले खर्च में कमी आएगी और देश में ज्यादा से ज्यादा डिजिटल भुगतान को अपनाया जा सकेगा.