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RBI MPC Meet: ब्याज दरों में नहीं हुआ बदलाव, रेपो रेट 4% पर बरकरार; FY21 में -7.5% रहेगी GDP ग्रोथ रेट

RBI Monetary Policy Meet: भारतीय रिजर्व बैंक की दिसंबर की मौद्रिक समीक्षा बैठक के नतीजे

RBI Monetary Policy Meet: भारतीय रिजर्व बैंक की दिसंबर की मौद्रिक समीक्षा बैठक के नतीजे

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खुदरा मुद्रास्फीति इस समय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है. Image: Reuters

Monetary Policy Review Meeting Results: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की दिसंबर की मौद्रिक समीक्षा बैठक में एक बार फिर मुख्य ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया. यह फैसला खुदरा महंगाई क उच्च स्तर को देखते हुए लिया गया है. खुदरा मुद्रास्फीति इस समय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है. यह लगातार तीसरी बार है, जब भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली 6 सदस्यों की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट को जस का तस छोड़ा है. रेपो रेट 4%, रिवर्स रेपो रेट 3.35%, कैश रिजर्व रेशियो 3% और MSF रेट व बैंक रेट 4.25% के स्तर पर बरकरार हैं.

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि MPC के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से रेपो रेट को अ​परिवर्तित रखने का फैसला किया है. यह भी फैसला किया गया है कि मॉनेटरी पॉलिसी के एकोमोडेटिव स्टैंड को जब तक जरूरी हो तब तक बरकरार रखा जाए. कम से कम मौजूदा वित्त वर्ष और अगले ​साल में इस रुख को बरकरार रखे जाने का फैसला किया गया है ताकि महंगाई को लक्ष्य के अंदर रखते हुए ग्रोथ रिवाइव हो सके और कोविड19 का प्रभाव कम हो सके.

महंगाई और ग्रोथ रेट का अनुमान

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दास ने कहा कि खुदरा महंगाई के वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही में 6.8 फीसदी, चौथी तिमाही में 5.8 फीसदी रहने का अनुमान है. वित्त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में खुदरा महंगाई 5.2 से 4.6 फीसदी तक रहने का अनुमान है. RBI गवर्नर ने कहा कि इकोनॉमी उम्मीद से अधिक तेजी से आगे बढ़ रही है. ग्रामीण मांग में रिकवरी के और मजबूत होने की उम्मीद है, साथ ही शहरी मांग भी तेजी पकड़ रही है. अनुमान है कि वित्त वर्ष 2020-21 में देश की रियल जीडीपी ग्रोथ रेट -7.5 फीसदी रहेगी. वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही में इसके +0.1 फीसदी, चौथी तिमाही में +0.7 फीसदी रहने का अनुमान है. वहीं वित्त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में ग्रोथ रेट 21.9 फीसदी से 6.5 फीसदी तक रहने का अनुमान जताया गया है.

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फरवरी से 1.15% घट चुकी है रेपो रेट

रिजर्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था में 9.5 फीसदी की गिरावट आएगी. MPC की अक्टूबर में हुई पिछली बैठक में बढ़ी हुई खुदरा महंगाई की वजह से नीतिगत दरों में बदलाव नहीं किया गया था. अगस्त की बैठक में भी ब्याज दरें नहीं बदली थीं. आखिरी बार मई में ब्याज दरों में 40 बेसिस प्वॉइंट और मार्च में 75 बेसिस प्वॉइंट की कटौती की गई थी. इस साल फरवरी से केंद्रीय बैंक रेपो दर में 1.15 फीसदी की कटौती कर चुका है.

FY20 का मुनाफा अपने पास रखें बैंक

आरबीआई ने कोरोना वायरस महामारी के कारण आये आर्थिक व्यवधान को देखते हुए कमर्शियल बैंकों और सहकारी बैंकों से शुक्रवार को कहा कि वे वित्त वर्ष 2019-20 का मुनाफा अपने पास रखें. रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंकों को 2019-20 के लिये लाभांश का भुगतान करने की जरूरत नहीं है. इस बारे में दिशानिर्देश जल्द ही जारी किये जायेंगे. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के द्वारा लाभांश के वितरण के संबंध में फिलहाल कोई दिशानिर्देश नहीं है. केंद्रीय बैंक ने महामारी के चलते कायम दबाव तथा बढ़ी अनिश्चितता का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे समय में अर्थव्यवस्था को सहारा देने और कोई हानि होने की स्थिति में उसे संभाल लेने के लिये बैंकों के द्वारा पूंजी को संरक्षित रखना जरूरी है.

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RRBs को मिलीं ये मंजूरी

आरबीआई ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के लिये बेहतर प्रबंध की लिक्विडिटी सुविधाओं की मंजूरी दी. इसके तहत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक भी अब लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी (एलएएफ), मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) और कॉल/नोटिस मनी मार्केट का लाभ उठा सकेंगे. अभी तक इन बैंकों के पास रिजर्व बैंक की लिक्विडिटी सुविधाओं अथवा कॉल/नोटिस मनी मार्केट तक पहुंचने की अनुमति नहीं थी.

क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप्स पर गाइडलाइंस की होगी समीक्षा

आरबीआई ने कहा है कि वह क्रेडिट डेरिवेटिव्स मार्केट के डेवलपमेंट के लिए क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप्स पर गाइडलाइंस की समीक्षा करेगा. इस बारे में केन्द्रीय बैंक जल्द ही पब्लिक कमेंट्स के लिए ड्राफ्ट डायरेक्शंस जारी करेगा. क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप्स की गाइडलाइंस आखिरी बार जनवरी 2013 में जारी हुई थीं.

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