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RBI monetary policy: रेपो रेट 5.15% पर बरकरार, FY21 में GDP 6% रहने का अनुमान

क्या RBI अपनी मॉनेटरी पॉलिसी में सस्ते कर्ज का देगा तोहफा या ब्याज दरों में नहीं होगा बदलाव

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क्या RBI अपनी मॉनेटरी पॉलिसी में सस्ते कर्ज का देगा तोहफा या ब्याज दरों में नहीं होगा बदलाव

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RBI Monetary Policy: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) ने गुरुवार को मौजूदा वित्त वर्ष की छठीं और अंतिम मौद्रिक नीति का एलान करते हुए रेपो रेट में कोई कटौती नहीं की. गुरुवार को चालू वित्त वर्ष 2019-20 की 6वीं द्विमासिक मौद्रिक नीति का एलान करते हुए ​RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट को 5.15 फीसदी पर बरकरार रखा है. रिवर्स रेपो रेट भी 4.90 फीसदी पर बरकरार है. रिजर्व बैंक ने CRR 4 फीसदी और SLR 18.5 फीसदी पर बनाए रखा है. RBI ने इससे पहले दिसंबर में भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया था. जबकि दिसंबर मौद्रिक नीति के पहले लगातार 5 बार में ब्याज दरों में 1.35 फीसदी कटौती हुई थी.

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आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी ऐसे समय आई है, जब बजट पेश किया जा चुका है. वहीं, जीडीपी अपने 6 साल के निचले स्तरों पर है और दिसंबर 2019 में रिटले इनफ्लेशन 7.35 फीसदी पर पहुंच गया है. जनवरी में सीपीआई इनफ्लेशन ज्यादा रहने का अनुमान है. फिलहाल आरबीआई को ग्रोथ में रिकवरी और महंगाई के कंफर्ट जोन में आने का इंतजार रहेगा.

पॉलिसी का रुख अकोमेडेटिव

मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) के सभी 6 सदस्य ब्याज दरों में कटौती न करने के पक्ष में थे. एमपीसी ने पॉलिसी का रुख अकोमेडेटिव बरकरार रखा है. यानी आगे ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद बनी हुई है. अगली मौद्रिक समीक्षा बैठक अप्रैल 2020 को होगी. बता दें कि पिछली मॉनेटरी पॉलिसी में भी आरबीआई ने रेपो रेट को 5.15 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा था. रिवर्स रेपो रेट भी 4.90 फीसदी पर बरकरार है. रिजर्व बैंक ने CRR 4 फीसदी और SLR 18.5 फीसदी पर बनाए रखा है.

अभी क्या हैं दरें

रेपो रेट : 5.15%

रिवर्स रेपो रेट : 4.90%

CRR : 4%

SLR : 18.50%

FY21 के लिए GDP अनुमान 6 फीसदी

रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2021 के लिए जीडीपी 6 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. जबकि अक्टूबर से दिसंबर 2020 के लिए जीडीपी ग्रोथ 6.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है. अप्रैल से सितंबर 2020 के दौरान जीडीपी ग्रोथ 5.5 से 6 फीसदी रहने का अनुमान है. रिजर्व बैंक के अनुसार घरेलू मांग में कमी धीमी ग्रोथ का सबसे बड़ा कारण है.

छोटी अवधि में बढ़ सकती है महंगाई

आरबीआई के अनुसार छोटी अवधि में महंगाई बढ़ सकती है. रिजर्व बैंक ने जनवरी से मार्च के बी महंगाई में हल्की बढ़ोत्तरी का अनुमान जताया है. वहीं, अप्रैल से सितंबर 2020 के बीच सीपीआई इनफ्लेशन 5 से 5.4 फीसदी रहने का अनुमान है. हालांकि जनवरी में सीपीआई इनफ्लेशन क्या रह सकता है, इस पर कोई अनुमान नहीं दिया है.

रेट कट पर क्या था अनुमान

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के पोल के अनुसार कम से कम अक्टूबर तक केंद्रीय बैंक अब नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा. इसमें कहा गया कि मौजूद आर्थिक हालात को देखते हुए आने वाले अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए ब्याज दरों में 25 आधार अंक यानी 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है. अगर आरबीआई यह फैसला लेता है तो नीतिगत ब्याज दर 4.90 फीसदी के स्तर पर आ जाएगा. रॉयटर्स ने इस पोल में बजट से ठीक पहले प्रमुख अर्थशास्त्रियों को शामिल किया था.

ICRA की प्रिंसिपल इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन को बताया कि जनवरी 2020 में CPI मुद्रास्फीति 6 फीसदी से ऊपर रहने की उम्मीद है, और अगले 8-9 महीनों में 4 फीसदी की ओर धीरे-धीरे गिरावट दर्ज करने की उम्मीद है. उनका कहना है कि साल 2020 की पहली छमाही में ब्याज दरों में बदलाव की उम्मीद नहीं है. हालांकि फरवरी या अप्रैल 2020 समीक्षा में आरबीआई का रुख अकोमोडेटिव से न्यूट्रल हो सकता है.

बैंक आफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री समीर नारंग ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन को बताया कि बजट में उधारी में बड़ी वृद्धि का प्रस्ताव नहीं है. इससे दरों में कटौती के लिए RBI की मॉनेटरी पॉलिसी को स्पेस मिलता है. लेकिन आरबीआई अपनी दरों में कटौती करने से पहले ग्रोथ पिक होने और महंगाई के अपने कंफर्ट जोन में आने का इंतजार कर सकता है.

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