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RBI मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी के सदस्य और मैनेजमेंट प्रोफेसर रविंद्र ढोलकिया ने एक लेख में पहली तिमाही के दौरान विकास दर के आंकड़ों पर सवाल उठाए हैं. (Reuters)
RBI मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी के सदस्य और मैनेजमेंट प्रोफेसर रविंद्र ढोलकिया ने एक लेख में पहली तिमाही के दौरान विकास दर के आंकड़ों पर सवाल उठाए हैं. (Reuters)भारत ने शायद आर्थिक विकास दर का आकलन करते वक्त मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट को ज्यादा आंक लिया है. इसी वजह से जून तिमाही में विकास दर 8.2 फीसदी के टॉप पर रही. यह बात रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी के सदस्य और मैनेजमेंट प्रोफेसर रविंद्र ढोलकिया ने कही है.
इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली के नए एडिशन में एक लेख में ढोलकिया ने कहा कि नई GDP सीरीज ने मैन्युफैक्चरिंग वैल्यु एडेड का आकलन करने के लिए इंडस्ट्रीज के सालाना सर्वे को मुख्य रूप से कॉरपोरेट फाइनेंशियल डाटा के साथ रिप्लेस किया है. इसके परिणामस्वरूप GDP में मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट का सबसे ज्यादा शेयर रहा और पुरानी GDP सीरीज के मुकाबले ज्यादा ग्रोथ रेट रही. ढोलकिया के इस आर्टिकल में आर नागराज और मनीष पांड्या को-आॅथर हैं.
बता दें कि शुक्रवार को जारी हुए CSO के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-जून 2018 तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने 13.5 फीसदी की दर से ग्रोथ दर्ज की है. इसके चलते इकोनॉमिक ग्रोथ 8.2 फीसदी पर पहुंच गई. यह किसी भी बड़ी इकोनॉमी के लिए सबसे तेज विकास दर है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इकोनॉमी की इस परफॉर्मेंस का श्रेय सरकार द्वारा किए गए सुधारों और अमेरिका व चीन के बीच ट्रेड को लेकर चल रहे विवाद के बीच दर्शायी गई वित्तीय दूरदर्शिता को दिया.
उच्च मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ रेट खड़े कर रही सवाल
लेख में कहा गया है, “क्या नई GDP सीरीज मैन्युफैक्चरिंग वैल्यु एडेड का संपूर्ण विवरण दर्शाती है या इसे कुछ ज्यादा ही आंक लिया गया है?” ढोलकिया का कहना है कि उच्च मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ रेट नए अनुमानों की सत्यता पर गंभीर सवाल खड़े करती है और यह अन्य मैक्रोइकोनॉमिक को-रिलेट्स के साथ मेल नहीं खाती है.
RBI ने 7.4% रखा था ग्रोथ रेट अनुमान
अपनी मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग में RBI ने पूरे साल के लिए ग्रोथ रेट अनुमान 7.4 फीसदी रखा था. इस दौरान RBI ने तेल की उच्च कीमतों और ट्रेड को लेकर चल रहे तनाव के करेंसी वॉर में तब्दील होने के चलते बढ़ते जोखिमों का हवाला दिया था. मंहगाई के दबाव पर अंकुश रखने के लिए RBI जून के बाद दो बार पॉलिसी रेट बढ़ा चुकी है. अगस्त की मीटिंग में ढोलकिया अकेले ऐसे सदस्य थे, जिन्होंने ब्याज दरें कम रखे जाने की वकालत की थी, ताकि ग्रोथ को सहयोग मिल सके.
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