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रिजर्व बैंक ने गुरूवार को अगले वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ रेट 6 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया है.
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रिजर्व बैंक ने गुरूवार को अगले वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ रेट 6 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया है. रिजर्व बैंक ने आर्थिक समीक्षा में दिये गये आर्थिक वृद्धि के अनुमान के निचले स्तर पर अगले वित्त वर्ष की वृद्धि का अनुमान लगाया है. 31 जनवरी को पेश आर्थिक समीक्षा में 2020-21 में आर्थिक वृद्धि दर 6 से 6.5 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है. आरबीआई मौद्रिक नीति समिति ने पाया कि अर्थव्यवस्था में नरमी अभी भी बरकरार है और आर्थिक वृद्धि की गति क्षमता से कमजोर बनी हुई है. इस बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने लगातार दूसरी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर स्थिर रखने के बाद गुरूवार को कहा कि आर्थिक वृद्धि दर की गति बढ़ाने के लिये मुख्य ब्याज दर में घटबढ़ करने के अलावा और भी कई अन्य उपाय हैं.
आरबीआई ने कहा कि मुद्रास्फीति का परिदृश्य बेहद अनिश्चित बना हुआ है. आर्थिक गतिविधियां नरम बनी हुई हैं. जिन चुनिंदा संकेतकों में हालिया समय में सुधार देखने को मिला है, व्यापक स्तर पर इनमें भी अभी तेजी आनी शेष है. अर्थव्यवस्था में अभी भी क्षमता से कम उत्पादन हो रहा है. दास ने मौद्रिक नीति समीक्षा परिणाम जारी करने के बाद कहा कि रिजर्व बैंक के पास आर्थिक वृद्धि दर में जारी नरमी से निपटने के लिये और भी कई अन्य उपाय हैं.
ग्रोथ को ये फैक्टर कर सकते हैं प्रभावित
रिजर्व बैंक ने कहा कि 2020-21 में आर्थिक वृद्धि परिदृश्य को निजी उपभोग का स्तर तथा बाह्य कारकों समेत विभिन्न कारक प्रभावित करेंगे. निजी उपभोग में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में रबी फसल की बेहतर संभावनाओं के मद्देनजर सुधार होने की उम्मीद है. खाद्य पदार्थों की कीमतों में हालिया तेजी ने व्यापार संतुलन कृषि के पक्ष में किया है, इससे ग्रामीण आय को समर्थन मिलने की उम्मीद है. आरबीआई के अनुसार वैश्विक व्यापार की अनिश्चितताओं में नरमी आने से निर्यात को प्रोत्साहन मिलने तथा निवेश गतिविधियों में तेजी आने का अनुमान है.
ग्लोबल बिजनेस पर निगेटिव असर
रिजर्व बैंक ने कहा कि हालांकि कोरोना वायरस के फैले संक्रमण से पर्यटकों की आवक और वैश्विक व्यापार पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. रिजर्व बैंक ने कहा कि ग्रामीण व बुनियादी संरचना खर्च बढ़ाने के उपायों के साथ ही आम बजट में व्यक्तिगत आयकर को तार्किक बनाये जाने से घरेलू मांग को समर्थन मिलने की उम्मीद है. रिजर्व बैंक ने विभिन्न कारकों का संज्ञान लेते हुए आर्थिक वृद्धि दर के 2020-21 में 6 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया. आरबीआई के अनुसार आर्थिक वृद्धि दर 2020-21 की पहली छमाही में 5.5 से 6 फीसदी और तीसरी तिमाही में 6.2 फीसदी रह सकती है.