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High Inflation: महंगाई अभी भी उच्च दर पर है, जो अर्थव्यवस्था के लिए मुसीबत साबित हो रही है.
RBI Rate Hike Impact: महंगाई अभी भी उच्च दर पर बनी हुई है, जो अर्थव्यवस्था के लिए मुसीबत साबित हो रही है. आरबीआई ने महंगाई को अभी भी चिंता वाली बात बताया है और कहा कि आगे कुछ महीने महंगाई परेशान करेगी. इसे कंट्रोल करने के लिए रिजर्व बैंक ने दिसंबर पॉलिसी के तहत रेपो रेट में 35 बेसिस प्वॉइंट का इजाफा कर दिया है. इस साल मई से अबतक 5 बार में रेपो रेट 2.25 फीसदी बढ़ चुका है. हालांकि इस बार ऐसे संकेत है कि आगे मॉनेटरी पॉलिसी में नरमी आ सकती है. एक्सपर्ट रेपो रेट में बढ़ोतरी के बाजार अनुमानों के मुताबिक बता रहे हैं. हालांकि इससे निवेशकों से लेकर आम आदमी पर कुछ असर होंगे.
महंगाई को लेकर कम हो रहा है जोखिम
CRISIL के चीफ इकोनॉमिस्ट धर्माकीर्ति जोशी का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के चलते इनफ्लेशन रिस्क कुछ कम हुआ है. हालांकि इनफ्लेशन अभी भी चिंता वाली बात है, जिसके चलते रेपो रेट में एक बार फिर इजाफा हुआ है. आगे की बात करें तो अगली पॉलिसी तक सेंट्रल बैंक पिछले रेट हाइक के चलते घरेलू मांग पर असर, कोन इनफ्लेशन और यूएस फेड रिजर्व के रुख पर नजर रखेगा. अगर महंगाई हाई लेवल पर बनी रही तो आरबीआई रेपो रेट में फिर बढ़ोतरी कर सकता है.
घर लेना होगा महंगा
Knight Frank India के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर शिशिर बैजल का कहना है कि मई 2022 में रेट हारइक साइकिल के बाद से और आज की बढ़ोतरी से पहले होम लोन प्रोडक्ट करीब 150 बीपीएस महंगे हो गए हैं. लेंडिग रेट्स में काफी बढ़ोतरी हुई है, विशेष रूप से बाहरी बेंचमार्क आधारित उधार दर (EBLR) से जुड़े लोन के लिए, जहां रेपो रेट का 100% ट्रांसमिशन हुआ है. इस अवधि के दौरान MCLR दर से जुड़े लोन प्रोडक्ट भी लगभग 108 बीपीएस ऊपर हैं. यह बढ़ोतरी होमलोन EMIs को और प्रभावित करेगी और घर खरीदने की क्षमता को कम करेगी.
मार्केट सेंटीमेंट को स्टेबल होने की उम्मीद
मिरे एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के CIO फिक्स्ड इनकम, महेंद्र जाजू का कहना है कि आरबीआई ने बाजार की उम्मीदों के अनुरूप दरों में 35 बीपीएस की बढ़ोतरी की है. हाल के दिनों में कमोडिटी की कीमतों में गिरावट से पॉलिसी में कुछ नरमी आई है. ग्रोथ के अनुमानों को मामूली रूप से कम किया गया जबकि विकास को समर्थन देने पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखा गया है. आगे मैक्रो वातावरण में हालिया सुधार, वैश्विक स्तर पर दरों में बढ़ोतरी की धीमी गति, कच्चे तेल और कमोडिटी की कीमतों में गिरावट जारी रहे तो मॉनेटरी पॉलिसी में और नरमी आ सकती है. रेट हाइक के बाद बाजार ने कुछ निगेटिव रिएक्शन दिया, लेकिन बॉन्ड यील्ड 5-7 बीपीएस बढ़ गया. 24 मार्च तक बैंकों के लिए हायर HTM पात्रता का विस्तार मार्केट सेंटीमेंट को स्टेबल कर सकता है.
इकोनॉमिक ग्रोथ पर असर नहीं
प्रोफेक्टस कैपिटल के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और CEO केवी श्रीनिवासन का कहना है कि कैपेक्स ग्रोथ जारी रहने का अनुमान है. रेपो रेट में इजाफा यह दिखाता है कि सेंट्रल बैंक का फोकस महंगाई को नीचे लाने पर है. PMI और अन्य इंडीकेटर्स पॉजिटिव हैं, उम्मीद है कि इकोनॉमिक ग्रोथ पर असर नहीं होगा और कैपेक्स जारी रहेगा.
शेयर बाजार में जारी रहेगी तेजी
Swastika Investmart के रिसर्च हेड संतोष मीना का कहना है कि निफ्टी में 18888 के लवेल से कुछ प्रॉफिट बुकिंग देखने को मिली है. लेकिन ओवरआल सेंटीमेंट बुलिश हैं. निफ्टी के लिए 18600–18550 का लेवल इमेडिएट डिमांड जोन है और 18440 के आस पास 20-DMA पर इसके लिए सपोर्ट है. अपसाइड में 18735 एक इमेडिएट हर्डल है, जिके बाद निफ्टी के लिए 18888 और फिर 19000 का लेवल रेजिस्टेंस लेवल है. बैंक निफ्टी की बात करें तो 42700 के लेवल पर सपोर्ट है, जबकि अपसाइड की ओर 43500 का लेवल हर्डल है. इसे ब्रेक करने पर इंडेक्स 44000 के लेवल पर जा सकता है.
आगे दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद कम
ICICI सिक्योरिटीज के चीफ इकोनॉमिस्ट प्रसेनजीत बासु का कहना है कि आरबीआई ने रेपो दर को 35bp बढ़ाकर 6.25% कर दिया और अकोमोडेशन रुख वापस वापस लेने के नीतिगत रुख पर भी कायम रहा. इससे आगे मॉनेटरी पॉलिसी में नरमी आने के संकेत हैं. वहीं यह भी पता चलता है कि लिक्विडिटी बढ़ाने पर फोकस है. उनका कहना है कि दरों में बढ़ोतरी को बैंक डिपॉजिटर्स और बॉरोअर्स तक पास ऑन कर सकते हैं. लेकिन अच्छी खबर यह हो सकती है कि आगे दरों में बढ़ोतरी की संभावना नहीं है.